रुड़की।  ( बबलू सैनी ) सिद्धेश्वर महादेव मंदिर सिविल लाईन रुड़की में चल रही 7 दिवसीय संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन बुधवार को कथावाचक आचार्य रमेश सेमवाल ने कृष्ण-रुकमणी के मिलन व उनके विवाह का प्रसंग सुनाया। साथ ही कृष्ण के गरीब मित्र सुदामा के भगवान से मिलने आने का सुंदर वर्णन किया। कथा के अंत में कृष्ण के सशरीर दिव्यलोक पहुंचने का वर्णन भी किया। संत ने लोगों को जीवन के उद्धार के लिए कलयुग में हरि कीर्तन करने को कहा। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को हाथ से काम, मुख से राम का जाप करना चाहिए। संत ने लोगों को प्रेरणा स्रोत बनने का आग्रह किया। वहीं वसुदैव कुटुम्बकम को आधार बताते हुए सम्पूर्ण विश्व को अपना परिवार मानकर चलने की बात कही। कथा में मुख्य यजमान के रुप में पहुंचे डॉ. अनिल शर्मा ने गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरु की महत्ता पर प्रकाश डाला। भाजपा उत्तराखण्ड पॉलिसी रिसर्च विभाग के प्रदेश सह-संयोजक डॉ. अनिल शर्मा ने कहा कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन छात्र अथवा शिष्यों द्वारा अपने गुरुओं की पूजा की जाती है। दरअसल गुरु की पूजा का विधान इसलिए है, क्योंकि भारतीय संस्कृति में गुरुओं का स्थान देवों से भी उच्च माना गया है। गुरु की कृपा से एक शिष्य कुछ भी अपने जीवन में हासिल कर सकता है। गुरु पूर्णिमा को मनाने के पीछे पौराणिक मान्यता है कि महर्षि वेदव्यास इस पृथ्वी में समस्त मानव जाति के गुरु हैं। इसलिए गुरु पूर्णिमा के अवसर पर लोग महर्षि वेदव्यास के चित्र का पूजन कर उन्हें याद करते हैं। माना जाता है आज से 3,000 वर्ष पूर्व महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था। उनके द्वारा रचित ग्रंथ लोगों के जीवन के लिए बहुउपयोगी साबित हुए, जिनका आज भी अध्ययन होता है। इसके अलावा मान्यता है कि आज ही के दिन भगवान गौतम बुद्ध ने पहली बार सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया। वहीं योग परंपरा के अनुसार भगवान शिवजी ने इसी विशेष दिन पर सप्त ऋषियों को योग का ज्ञान दिया था। शास्त्रों में गुरु को देवताओं के तुल्य माना गया है। अतः गुरु पूर्णिमा के इस त्योहार को भारत के अनेक राज्यों में शिष्यों द्वारा गुरु की याद में मनाया जाता है। भारत, नेपाल, भूटान जैसे देशों में विभिन्न धर्म के अनुयायाई विशेषकर हिंदू, जैन, बौद्ध धर्म के लोगों द्वारा अपने पारंपरिक रीति रिवाज में गुरु पूर्णिमा के इस त्यौहार को मनाया जाता है। कार्यक्रम में सुंदर भजनों की प्रस्तुति ने सभी का मन मोह लिया। कार्यक्रम में कृष्ण-रुकमणी व सुदामा की मनमोहक झांकियों का भी चित्रण किया गया। जिसे देख हर कोई भाव विभोर हो उठा। कथा के दौरान पांडाल में मौजूद महिला-पुरुष व युवा भक्तिरस में डूबे नजर आए।

By Admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Share