रुड़की।  ( आयुष गुप्ता ) जल संसाधन विकास और प्रबंधन विभाग द्वारा आईआईटी रुड़की में ‘जलवायु और मौसम संबंधी चरम घटनाएं’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का चरम मौसमी घटनाओं से निपटने की सिफारिशों के साथ समापन हुआ। राष्ट्रीय मध्यावधि मौसम पूर्वानुमान केन्द्र, नोएडा के निदेशक डॉ. ए.के. मित्रा ने समापन सत्र को संबोधित किया। उन्होंने चरम मौसमी

घटनाओं के विशेष संदर्भ में मौसम पूर्वानुमान के क्षेत्र में राष्ट्रीय मध्यावधि मौसम पूर्वानुमान केन्द्र के योगदान पर प्रकाश डाला। उनका संबोधन मुख्य रुप से निर्बाध मॉडलिंग सिस्टम, आर्टिफिसियल इंटेलीजेंट और मशीन लर्निंग जैसी तकनीक का चरम मौसमी घटनाओं के पूर्वानुमान में योगदान पर केन्द्रित रहा। आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजीत के. चतुर्वेदी ने सफल आयोजन के लिए आयोजन समिति की सराहना की और प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह सम्मेलन जलवायु और मौसम से संबंधित चरम घटनाओं जैसे- बाढ़, सूखा, लू, शीत लहर, चक्रवात, आकाशीय बिजली इत्यादि की घटनाओं से निपटने के लिए प्रतिभागियों द्वारा की गई सिफारिशों के रूप में एक परिणाम के साथ समाप्त हुआ है। सम्मेलन में प्रस्तुत किये गए शोध पत्रों में सर्वश्रेष्ठ तीन प्रस्तुतियों को डॉ. मित्रा तथा प्रो. चतुर्वेदी द्वारा सम्मानित किया गया। इससे पहले कांप्रफेंस के अध्यक्ष तथा जल संसाधन विकास एवं प्रबन्धन विभागाध्यक्ष प्रो. आशीष पाण्डेय ने अतिथियों व प्रतिनिधियों का स्वागत किया। आयोजन सचिव प्रो. मोहित प्रकाश मोहंती ने दो दिवसीय सम्मेलन की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि पर्यावरण परिवर्तन और आपदा प्रबंधन में कुल 96 शोध पत्र प्रस्तुत किये गए हैं। दो दिवसीय कांफ्रेंस की सिफारिशों में मॉडलिंग, पूर्वानुमान और शमन उपाय शामिल हैं। इन सिफारिशों के अनुसार संस्थानों को सरकारी, गैर-सरकारी और स्थानीय समुदायों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है, ताकि जलवायु और मौसम की चरम घटनाओं जैसेः चक्रवात, बाढ़, ग्लेशियर के पिघलने, बवंडर और सूखे इत्यादि की घटनाओं से होने वाले दुष्प्रभाव को कम किया जा सके। सम्मेलन को सिंगल यूज प्लास्टिक उत्पादों से दूर रखते हुए आयोजकों ने बड़ा संदेश दिया। पूरे कार्यक्रम के दौरान प्लास्टिक की बोतलों और फाइबर ग्लास के बजाय कांच से बनी पानी की बोतलों और कागज के गिलास का इस्तेमाल किया गया। समापन सत्र का संचालन जल संसाधन विकास एवं प्रबन्धन विभाग की सहायक प्राध्यापक प्रो. कृतिका कोठारी तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रो. बसंत यादव ने प्रस्तुत किया।

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