• प्रदीप रावत (रवांल्टा)

दिवालीखाल गैरसैंण में जो कुछ हुआ। इतना सब ऐसा ही नहीं हो गया। इसके पीछे कोई ना कोई तो जरूर है। सरकार या फिर पुलिस के आला अफसर। जो भी दोनों को दंड तो मिलना ही चाहिए। सरकार भी यही चाहती है कि दोषियों को दंड मिलना चाहिए। यहां सवाल यह है कि इसके लिए सरकार और पुलिस दोनों ही जिम्मेदार हैं। अगर ऐसा है तो क्या सीएम त्रिवेंद्र खुद और पुलिस के अधिकारियों को सजा देंगे ? अगर नहीं दे सकते तो उन्हें हवाबाजी नहीं करनी चाहिए।

आब विस्तार से चर्चा करते हैं। नंदप्रयाग-घाट मोटरमार्ग चौड़ीकरण की मांग को लेकर क्षेत्र के लोग पिछले 84 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। सरकार ने आज तक उनके आंदोलन का कोई संज्ञान नहीं लिया। आखिर क्यों ? क्या सरकार को यह लगता है कि पहाड़ की एक-दो सीटों से उनको कोई फर्क नहीं पड़ता। ये वही सरकार है, जिसने रिस्पना नदी पर बनी अवैध बस्तियों को बचाने के लिए अध्यादेश लाया था।

दिवालीखाल, गैरसैण की घटना के जांच के आदेश दिए जा चुके हैं।

सवालों का सिलसिला यहीं नहीं थमता। सीएम त्रिवेंद्र रावत ने आज ट्वीट कर कहा कि मार्ग के चौड़ीकरण की घोषणा पहले ही की जा चुकी है। अगर ऐसा है, तो सरकार ने अपने प्रतिनिधि क्यों नहीं लोगों के बीच भेजे ? क्यों नहीं उनको बताया गया कि सरकार ने आपकी मांग मान ली है ? क्या सरकार का तंत्र इतना कमजोर है कि उनको लोगों के आंदोलन की ही जानकारी नहीं थी ? या सरकार और सरकार के मुखिया जानबूझकर अनजान बने हुए हैं ? जबकि पिछले दिनों सीएम चमोली दौरे पर भी गए थे। आपदा के बाद भी और उससे पहले भी। फिर क्यों नहीं लोगों को बताया कि गया कि उनकी मांग पूरी हो चुकी है ?

सीएम त्रिवेंद्र रावत ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आंदोलनजीवी शब्द का प्रयोग किया है। उन्होंने लोगों से कहा कि उनको पेशेवर आंदोलनजीवियों से बचना चाहिए। वो उनको भड़का रहे हैं। सीएम ने यह भी कहा कि सल्ट दौरे के दौरान उन्होंने ब्लाक की सभी सड़कों को डेढ़ और दो लेने करने की घोषणा की थी। फिर वही सवाल है कि अगर घोषणा की थी, तो क्यों नहीं चमोली की डीएम, खूफिया विभाग, पुलिस और लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के जरिए यह बात आंदोलनरत लोगों तक पहुंचाई गई ?

सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने ट्वीट में यह भी कहा कि है कि मैं लोगों को विश्वास दिलात हूं कि वो दोषियों को सजा दिलाएंगे ? सवाल यह है कि क्या वो उन महिलाओं का सम्मान भी वापस दिलावा पाएंगे, जिन पर पुलिस ने बेरहमी से लाठिया बरसाईं। उत्तराखंड हासिल करने वाली महिलाओं ने कभी यह नहीं सोचा होगा कि जो उनके साथ राज्य आंदोलन के दौरान हुआ। अपने सपनों के उत्तराखंड में भी वही दोहराया जाएगा। आखिर किसके इशारे पर लाठी चार्ज किया गया ?

इंद्रेश मैखुरी का बयान – https://www.nukta-e-najar.com/2021/03/trivendra-rawat-police-lathicharge-lie.html 

सरकार के पास पूरा तंत्र होता है। क्या उस तंत्र में कोई ऐसा अधिकारी नहीं था जो लोगों को बताता कि उनकी मांग मान ली गई है ? सीएम के पास स्टाफ की पूरी फौज है। सलाहकार से लेकर मीडिया काॅर्डिनटर, मीडिया सलाहकार, जनसंपर्क अधिकारी, खूफिया विभाग, आईएएस अधिकारियों का बड़ा जमावड़ा। जिले की डीएम। सबकुछ होने के बाद भी सरकार लोगों तक इतना संदेश पहुंचाने में नाकाम रही कि उनकी मांग मान ली गई है। क्या इन सब पर भी कोई कार्रवाई होगी ? क्या सरकार इस सवाल का जवाब दे पाएगी कि 84 दिनों से धरना दे रहे लोगों की मांग का संज्ञान क्यों नहीं लिया गया ?

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