• प्रदीप रावत (रवांल्टा)

आज ‘विश्व रंगमंच दिवस’ है। रंगमंच भले आज उत्तराखंड में पहले जैसा मजबूत ना रहा हो, लेकिन रंगमंच के साधक आज भी रंगमंच को मजबूती देने में जुटे हैं। रंगमंच के लिए जितना जरूरी मंच, उत्तम कलाकारों की जरूरत होती है। उतनी ही बेहतरीन नाटक की आवश्यकता होती है। बेहतर नाटक के बगैर कलाकार भी कुछ खास नहीं कर पाएंगे। ये सभी चीजें किसी एक व्यक्ति के भीतर होना बहुत कठिन है। लेकिन, रवांई गौरव प्रख्यात साहित्यकार महावीर रवांल्टा इन सभी चीजों में महारथ रखते हैं। जितनी शानदार और जीवंत उनकी रचना क्षमता है। उतने ही उम्दा कलाकार और महनीय निर्देशक भी हैं।

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रवांई घाटी की ठकराल पट्टी के सरनौल गांव में जन्मे महावीर रवांल्टा का बचपन सरनौल और चपटाड़ी में गुजरा। बाद में माता-पिता के साथ महरगांव आ गए। प्राथमिक शिक्षा के बाद उत्तरकाशी में पढ़ने चले गए। नाटकों के प्रति उनका लगाव वहीं से हुआ। उनका जो सफर तब शुरू हुआ था। वह आज भी जारी है। उनके कई नाटकों का मंचन देशभर के राष्ट्रीय मंचों पर हो चुका है। उन्होंने लेखन के साथ ही कलाकार के रूप में भी भूमिका निभाई। निर्देशन के साथ ही पार्श्व गायन में भी हाथ आजमाया। कुल मिलाकर कहें, तो उन्होंने नाटक के हर पहलू को आत्मसात किया। उनकी वहीं मेहनत उनके बेहतरीन नाटकों में भी देखने को मिलती है।

बड़े साहित्य पुरस्कारों से सम्मानित

उनके कई नाटकों को देश के बड़े साहित्य पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। अपनी भाषा रवांल्टी के प्रति उनका प्यार हमेशा बना रहा। उन्होंने लगातार रवांल्टी को पहचान दिलाने के लिए प्रयास किए। उसकी एक उदाहरण यह रहा कि अस्सी के दशक में के पी सक्सेना के नाटक श्लालटेन की वापसीश् का रवांल्टी में ‘हिस्यूं छोलकु’ के नाम से सरनौल एवं उपला मठ में महावीर रवांल्टा के निर्देशन में मंचन हुआ था।

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स्पेशल पुलिस फोर्स में नियुक्ति

जनवरी 1989 में स्पेशल पुलिस फोर्स में नियुक्ति मिलने के बाद भारत तिब्बत सीमा पुलिस में करीब ढाई वर्ष सेवा दी। 1991 में बुलन्दशहर (उत्तर प्रदेश, जनपद के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र धरपा में नियुक्ति मिलने के बाद मई 2006 तक वहां तैनात रहे। जून 2006 में स्याना के बैरा फिरोजपुर के अति प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में स्थानान्तरित किये गये। सितम्बर 2007 में लोगों की मांग के प्रमुख सचिव द्वारा फिर से प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र धरपा के लिए स्थानान्तरित हुए। 27 नवम्बर 2009 को उ.प्र. से कार्यमुक्त होकर उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी जनपद के अति प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र आराकोट में कार्यरत हैं।

अनेक रचनात्मक कार्य करवाए

अध्ययन काल से ही लोक संस्कृति, कला, साहित्य और पत्रकारिता में गहरी रूचि के चलते रवांई जौनपुर विकास युवा मंच की स्थापना कर उत्तरकाशी में अनेक रचनात्मक कार्य करवाए, जिससे अनेक प्रतिभाओं को पहली बार मंच मिला एवं ऐतिहासिक तिलाड़ी कांड पर लिखे गये ‘मुनारबंदी’ (नाटक) की भी माघ मेला मंच पर प्रस्तुति हो सकी।

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अखिल भारतीय स्तर पर पुरस्कृत नाटक

‘सफेद घोडे का सवार’, जबलपुर (म.प्र.) की ‘कादम्बरी’ संस्था द्वारा 27 नवम्बर 2007 को जबलपुर में स्व. सेठ गोविन्द दास सम्मान से सम्मानित। 16 मार्च 2008 को भोपाल में अखिल भारतीय अम्बिका प्रसाद ‘दिव्य’ रजत अंलकरण से अलंकृत। झारखण्ड के प्रतिश्ठित शिक्षण संस्थान स्पेनिन द्वारा वर्ष 2014-15 के स्पेनिन साहित्य गौरव सम्मान से उर्सुलाईन इण्टर कालेज रांची में 12 सितम्बर 2015 को सम्मानित। खुले आकाश का सपना, जबलपुर (मध्य प्रदेश) की कादम्बरी संस्था द्वारा 29 नवंबर 2014 को जबलपुर के षहीद स्मारक भवन में ‘सेठ गोविन्द दास सम्मान’ से सम्मानित।

अखिल भारतीय स्तर पर पुरस्कृत बाल एकांकी संग्रह

अखिल भारतीय स्तर पर पुरस्कृत बाल एकांकी संग्रह ‘ननकू नहीं रहा’, ‘पोखू का घमण्ड’, राजकुमार जैन ‘राजन’ फाउंडेशन आकोला (राजस्थान) द्वारा स्व.अम्बालाल हींगड़ स्मृति बाल साहित्य सम्मान- 2014 से 02 मार्च 2016 को साहित्य मण्डल- श्रीनाथ द्वारा (राजस्थान) के सभागार में सम्मानित। अखिल भारतीय स्तर पर पुरस्कृत बाल नाटक संग्रह ‘पोखू का घमण्ड’ राजकुमार जैन राजन फाउंडेशन आकोला (राजस्थान) द्वारा स्व.अम्बालाल हींगड स्मृति बाल साहित्य सम्मान-2014 से 02 मार्च 2018 को साहित्य मण्डल- श्रीनाथद्वारा (राजस्थान) के सभागार में सम्मानित किया गया।

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नाटक
सफेद घोडे का सवार, साजिश, खुले आकाश का सपना, अधूरा आदमी, मौरसदास लड़ता है और एक प्रेम कथा का अंत। मौत का कारण, मुनारबन्दी, दर्द, ननकू नहीं रहा। एकांकी नाट की बात करें तो रथ देवता, जीतू बग्डवाल, रेणुका और पोखू का घमण्ड शामिल हैं।

 मंचन: ‘सफेद घोड़े का सवार’ जन आस्था मंच द्वारा में पंचोली के निर्देषन में बसन्तोत्सव-2008 (रामनगर) में 12 फरवरी 2008 को प्रेम पंचाली के निदेर्शन में मंचन किया गया।

  •  ‘ननकू नहीं रहा’ का 5 सितम्बर 2003 को खुर्जा (बुलन्दशहर) उत्तर प्रदेश में मंचन।
  • राश्ट्रीय नाट्य विद्यालय की ‘संस्कार रंग टोली’ द्वारा ‘खुली आँखों में सपने’ पर आधारित नाटक का 5-6 जनवरी 2007 को दिल्ली के लिटिल थियेटर ग्रुप प्रेक्षागृह में सुवर्ण रावत के निर्देषन में मंचन।
  •  ‘उत्तराखण्ड लोक नाट्य महोत्सव-2007’ में ‘खुली आँखों में सपने’ पर आधारित नाटक का मंचन किया गया।
  •  बालपर्व (17 जनवरी 1985, माघ मेला – उत्तरकाशी)
  •  दो कलाकार 27 मार्च 19ं7, राजकीय पोलीटेक्नीक, उत्तरकाशी)
  • समानान्तर रेखाएं 27 मार्च 1987, राजकीय पोलीटेक्नीक, उत्तरकाशी)
  • सत्यवादी हरिशचन्द्र 18 व 9 सितम्बर 1987, महरगांव )
  • मौत का कारण (7 सितम्बर 1907. महरगांव )
  • जीतू बग्डवाल ( 8 सितम्बर 1987. महरगांव )
  • साजिश (9 सितम्बर 1987, महरगांव )
  • अहिल्या उद्वार (8 से 12 सितम्बर 1988 महरगांव )
  • अधूरा आदमी ( 9 सितम्बर 1988. महरगांव )
  • रथ देवता ( 10 सितम्बर 1988 महरगांव )
  • ननकू नहीं रहा ( 5 सितम्बर 2008, खुर्जा )

सम्मानः
▪ स्पेशल पुलिस फोर्स के स्थापना दिवस पर 4 अक्टूबर 1990 को मुरादाबाद में सम्मानित। ▪ स्व. मेवाराम षर्मा ‘महान्’ स्मृति सम्मान 97 से 19 जुलाई 1997 को खुर्जा (बुलन्दशहर) में सम्मानित।
▪ उत्तराखण्ड शोध संस्थान के रजत जयन्ती समारोह में 15 अक्टूबर 2000 को हल्द्वानी में सम्मानित।

▪ ‘सृजन’ (उत्तरकाशी) द्वारा 5 सितम्बर 2002 को सम्मानित।

▪ उत्तर प्रदेशीय महिला मंच द्वारा ‘स्व. वेद अग्रवाल स्मृति साहित्य सम्मान-2001’ (मेरठ) से 30 जून 2001 को सम्मानित।
▪ ‘रवांई मेल’ (पुरोला) द्वारा साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए 7 सितम्बर 2001 को सम्मानित।
▪ ‘अमेरिकन बाॅयोग्राफिकल इंस्टीट्यूट’ द्वारा ‘द कंटेम्पटरी हूज हू’ के लिए 2002 में चयन।
▪ 2 मार्च 2004 को देहरादून में ‘साहित्य प्रभा टीका सम्मान 2004’ से सम्मानित।
▪ यमुना घाटी पत्रकार संघ एवं नगर पंचायत बड़कोट (उत्तरकाशी) द्वारा 7 जून 2006 को प्रथम तिलाड़ी सम्मान-2006’ से सम्मानित।
▪ रवांई महोत्सव-2006 (बडकोट) में 2 दिसम्बर 2006 को सम्मानित।

▪ रा. महाविद्यालय बड़कोट के राष्ट्रीय सेवा योजना शिविर गंगटाड़ी में दिसम्बर 2006 को ‘एन.एस.एस. स्मृति पुरस्कार’ से सम्मानित।
▪ ‘हिमालय एवं हिन्दुस्तान अवार्ड-2007’ से सम्मानित।
▪ ‘स्व. बर्फिया लाल जुवंाठा स्मारक समिति’ पुरोला (उत्तरकाशी) द्वारा 1 जनवरी 2009 को साहित्य के क्षेत्र में योगदान के लिए सम्मानित।
▪ यतीन्द्र साहित्य सदन भीलवाडा (राजस्थान) द्वारा 14 जून 2009 को भीमताल में सम्मानित।
▪ ‘प्रेस क्लब’ एवं ‘संवेदना समूह’ उत्तरकाशी द्वारा माघ मेला-2010 में 20 जनवरी 2010 को साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय अवदान के लिए सम्मानित।
▪ पिछड़ी जाति एवं अनुसूचित जनजाति समिति द्वारा आयोजित 27वें क्रीड़ा एवं सांस्कृतिक विकास समारोह- नैनबाग (टिहरी)

 

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अमिनय

  • अंगद- (रामलीला -सरनौल, जून 1982 निर्देशक- दर्मियान रायत)
  • श्रवण कुमार- (श्रवण कुमार, महरगीय सितम्बर 190 निर्देशक केशवानंय भयो
  • शकुनि-(वीर अभिमन्यु, सरनौल, सितम्बर 1983 निर्देशक-दर्मियान रावत)
  • दीवान चकवर जुयाल- (मुनारबन्दी, 17 जनवरी 1986 माघ मेला उत्तरकाशी, निर्व
  • यकील (वाल पर्व, 17 जनवरी 1995, माघ मेला उत्तरकाशी, निर्देशन- महावीर रवांल्टा
  •  नरेश-( संजोग 19 जनवरी 1987, माघ मेला उत्तरकाशी, निर्देशक-धीरेन्द्र गुप्ता)
  • बुलाकी दास (दो कलाकार-भगवती चरण वर्मा, रात. पालिटेक्निक उत्तरकाशी)
  • नरेश (समानान्तर रेखाएं सत्येन्द्र शरत, रा. पोलीटेक्नीक उत्तरकाशी, 27 मार्च 1987, निर्देशक महावीर
    रवांल्टा )
  • भिखारी-(सत्यवादी हरिशचन्द्र, महरगाँव, 7-9 सितम्बर 1987, निर्देशक महावीर रवांल्टा )
  • कालू-मौत का कारण, महरगोग, 7 सितम्बर 1987, निर्देशक-महावीर रवांल्टा )
  • पंडिरा- (जीतू बगड्याल महरगीय, 8 सितम्बर 1987, निर्देशक महावीर रवांल्टा )
  • प्रधान- (साजिश, महरौय, 9 सितम्बर 1987, निर्देशक महावीर रवांल्टा )
  • डॉक्टर- (शूटिंग जारी है. रा०स्ना०महा वि। उत्तरकाशी, विसम्बर 1987, निर्देशक सुभाष रावत)
  • डोली- (बाँसुरी बजती रही, डॉ. गोविन्द वातक, माघ मेला उत्तरकाशी, 18 जनवरी 1988, निर्देशक-सुवर्ण
    रावत)
  • राजा- (अंधेर नगरी, भारतेंदु हरिश चंय, माघ मेला उत्तरकाशी, 18 जनवरी 1988, निर्देशक-सुभाष रावत)
  • पवन (अहिल्या उद्वार महरगाँव, 8 से 12 सितम्बर 1988 निर्देशक महावीर रवांल्टा )
  • इन्द्र-(अहिल्या उद्धार गहरगीय, 8 से 12 सितम्बर 198ं, निर्देशक-महावीर रवांल्टा )
  • प्रिंसिपल-(अधूरा आदमी, महरगाय, 9 सितम्बर 1988 निर्देशक-महावीर रवांल्टा )
  • ग्रामीण- (स्थ देवता महरर्गीय, 10 सितम्बर 1981, निर्देशक महावीर रवांल्टा )
  • रूकम दास- (बीस सौ बीस, सुभाष रायत, लोक कला मंच, 20 इंस्टीट्यूशनल एरिया, लोदी रोड बिल्ली
    2 अक्टूबर 2001)
  •  रुकम दास- (बीस सौ बीसश्, सुभाष रायत, हिन्दी भवन प्रेक्षागृह, नई दिल्ली. 9 नवम्बर 2001. निर्देशक-
    सुवर्ण रावत)
  •  जनता-(बीस सौ बीस 2 अक्टूबर 2001. लोक कला मंच, 20 इंरतीयूशनल एरिया. लोधी रोड- दिल्ली,
    निर्दशक-सुवर्ण रावत)
  • पत्रकार-(बीस सौ बीस इंस्टी्यूट एरिया, सुभाष रावत)
    पापा-(ननकू नहीं रहा खुर्जा, 5 सितम्बर 2009, निर्देशक- महावीर रवांल्टा)
  • पर्यटक- (बीस सौ बीस इंस्टी्यूट एरिया,  सुभाष रावत, उत्तरकाशी, गंगोत्री प्रेक्षागृह, मार्च 2018, निर्देशक- दिनेश
    भट्ट)
    फिल्मांकन
    बांसुरी बजती रही (1988)
    साजिश (1988)
    आडियो-वीडियो
    रंवाई की शान प्यारी, सुरमा में गीत रचना, लोक गायक अनिल बेसारी और साथियों द्वारा आईंर दादा कथुकू डर (कविता) की आडियो प्रस्तुति।

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