रुड़की। ( बबलू सैनी )
सूबे के मुख्यमंत्री से लेकर तमाम आलाधिकारियों, राजनीतिक, सामाजिक संस्थाए जहाँ देशभर में हरेला पर्व के उपलक्ष्य में पौधारोपण कर पेड़ो को बचाने की शपथ ले रहे थे, तो वही लकड़ी माफिया हरेला पर्व पर भी हरे पेडों पर आरियाँ चला रहे थे।


दरअसल मामला रुड़की स्थित शेरपुर गांव का है, जहां हरेला पर्व की रात्रि में ही वन माफियाओं ने आम का बगीचा ही साफ कर दिया। इतना ही नहीं पेड़ काटने के बाद माफियाओं ने बाग में ट्रैक्टर भी चलाया, ताकि कटान का पता ना चल सके। सुबह जब प्रदेश हरेला पर्व मना रहा था, तो उद्यान विभाग को पेड़ो के कटान की सूचना मिली। सूचना पर क्षेत्रीय उद्यान अधिकारी ने विभाग के दो कर्मियों को मौके पर निरीक्षण के लिए भेजा। कर्मचारियों ने मौका मुआयना कर उच्चाधिकारियों को अवगत कराया कि करीब 60 से 70 पेड़ काटे गए है, हालांकि कर्मचारियों को ये जानकारी नही मिली कि ये पेड़ किसने काटे और जमीन किसकी है। वहीं क्षेत्रीय उद्यान अधिकारी आर.पी. जसोला ने बताया कि सूचना पर कर्मचारी मौके पर गए थे। 40 से 50 पेड़ कटे है, जिनकी जानकारी जुटाई जा रही है, जांच कर उचित कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। वही रेंजर नरेंद्र सिंह राठी ने बताया कि सूचना मिली थी जिसके बाद मौके पर जाकर निरीक्षण किया गया है। उन्होंने बताया कि बाग स्वामी शेरपुर निवासी पुन्ना है, जिसके खिलाफ जुर्माने की कार्रवाई की जा रही है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर इतने बड़े बाग के कटने से वन एवं उद्यान विभाग चुप क्यों है। क्या इसके पीछे वन या उद्यान विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत है। लकड़ी माफियाओं ने उनसे सांठगांठ कर रातों रात आम के बगीचे को ठिकाने लगा दिया। बहरहाल कुछ भी हो, जिस तरह से माफियाओं ने आम के बगीचे को काटकर वन व उद्यान विभाग के अधिकारियों को चुनौती दी है, उससे पता चलता है कि यह कदम बिना विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत के नही किया जा सकता था। बड़ा सवाल यह भी है कि जब मात्र लोपिंग के नाम पर वन विभाग मुकदमा दर्ज कर सकता है, तो फिर चोरी से ऑफ सीजन में काटे गए इस बगीचे को लेकर रेंजर द्वारा सिर्फ जुर्माने की कार्रवाई करने की बात क्यों कही जा रही है। कुल मिलाकर माफियाओं ने रातों रात पूरा बगीचा साफ कर वन विभाग के अधिकारियों के मुंह पर करारा तमांचा मारा है।

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