रुड़की। ( बबलू सैनी )
आदि संवादाता देव ऋषि नारद द्वारा सूचनाओं का संग्रहण, सूचनाओं का संपादन एवं सूचना का संप्रेषण तीनो लोक में लोक कल्याण के लिए किया जाता था। उन्होंने नारद पुराण, नारद स्मृति, नारदीय ज्योतिष आदि ग्रंथों की रचना एवं वीणा का आविष्कार किया था, उनके आदर्श वर्तमान पत्रकारिता के लिए अनुकरणीय है। उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक कृपाशंकर द्वारा नारद जयंती कार्यक्रम में बतौर अतिथि व्यक्त किए गये। कार्यक्रम का प्रारंभ मुख्य अतिथि राहुल महाजन प्रसार भारती एवं सतीश कौशिक समाजसेवी की अध्यक्षता में दीप प्रज्वलित कर किया गया। मुख्य वक्ता कृपाशंकर ने कहा कि ब्रह्मा, विष्णु, महेश के बाद देव ऋषि नारद का नाम है। सतयुग, त्रेता, द्वापर, कलयुग तक रामायण, महाभारत, पुराणों में नारद की कालजई उपस्थिति है। नारद दरिद्र प्राणियों के दुखों का निवारण करते थे, साथ ही दुष्ट, अभिमानी, कामी लोभी, भ्रष्टाचारी व्यक्तियों एवं तंत्र का नाश कर परित्राणाय साधुनाम विनाशाय च दुष्ट करता का कार्य करते थे। नारद हित रक्षक, प्रकृति पोषक, ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर, सत्य की खोज में लगकर लोक कल्याण एवं जन्म कल्याण करते थे। वर्तमान समय में कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका के बाद मीडिया चौथे स्तंभ के रुप में समाज में स्थापित हुई है। प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तथा सोशल मीडिया का समाज में अपना महत्व है, जिनके द्वारा सूचनाओं का संग्रहण, सूचनाओं का संपादन एवं सूचनाओं का भेजने का कार्य किया जाता है, जिसके कारण देश समाज में कई क्रांतिकारी परिवर्तन, समाज सुधार के कार्य हुए। पत्रकारिता व्यवहार से जुड़ा पक्ष है। पत्रकार समाज का दर्पण होता है, वह समाज को जैसा दिखाना चाहता है, समाज वैसा ही देखता है। इसलिए पत्रकार को जनकल्याणकारी होना चाहिए, स्वतंत्रता के आंदोलन, साहित्य एवं संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन में पत्रकारिता की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। पत्रकारिता एक मिशन है, व्यापार नहीं। वर्तमान में मीडिया घरानों के नियंत्रण में पत्रकारों की कलम निष्पक्ष एवं सच्ची पत्रकारिता के कारण पत्रकारों को जोखिम उठाना पड़ा है। ऐसे पत्रकारों का समाज ऋणी है, इसके लिए समाज द्वारा पत्रकारों का सम्मान एवं उत्साहवर्द्धन करना दायित्व है। सरकार को भी पत्रकारों के कल्याण के लिए विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। वहीं राहुल महाजन ने कहा कि वैश्विक स्तर पर भारत की मीडिया अपनी महत्वपूर्ण भूमिका सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, आर्थिक प्रत्येक क्षेत्र में दायित्व का निर्वहन करते हुए समाज एवं राष्ट्र को नई दिशा देने का कार्य कर रही है। वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवि किसलय कुमार ने कहा कि हम नारद जी के आदर्शो पर चलकर अपने पत्रकार धर्म का पालन करते हुए धर्म, समाज और संस्कृति के संवाहक बने। बाद में अध्यक्षीय उद्बोधन में सतीश कौशिक ने कहा कि अपनी जान जोखिम में डालकर पत्र- पत्रिकाओं के माध्यम से हमें सबको सच्चाई से अवगत कराने वाले पत्रकारों को सम्मान और उनका उत्साहवर्द्धन करना चाहिए। बाद में पत्रकारों बंधुओं को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन विवेक कंबोज एवं सहदेव पुंडीर ने किया। बाद में सभी अतिथियों का संजय धीमान द्वारा आभार प्रकट किया गया। इस अवसर पर डॉ. अजीत सिंह, राजकुमार, जल सिंह, राजपाल, भावना त्यागी, डॉ. गिरिराज उपाध्याय, संदीप, प्रकाश, दिनेश पंवार, सुशील त्यागी ध्यानी, ऋषि पाल, राजकुमार, भावना शर्मा, डॉक्टर सरस्वती, सुभाष रतूड़ी, जिला प्रचार प्रमुख सहदेव पुंडीर, ओम सहित सैकड़ों गणमान्य लोग मौजूद रहे।

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