रुड़की।
एनएचएम संविदा कर्मचारी संगठन उत्तराखंड के बैनर तले एनएचएम कर्मियों ने बुधवार को विधायक कुँवर प्रणव सिंह के कैम्प कार्यालय पर पहुंचकर उन्हें अपनी मांगो से सम्बंधित एक ज्ञापन सौंपा।

जिसमें उन्होंने अवगत कराया कि वह समय-समय पर लिखित एवं बैठकों के माध्यम से कर्मियों की न्यायोचित मांगों को मिशन प्रबंधन एवं सरकार के समक्ष रखते आये हैं, किंतु वर्तमान तक कोविड़-19 काल के समय कर्मियों की मांगों पर लिखित एवं मौखिक आश्वासन के अलावा कोई भी सकारात्मक कार्यवाही अमल में नहीं लाई गई, जिससे कर्मियों में हताशा एवं निराशा बनी हुई है।


आज बुधवार को एनएचएम संविदा कर्मी अपनी ज्वलंत मांगों को लेकर विधायक कुंवर प्रणव सिंह के कैंप कार्यालय पर पहुंचे और उन्हें एक ज्ञापन देकर उक्त मांगों के निराकरण की अपील की। उन्होंने विधायक को अवगत कराया कि इस कोविड-19 काल को दृष्टिगत रखते हुए एनएचएम संविदा कर्मियों का सामूहिक बीमा एवं नियमित कर्मियों की भांति गोल्डन कार्ड की सुविधा अविलंब प्रदान की जाए, क्योंकि जहां एक और सभी कर्मी महामारी को परास्त करने हेतु दिन-रात वार रूम, कोविड़ केयर सेंटर, अस्पतालों, कोविड़ टीकाकरण केंद्रों एवं धनात्मक रोगियों के संपर्क अनुरेखण आदि में कार्य कर रहे हैं,

वहीं दूसरी ओर कार्यरत कर्मियों द्वारा विभाग लक्षित स्वास्थ्य सूचकांकों के सुधार हेतु भी निरंतर कार्य किया जा रहा है लेकिन एनएचएम संविदा कर्मियों हेतु वर्तमान में कोई भी स्वास्थ्य सुरक्षा कवच प्रदान नहीं किया गया, एनएचएम संविदा कर्मियों द्वारा कोविड-19 हेतु दिन-रात सेवा दी जा रही हैं और कई कार्मिकों की सेवा काल के दौरान मृत्यु तक हो गई। लेकिन इन कर्मियों के परिजनों को उचित सहायता एवं आर्थिक सहायता प्रदान करने हेतु परिवार के एक सदस्य को अनुकंपा के आधार पर एनएचएम में नौकरी देने की मांग की। साथ ही बताया कि मिशन निदेशक एनएचएम भारत सरकार के द्वारा लॉयल्टी/ एक्सपीरियंस बोनस संबंधी आदेश एनएचएम संविदा कर्मी हेतु अविलंब लागू किए जाने हेतु प्रदेश सरकारों को निर्देशित किया गया था, जिसका लाभ भारतवर्ष के अन्य प्रदेशों के एनएचएम कर्मियों को पूर्व में ही प्राप्त हो चुका है लेकिन उत्तराखंड में जेड सिक्योरिटी नामक प्राइवेट कंपनी के आधार पर उक्त कर्मियों को रखा गया, जो कंपनी इन कर्मियों के वेतन से 18% जीएसटी के रूप में कटौती कर लेती है, जो बचकर इनकी सैलरी मात्र छह से 7,000 ही रह जाती है। ऐसे में वह अपनी दिनचर्या का निर्वहन करें या अपने परिवार का भरण पोषण। इनके सामने जीवनयापन का भारी संकट खड़ा हो गया है साथ ही कोविड़ संक्रमण काल जैसे क्रम में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले एनएचएम कर्मियों को फ्रंटलाइन वर्कर की सुविधाओं का भी कोई लाभ नहीं मिल रहा है। हालांकि उन्होंने कहा कि कोविड़ काल उन्हें इस तरीके से अनशन करना पड़ा, इसके लिए वह बेहद कुंठित है, चूंकि सरकार ने जब इन फ्रंट लाइन वर्करों को ही सुविधाएं नहीं दी तो आखिर उनके पास रास्ता है क्या बचा? क्योंकि इस कोविड़ काल में उनके कई सहयोगियों/कर्मियों ने दम तोड़ दिया और आज उनका परिवार भुखमरी के कगार पर खड़ा उनके देखरेख करने वाला कोई नहीं है? साथ ही संगठन के ब्लॉक सचिव रामकेश गुप्ता ने कहा कि भारत सरकार द्वारा रेशलाइजेशन मद के प्रावधानों के अनुरूप एनएचएम कर्मियों के वेतन विसंगति को दूर करने हेतु 2018-19 से लगातार धनराशि स्वीकृत की जा रही है लेकिन मिशन प्रबंधन के उदासीन रवैया के कारण कर्मियों को इसका लाभ भी आज तक नहीं मिल पाया। साथ ही उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और बीमारियों से लड़ने में एनएचएम वर्करों का सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण योगदान रहता है। क्योंकि धरातल पर रहकर एनएचएम कर्मी ही कार्य को अंजाम देते हैं। बावजूद उसके न तो उन्हें वेतन सही प्रकार से मिल पा रहा है ना ही उन्हें सुविधाएं। इस पर विधायक चैंपियन ने कर्मियों को आश्वस्त किया कि वह जल्दी मुख्यमंत्री से मिलकर इस पत्र को उनके समक्ष रखकर इस पर जल्द ही सकारात्मक निर्णय लेने की मांग करेंगे। वहीं इससे पूर्व कर्मचारियों ने झबरेड़ा विधायक देशराज कर्णवाल को भी एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें उनसे भी उक्त मांगों को लेकर पूरी कराने की मांग की। इस पर विधायक देशराज कर्णवाल ने उन्हें सकारात्मक निर्णय के लिए आश्वस्त किया।

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