रूड़की। ( आयुष गुप्ता )
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओबीसी वर्ग के कल्याण के लिए अनेकों ऐतिहासिक फैसले लिए, यही नहीं ओबीसी समाज को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री ने अनेकों योजनाएं भी चलाई। आज सिविल लाइन डाक बंगला में पत्रकारों से वार्ता करते हुए भाजपा ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश गिरी ने कहा कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को एससी/एसटी की भांति संवैधानिक दर्जा दिलाने हेतु पिछले संसद सत्रों में भाजपा पूरा प्रयास कर रही है, किंतु कांग्रेस के असहयोग और विरोध के परिणाम स्वरूप राज्यसभा में बहुमत न होने के कारण यह बिल अभी तक पारित नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि शीतकालीन सत्र में बिल पास कर आयोग को संवैधानिक दर्जा दे दिया गया है। उन्होंने कहा कि पिछड़े वर्ग की जातियों की केंद्रीय सूची के वर्गीकरण हेतु केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2017 में न्यायमूर्ति रोहिणी की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया, जो इस कार्य को 30 मई 2019 तक संपन्न करेगा। जिससे अति पिछड़ी जातियों को भी आरक्षण का लाभ मिल सकेगा। वहीं क्रीमी लेयर की सीमा को 6 लाख से बढ़ाकर 8 लाख कर दिया गया है। पीएसयू के कर्मचारियों के बच्चों को भी आरक्षण का लाभ दिए जाने का प्रावधान किया गया है, जो पहले नहीं दिया जा रहा था। ओबीसी पिछड़ा वर्ग के प्रमाण पत्र जारी किए जाने की प्रक्रिया का सरलीकरण किया गया है, पहले दो राजपत्रित अधिकारियों द्वारा सत्यापन कराया जाना अनिवार्य था, अब एक अधिकारी और स्वयं घोषित एफिडेविट काफी है, जिससे आम आदमी को राहत मिली और आगे भी इसे ओर सरल बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि जो ओबीसी प्रतिभागी ओबीसी वर्ग को दी जाने वाली रियायतें के बिना सामान्य वर्ग के कट-ऑफ में आता है, उसे सामान्य वर्ग में चयनित किया जाएगा, जो पूर्व काल में ओबीसी में ही गिना जाता था। जिससे हर वर्ष सैकड़ों उम्मीदवार पदों पर चयनित होने से वंचित रह जाते थे। उन्होंने कहा कि समूह ग सरकारी नौकरियों में भर्ती के लिए केवल लिखित परीक्षा ही आधार होगा। साक्षात्कार वर्ग ग की नौकरियों के लिए समाप्त कर दिया गया है। ऑफिस के प्रत्याशियों को इस छूट का सबसे अधिक लाभ होगा। उन्होंने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग एवं अनुसूचित जाति के उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए 50 लाख से लेकर 15 करोड़ तक की राशि का ऋण प्रदान करने के लिए वेंचर कैपिटल स्कीम आरंभ की गई है। सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए नौकरियों व शिक्षण संस्थाओं में 10% आरक्षण का प्रावधान है। प्रधानमंत्री मोदी ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को भी 10% आरक्षण देने का ऐतिहासिक निर्णय लेकर 2019 के प्रारंभ में ही इतिहास रचा था। यह आरक्षण पहले से ही प्रदत्त ओबीसी/एसटी के 49.5% से अलग होना, अतः वहीं एक ओर आरक्षण के संवैधानिक प्रावधान को बरकरार रखा है। दूसरी ओर सभी वर्गों के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को आरक्षण देकर सामान्य वर्ग में व्याप्त कड़वाहट को कम किया है। उन्होंने कक्षा एक से बारहवीं तक प्रदेश में सैनिक, नवोदय एवं केंद्रीय विद्यालयों में 27% का आरक्षण का ऐतिहासिक फैसला लिया। 45 दिनों से ज्यादा स्थाई/अस्थाई पदों की भर्ती में आरक्षण होगा, 30 वर्षों से कांग्रेस सरकार ने पीएमओ के क्रीमी लेयर आदेश का हिंदी अनुवाद गलत किया था, जिसका हवाला देकर ओबीसी को पदों से वंचित किया जाता था उसे ठीक कराया, सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए छात्रों को सामान्य वर्ग के न्यूनतम पात्रता से 10% अंकों की छूट ओबीसी का मानक होगा, पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम ने 175709 करोड़ का ऋण दिया, कौशल विकास योजना 41822 व्यक्तियों को रोजगार दिया, पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए 145500 से बढ़ाकर 2.5 लाख प्रतिवर्ष की, ओबीसी के बजट में 51% की वृद्धि की गई, भारत के सभी मेडिकल विश्वविद्यालय में आरक्षण की सुविधा को सरलीकृत कराया गया, भारत के शैक्षणिक विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफेसर व अन्य पदों के लिए आरक्षण की योजना अनुसार नियुक्ति, केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार में अन्य पिछड़ा वर्ग के 27 सांसदों को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल कर पिछड़ा वर्ग को उचित सम्मान दिया, नीट, यूजी,पीजी एडमिशन 2021 केंद्र सरकार ने मेडिकल छात्र छात्राओं को बड़ी राहत दी। सरकार ने मेडिकल कोर्सेज में प्रवेश के लिए आयोजित होने वाली नीट, यूजी, पीजी परीक्षा में इस शैक्षणिक वर्ष से आरक्षण को लागू करने का फैसला लिया, इसके तहत आदेशों के अनुसार अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण और आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग, ईडब्ल्यूएस के लिए 10% आरक्षण लागू किया, अखिल भारतीय कोटा के तहत इस आरक्षण से लगभग 5.500 छात्रों को लाभ होगा। साथ ही मेडिकल, डेंटल कोर्स (एमबीबीएस/एमडी/ एमएस/ डिप्लोमा/बीडीएस/एमडीएस) भी इस आरक्षण के दायरे में आयेंगे।

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