रुड़की। ( आयुष गुप्ता ) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की सदैव अत्याधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी समाधान देते हुए आने वाले कल को सही दिशा देने के लिए प्रतिबद्ध रहा है। संस्थान ने एक अत्याधुनिक लैब ‘रॉक एंड फ्लुइड मल्टीफिजिक्स लेबोरेटरी’ की स्थापना कर इस दिशा में बड़ा कदम उठाया।
लैब का उद्घाटन पद्म भूषण डॉ. विजय कुमार सारस्वत सदस्य, नीति आयोग ने किया। इस मौके पर प्रो. अजीत के. चतुर्वेदी निदेशक आईआईटी रुड़की, प्रो. मनोरंजन परिदा उप निदेशक आईआईटी रुड़की और प्रो. अक्षय द्विवेदी डीन एसआईआरसी, आईआईटी रुड़की की मौजूदगी देखी गई। समारोह की गरिमा बढ़ाते हुए प्रो. मनिका प्रसाद कोलोराडो स्कूल ऑफ माइन्स, यूएसए, प्रो. आनंद जोशी पृथ्वी विज्ञान प्रमुख, और आईआईटी रुड़की के फैकल्टी के गणमान्य लोग और विद्यार्थी भी मौजूद रहे। लैब में भू-विज्ञान और पेट्रोलियम इंजीनियरिंग के अत्याधुनिक उपकरण और प्रौद्योगिकियां मौजूद हैं। यहां मल्टीफिजिक्स और मल्टीस्केल एक्सपेरिमेंट्स की सुविधा है। साथ ही, फिजिबलिटी मॉडल बनाकर ऊर्जा कंपनियों के लिए ऊर्जा संसाधन खोज और विकास के लक्ष्यों में सफलता की दर बढ़ाएगा। इस तरह कथित कंपनियां आम और अक्षय ऊर्जा संसाधनों का लाभ लेने में अधिक सफल रहेंगी। लैब में मौजूद लो-फ्रिक्वेंसी सिस्टम वास्तविक परिस्थिति के तहत 0.1 हर्ट्ज से 3000 हर्ट्ज की सीमा में भूकंप संभावित चट्टानांे की प्रतिक्रियाओं का परिवर्तनशील अनुमान देने में सक्षम होगा। यह लैब हाइड्रोस्टेटिक पूर्वानुमान के तहत स्वस्थानीय जलाशय का प्रतिरूपण करता है। स्यूडो ट्राइएक्सियल सेट अप अधिक यथार्थ उप-सतह परिस्थितियों के तहत खनिज संपदा बनने में इलास्टिक और संबंधित भू-यांत्रिक विशेषताओं का स्टैटिक ;0 हर्ट्जद्ध अनुमान देता है। भूकंप संभावित क्षेत्रों के परीक्षण अलावा यह लैब ‘रेसिस्टिविटी डोमेन्स’ के अवलोकन में भी सक्षम होगा, जो स्पेक्ट्रल इंड्यूस्ड पोलराइजेशन (एसआईपी) माप और कटियन एक्सचेंज कैपिसिटी (सीईसी) माप जैसी किफायती और गैर-विनाशक प्रौद्योगिकियों के उपयोग से संभव होगा। यह बहु-भौतिकी दृष्टिकोण चट्टान और तरल पदार्थ की भौतिक प्रक्रियाओं और लैब में उनके बीच परस्पर प्रतिक्रियाओं को समझने में सहायक है और क्षेत्र की माप समझने में उच्च स्तरीय अवलोकन को बढ़ावा देगा। उप-सतहों के विभिन्न घटक और पर्यावरण के दृष्टिकोण से जटिलता के मद्देनजर ऊर्जा संसाधन की पहचान और कैरेक्टराइज करना बहुत चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसका समाधान बहुभौतिकी प्रयासों से इन चट्टानों में मौजूद बहुमूल्य ऊर्जा संसाधनों को अनलॉक करना है। जहां भौतिकी के प्रत्येक सिद्धांत की सीमाएं अनिश्चितता को न्यूनतम करते हुए सभी के तालमेल से समाधान प्राप्त करने में मदद करती हैं। आईआईटी रुड़की के रॉक एंड फ्लूइड मल्टी-फिजिक्स लैब यह लक्ष्य पूरा करने के लिए हर तरह से तैयार है। यह लैब सामान्य (अधिक होमोजीनस और अधिक पारगम्य) और जटिल (बहुत विषम और बहुत कम पारगम्य) संरचनाओं समेत हाइड्रेट्स और भूतापीय प्रणालियों में तेल और गैस भंडार के कैरेक्टराइजेशन की चुनौतियां दूर करने में सक्षम है। साथ ही, शेल्स, कार्बन सम्पन्न संसाधन, कार्बोनेट्स, कोयले, खारा जलभंडार, कोयले और ज्वालामुखी चट्टान जैसी संरचनाओं के मद्देनजर कार्बन के उपयोग और भंडारण की संभावना का अध्ययन भी कर सकता है। इसलिए, यह लैब भू-वैज्ञानिकों और पेट्रोलियम इंजीनियरों को पृथ्वी के अंदर होने वाली भौतिक प्रक्रियाओं की अंतदृष्टि प्राप्त करने और संभावित अनिश्चितता को न्यूनतम रखते हुए बहुत अनुशासित निर्णय लेने में महत्वपूर्ण साबित होगा। आईआईटी रुड़की के रॉक एंड फ्लुइड मल्टी-फिजिक्स लेबोरेटरी के प्रभारी प्रोफेसर रवि शर्मा, पीएच.डी. ने कहा, ‘हम इस लैब में एक साथ रॉक फिजिक्स मॉडलिंग के प्रयोग करते हुए चट्टानों, तरल पदार्थों और बेंचटॉप पर एवं इन-सिटू उनके बहु-भौतिक गुणों का परीक्षण करते हैं। उप-सतह के गुणों को वापस पलटना तो बहुत चुनौतीपूर्ण है लेकिन हमारे लैब के महत्वपूर्ण फिजिबलीटी मॉडल तेल और गैस, हाइड्रेट्स और भू-तापीय संसाधनों की संभावना समझने के के सिलसिले में अनिश्चितता कम करने में जरूर मदद कर सकते हैं।’ नीति आयोग के सदस्य डॉ. विजय कुमार सारस्वत ने कहा कि ‘इस तरह के अत्याधुनिक लैब उपसतह की जटिल संरचना में मौजूद ऊर्जा संसाधनों की खोज और विकास की बदलती चुनौतियां दूर करने के लिए बहुत सही हैं। यह लैब कार्बन पृथक्करण के प्रयासों को बढ़ावा देगा और संबंधित परिणामों को लैब में विकसित फिजिबलिटी मॉडलों की मदद से बेहतर समझने में भी मदद करेगा। उन्होंने प्रो. शर्मा को शुभकामनाएं देते हुए आशा जताई कि निकट भविष्य में इस लैब से कुछ ऐसे समाधान आएंगे, जो कार्य क्षेत्र में बहुत उपयोगी होंगे। आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजीत के चतुर्वेदी ने कहा कि ‘आईआईटी रुड़की का द रॉक एंड फ्रलुइड मल्टी- फिजिक्स लेबोरेटरी की जगह बहुत अच्छी है। यह हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं के नजदीक है और पास ही एक राष्ट्रीय तेल कंपनी का मुख्यालय है। यह लैब पेट्रोलियम इंजीनियरिंग प्रोफेशन, भूजल खोज और संसाधन के कैरेक्टराइजेशन में बड़ा योगदान देगा और ऊर्जा संसाधनों की खोज में सस्टेनेबलिटी के मानक पर मिसाल बनेगा।