प्रयागराज। ( आयुष गुप्ता )
विश्व गुरु भारत परिषद के स्वामी धर्म दत्त महाराज ने कहा कि संत सनातन संस्कृति के संवाहक कहे गए हैं। संतों के तप बल के कारण ही भारत विश्व गुरु रहा। किन्तु संतों के भेष में कुछ आपराधिक लोगों के आ जाने के कारण संतों की गरिमा को ठेस पहुंची है। ऐसे आपराधिक किस्म के कथित संतों का पर्दाफाश करना भी संतों का ही कार्य है। इसी के चलते आपराधिक किस्म के कथित संतों के खिलाफ सनातन की रक्षा के लिए अब बोलना आवश्यक हो गया है।

 
निरंजनी पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशांनद गिरि भी संत के भेष में अपराधी हैं, जो समाज व कानून की आंख में धूल झोंककर जहां कानून को धोखा दे रहे हैं, वहीं संतों की गरिमा को ठेस पहुंचाने के साथ सनातन को भी हानि पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि स्वामी कैलाशानंद गिरि एक व्यक्ति के अपहरण के मामले में 26 वर्षों से फरार आरोपित हैं। 26 वर्षों में खुलेआम घूम रहे आरोपित कैलाशानंद की आज तक गिरफ्तारी न होने पर भी कानूनी प्रक्रिया व पुलिस की कार्यवाही पर हैरानी होती है।
उन्होंने बताया कि 21 अप्रैल 1997 को कैलाशानंद के खिलाफ अपहरण का आरोप लगा था। जिसके चलते धारा 364 के तहत कैलाश दास शिष्य राम स्वरूप दास ऊर्फ कैलाशानंद ब्रह्मचारी शिष्य गोपालानंद ब्रह्मचारी ऊर्फ कैलाशानंद गिरि शिष्य राजराजेश्वराश्रम तत्कालीन निवासी सीहीपुर मंदिर, पोस्ट अयोध्या, हाल निवासी श्री दक्षिण काली मंदिर चण्डी घाट, पोस्ट श्यामपुर, हरिद्वार के खिलाफ मुकद्मा संख्या 605/97 दर्ज हुआ था।
धर्म दत्त महाराज ने बताया कि मुकद्मा अपृहत संजय पति त्रिपाठी के पिता प्रेम नारायण ने दर्ज करवाया था। कैलाश दास ऊर्फ कैलाशांनद गिरि के साथ प्रेम नारायण यादव चौकीदार निवासी वेदांती जी का मंदिर, जानकी घाट अयोध्या के खिलाफ भी इसी मामले में मुकद्मा दर्ज हुआ था। जिसमें प्रेम नारायण मजबूत पैरवी न होने के कारण बरी हो गया था। तब से लेकर आज तक कैलाश दास ऊर्फ कैलाशांनद गिरि मामले में फरार चल रहा है। इसी के चलते कोर्ट ने कैलाश दास ऊर्फ कैलाशांनद गिरि के खिलाफ कुर्की वारंट जारी किया था। जिसके चलते कैलाश दास ऊर्फ कैलाशांनद गिरि के अयोध्या स्थित मकान की 10 जून 1997 को कुर्की हुई थी। अपनी ऊंची पहुंच के कारण कैलाश दास ऊर्फ कैलाशांनद गिरि आज तक बचता चला आ रहा है। जबकि जिस संजय नामक व्यक्ति का अपहरण किया गया था, उसका आज तक कुछ पता नहीं चला। जबकि कैलाश दास ऊर्फ कैलाशांनद गिरि मजे से जिंदगी यापन कर रहा है।
धर्म दत्त महाराज ने बताया कि कैलाश दास शिष्य रामस्वरूप दास इस घटना के बाद अपनी पहचान छुपाने के लिए गोपालानंद बापू की शरण में जाकर कैलाशांनद ब्रह्मचारी हो गया और इसने अयोध्या छोड़ दी। हरिद्वार आकर बस चुके कैलाशानंद ब्रह्मचारी अब कैलाशानंद गिरि हो गए हैं। वे निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामण्डलेश्वर हैं। कहा कि ऐसे लोगों के धर्म के ऐसे उच्च पद पर बैठे रहने से धर्म को हानि हो रही है। ऐसे लोगों के खिलाफ सरकार को सख्त कार्यवाही करनी चाहिए। जिस व्यक्ति को फरार घोषित किया जा चुका है, जो खुलेआम घुमता है, उसकी आज तक अपहरण जैसे मामले में गिरफ्तारी न होना आश्चर्य की बात है। इस मामले का संज्ञान लेकर अयोध्या पुलिस और यूपी सरकार को ऐसे अपराधिक किस्म के व्यक्ति के खिलाफ शीघ्र कार्यवाही कर उसे जेल की सलाखों के पीछे डालना चाहिए, जिससे पीड़ित को न्याय मिल सके, सनातन धर्म की रक्षा हो सके व संत भेष धारण कर संतों की गरिमा को गिराने वाले के खिलाफ कार्यवाही हो सके। ऐसे व्यक्ति के खिलाफ सभी धर्माचार्यों को भी आगे आना चाहिए।

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