रुड़की।  ( आयुष गुप्ता ) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा आनंद स्वरुप आर्य सरस्वती विद्या मंदिर रुड़की में एक अक्टूबर से प्राथमिक शिक्षा वर्ग चलाया जा रहा हैं, जिसमें 200 स्वयंसेवक प्रशिक्षण ले रहे हैं। जिसमंे स्वयंसेवक योग, आसन, खेल, प्राणायाम, सूर्य नमस्कार, प्रार्थना, दण्ड प्रहार, गणगीत, एकल गीत, अमृत वचन का प्रशिक्षण ले रहे हैं। डॉ. नरेन्द्र सिंह ने कहा कि संघ के द्वितीय सर संघ चालक माधवराव सदाशिव गोवलकर ने देश की आजादी से पहले एवं बाद में राष्ट्रवाद की अलख जगाई। उन्होंने 1947 में जम्मू कश्मीर के महाराजा हरि सिंह से भारत में विलय पत्र दिलवाया। जिससे कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बना। 1962 के चीनी युद्ध में सरकार और सेना का जनता द्वारा मनोबल बढ़ाने के लिए स्वयंसेवकों द्वारा सीमा पर युद्ध सामग्री पहंुचाकर सेना की मदद की गई। 1963 की गणतंत्र दिवस परेड में 3 हजार गणवेश धरी स्वयंसेवकों ने संघ घोष के साथ मार्च किया। 1965 के पाकिस्तान युद्ध में पीएम लाल बहादुर शास्त्री द्वारा राजनेताओं की बैठक में गुरू को आमंत्रित किया। वह भारत के विभाजन के खिलाफ थे। 1971 के बांग्लादेश युद्ध में भारतीय सेना द्वारा 92 हजार पाकिस्तानी सैनिकों के आत्मसमर्पण कराने पर रक्षामंत्री बाबू जगजीवन राम को पत्र लिखा और अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज कराने का आहवान किया था। साथ ही गांधी हत्या का झूठा आरोप लगाकर संघ पर प्रतिबंध हटाने के लिए नारा देते हुए आरोप सिद्ध करो या प्रतिबंध हटाओ, जेल भरो सत्याग्रह शुरू किया। जिसमें 77 हजार 90 स्वयंसेवकों द्वारा अपनी गिरफ्तारी दी गई और आरोपों के अभाव में संघ से प्रतिबंध हटाया गया। गुरूजी भाषावार प्रांतों के विभाजन के विरूद्ध थे, उनके कार्यकाल में संघ द्वारा समाज के प्रत्येक क्षेत्र में राष्ट्रवाद को प्रेरित करते हुए अनुसांगिक संगठनों का निर्माण हुआ। उनका व्यक्तित्व एवं कृतित्व महान था। जिससे देश, समाज और राष्ट्र परम वैभव प्राप्त करेगा।

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