रुड़की।  ( आयुष गुप्ता ) केंद्रीय विद्यालय क्रमांक-1 रुडकी में आज एकता पर्व का समापन समारोह संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में 7 केंद्रीय विद्यालयों, केंद्रीय विद्यालय एफआरआई देहरादून, केंद्रीय विद्यालय क्रमांक-2 रुड़की, केंद्रीय विद्यालय ऋषिकेश, केंद्रीय विद्यालय लैंसडाउन, केंद्रीय विद्यालय उत्तरकाशी, केंद्रीय विद्यालय राजगढ़ी के लगभग 140 बच्चों ने विभिन्न कलात्मक गतिविधियों जैसेः गायन, वादन, नृत्य, नाटक, चित्रकला आदि में प्रतिभाग किया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि श्रीमती अनीता बिष्ट रही। एक भारत श्रेष्ठ भारत के अंतर्गत आयोजित समूह गायन प्रतियोगिता में केंद्रीय विद्यालय एफआरआई देहरादून प्रथम, केंद्रीय विद्यालय ऋषिकेश दूसरे तथा केंद्रीय विद्यालय लैंसडाउन तीसरे स्थान पर रहा। एक भारत श्रेष्ठ भारत के अंतर्गत आयोजित समूह नृत्य प्रतियोगिता में केंद्रीय विद्यालय एफआरआई देहरादून प्रथम तथा केंद्रीय विद्यालय क्रमांक-2 रुड़की दूसरे स्थान पर रहा। शास्त्रीय नृत्य प्रतियोगिता में केंद्रीय विद्यालय उत्तरकाशी की कक्षा-11 की वंशिका प्रथम तथा केंद्रीय विद्यालय एफआरआई देहरादून की कक्षा-11 की अनन्या बिष्ट दूसरे स्थान पर रही। शास्त्रीय संगीत गायन प्रतियोगिता में केंद्रीय विद्यालय एफआरआई देहरादून की कक्षा-9 की अंशिका शर्मा प्रथम तथा केंद्रीय विद्यालय ऋषिकेश की कक्षा-11 की दिया शाह दूसरे स्थान तथा केंद्रीय विद्यालय क्रमांक-2 रुड़की की कक्षा-10 की सिमरन भंडारी तृतीय स्थान रही। इंस्ट्रुमेंटल म्यूजिक परकुसिव में केंद्रीय विद्यालय क्रमांक-2 रुड़की के कक्षा-9 के आयुष प्रथम स्थान पर रहे जबकि इंस्ट्रुमेंटल म्यूजिक मेलोडिक में केंद्रीय विद्यालय क्रमांक-2 रुड़की की कक्षा 10 की मधु सुमन प्रथम स्थान पर रही। ड्रामा सोलो एक्टिंग में केंद्रीय विद्यालय एफआरआई देहरादून की कक्षा-11 की आकांक्षा रावत प्रथम स्थान पर रही तथा केंद्रीय विद्यालय उत्तरकाशी की कक्षा-12 की सोनालिका दूसरे स्थान पर रही तथा केंद्रीय विद्यालय लैंसडाउन की कक्षा-9 की आरुषी बंदूनी तृतीय स्थान पर रही। मुख्य अतिथि श्रीमती अनीता बिष्ट तथा उप-प्राचार्या श्रीमती अंजू सिंह द्वारा सभी विजयी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। अपने संबोधन में प्राचार्य चन्द्र शेखर बिष्ट ने कहा कि कला और शिल्प की शिक्षा शिक्षार्थियों के व्यक्तित्व के विकास का उपयोगी माध्यम है। व्यक्तित्व और सौन्दर्यबोध के विकास, प्रवृत्तियों और मूल्यों के निर्माण में कला का प्रत्यक्ष योगदान है। इसका उपयोग विद्यालय की शैक्षिक प्रक्रियाओं को रोचक बनाने में किया जा रहा है। विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि श्रीमती अनीता बिष्ट ने कहा कि ये कलायें ही विद्यार्थी की उत्सुकता, कल्पना, सृजन, सौन्दर्यानुभूति को विकसित कर सकती हैं। विभिन्न कलायें जैसे चित्रकला, मूर्तिकला, सज्जात्मक कला, संगीत, नृत्य, थियेटर, ड्रामा आदि के माध्यम से विद्यार्थियों को उसकी कलात्मक क्षमताओं को प्रकट करने एवं अभिव्यक्त करने का अवसर प्राप्त होता है। उप प्राचार्या श्रीमती अंजू सिंह ने कहा कि कला शिक्षण का उद्देश्य सिर्फ कलाकार का निर्माण नहीं बल्कि कलाबोध और कलात्मक व्यवहार को विकसित करना है। कला शिक्षा विद्यार्थियों के सृजनात्मक विकास के लिये महत्त्वपूर्ण उपयुक्त माध्यम के रुप में पाठ्यक्रम का अभिन्न हिस्सा है।

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