रुड़की।  ( बबलू सैनी ) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के जल संसाधन विकास एवं प्रबंधन विभाग द्वारा पीने का पानी और स्वच्छता वर्तमान स्थिति और भविष्य की चुनौतियां विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में भविष्य की चुनौतियों को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए इस दिशा में सामाजिक तथा सरकारी स्तर पर कार्य करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए मुख्य अतिथि जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार की सचिव विनी महाजन ने कहा कि उन्नतिशील देशों में पीने के पानी और सैनिटाइजेशन की समस्या एक बड़ी चुनौती है। इस दिशा में आईआईटी रुड़की नीति निर्माताओं तथा सरकार का दशकों से मार्गदर्शन करता आ रहा है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 में सरकार ने स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया और खुले में शौच को बंद करने का अभियान चलाया। उन्होंने बताया कि 5 वर्षों में शहरी क्षेत्र में खुले में शौच को बंद किया गया। इसके लिए करीब 10 करोड़ शौचालयों का निर्माण किया गया। अभी सैनिटाइजेशन का दूसरा चरण आरंभ किया गया है, जिसमें देश के ग्रामीण क्षेत्रों में जल प्रबंधन तथा ऑर्गेनिक वेस्ट मैनेजमेंट को सामुदायिक स्तर पर निपटाने की योजना पर कार्य चल रहा है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री ने जल जीवन मिशन कार्यक्रम आरंभ किया है, जिसके अंतर्गत 5 वर्षों के भीतर प्रत्येक शहरी क्षेत्र में प्रत्येक घर में एक नल उपलब्ध होगा जिसमें कम से कम प्रति व्यक्ति 65 लीटर पीने का पानी प्रतिदिन मिलेगा। संस्थान के निदेशक तो फिर सर अजीत कुमार चतुर्वेदी ने पीने का पानी और स्वच्छता की दिशा में और कार्य करने की जरूरत पर जो दिया। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला से इस दिशा में सकारात्मक विचार सामने आएंगे। इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ  दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। विभागाध्यक्ष प्रोफेसर आशीष पांडे ने अतिथियों का स्वागत किया तथा विशिष्ठ प्रोफेसर वीपी सिंह ने भी अपने विचार रखे।

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