रुड़की।
उत्तराखंड ज्योतिष परिषद के अध्यक्ष धर्म गुरु आचार्य पंडित रमेश सेमवाल ने बताया कि आगामी 20 जून रविवार 2021को गंगा दशहरा मां गंगा मनुष्य मात्र के कल्याण के लिए धरती पर आई धरती पर इनका “अवतरण” जेष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी को हुआ।

अतः यह तिथि उनके नाम पर गंगा दशहरा के नाम से प्रसिद्ध हुई। यदि इस तिथि को बुधवार और हस्त नक्षत्र हो तो, यह तिथि सब पापों का हरण करने वाली होती है। इस वर्ष गंगा दशहरा 20 जून रविवार को है। जेष्ठ शुक्ल दशमी संवत्सर का मुख कही जाती है। इस दिन स्नान और दान का विशेष महत्व है। इस तिथि को गंगा स्नान एवं श्री गंगा जी के पूजन से 10 प्रकार के पापों 3 कायिक 4 वांचिक तथा तीन मानसिक का नाश होता है।

इसलिए इसे दशहरा कहा गया है। इस दिन गंगा जी में अथवा सामर्थ ना हो तो समीप की किसी पवित्र नदी या सरोवर के जल में स्नान कर गंगा जी का ध्यान करें। पूजा में यथाशक्ति 10 प्रकार के पुष्प, 10 दीपक, 10 प्रकार के नैवेध, 10 तांबूल एवं 10 फल होने चाहिए। दक्षिणा भी 10 ब्राह्मणों को देनी चाहिए, किंतु उन्हें दान में दिए जाने वाले जो और तिल 16 व 16 मुट्ठी होनी चाहिए। भगवती गंगा जी पाप हरणी है। 10 प्रकार के पापों की निवृत्ति के लिए सभी वस्तुएं 10 की संख्या में निवेदित की जाती है। इस दिन सत्तू का दान और मां गंगा का पूजन का विशेष महत्व है। गंगा दशहरा पर विशेष यज्ञ करें, गंगा स्नान करें, दान करें, मंत्र जाप करें, साधना करें, उपासना करें। गंगा पूजन का एक करोड़ गुना फल मिलता है।

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