रुड़की।
पूरे प्रदेश में कोविड-19 कर्फ्यू के चलते 90% से ज्यादा व्यापार बंद है, केवल मेडिकल से संबंधित, किराना, परचून व्यापारी, डेयरी उद्योग से संबंधित डेरी (दूध विक्रेता) निर्माण सामग्री के विक्रेता, बीज कृषि के उपज के सामान खाद के विक्रेता, केवल खुल रहे हैं। इनमें भी अति आवश्यक वस्तु में किराना, परचून की दुकान सात दिवस में एक बार खुल रही है। यह व्यापार कुल व्यापार का केवल 10% भी नहीं है। ऐसे में जब चारों ओर बैंक, सरकारी कार्यालय, कृषि, निर्माण कार्य, आवश्यक कार्य हेतु तहसील परिसर, स्थानीय निकाय, उद्योग धंधे, (सभी प्रकार की फैक्ट्रियां) निर्बाध रूप से अपने समय के अनुरूप कार्य कर रहे हैं। केवल बाजार ही बंद हैं?
जबकि बाजार स्वतंत्रता के साथ अगर खुलेंगे तो बाजार में भीड़ कम होगी। व्यापारी अपना व्यापार कर सकेंगे तथा किसी को भी निराशा नहीं होगी परंतु पिछले लगभग 45 दिनों से बाजार लगातार बंद चले आ रहे हैं। ऐसे में व्यापारी के अंदर आक्रोश होना स्वभाविक ही है। आज पूरे प्रदेश का व्यापारी आक्रोशित है। आप किसी भी व्यापारी से बात कर ले। वह अपना आक्रोश किन शब्दों में व्यक्त करेगा। आपको आशा भी नहीं होगी, ऐसे में इन व्यापारियों की जायज मांग को स्वीकार करते हुए सरकार को तत्काल ही निर्णय लेकर बाजारों को चरणबद्ध तरीके से खोल देना चाहिए। व्यापारियों ने हर स्तर पर अपना आग्रह सत्तारूढ़ दल के नेताओं से तथा मुख्यमंत्री से शासन के उच्चाधिकारियों से ज्ञापन के माध्यम से व्यक्तिगत रूप से मिलकर कई बार कर लिया है। उस पर भी कोई निर्णय आज तक नहीं हुआ है। जबकि पड़ोसी प्रदेश उत्तर प्रदेश में कोविड-19 के केस कम होते ही उन्होंने बाजारों को सुबह 7:00 बजे से लेकर शाम 7:00 बजे तक के लिए खोल दिया है। उत्तराखंड प्रदेश में भी कोविड-19 के केस अब कम आ रहे हैं और अन्य जिलों में भी केसों की संख्या बहुत कम है हरिद्वार जिले में तो केवल 200 से नीचे ही केस रह गए हैं। ऐसे में बाजार बंद रखना कोई औचित्य पूर्ण निर्णय नहीं है। व्यापारी भी सावधानी रखेंगे, निगरानी सरकार जरूर रखें। निगरानी के लिए सरकार के पास पर्याप्त संसाधन है, जिनका उपयोग आज भी सरकार बाजार में कर रही है। अगर उत्तराखंड सरकार शासन प्रशासन के द्वारा व्यापारियों के हित में जल्द ही कोई निर्णय नहीं लिया गया तो व्यापारी धरने और प्रदर्शन या बुद्धि, शुद्धि यज्ञ को करने को विवश होंगे।

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