रुड़की। ( आयुष गुप्ता )
विद्युत नियामक आयोग द्वारा विगत दिवस की गई सुनवाई में अपनी शिकायतों के निस्तारण न होने से क्षुब्ध राजेंद्र चौधरी एडवोकेट ने अपने आवास पर पत्रकार वार्ता करते हुए बताया कि सरकार द्वारा जिस ढंग से विद्युत दरों में बढ़ोतरी की जा रही है। वह बिल्कुल गलत है। सरकार के इशारे पर नियामक आयोग ने अप्रैल व दिसंबर माह में दो बार विद्युत दरों में बढ़ोतरी की। उन्होंने कहा कि यह विद्युत दरों में बढ़ोतरी जनता पर महंगाई का बोझ डाल रही है और इस बढ़ोतरी को लेकर किसी नियमों का हवाला भी नहीं दिया गया। इस बढ़ोतरी में पूर्व के नियमों को ताक पर रखकर विद्युत दरों में बढ़ोतरी की गई। उन्होंने कहा कि घरेलू प्रयोग के लिए जहां विद्युत दर 6.35 रुपये से 7.15 रुपये तक है, तो वहीं उद्योगों के लिए 5.65 रुपये तक है, जो आम जनता के लिए बहुत ही दुखद है। उन्होंने कहा कि सरकार उद्योगों को बढ़ावा देने का काम कर रही है और आम आदमी को नोंच रही है। उन्होंने कहा कि इस महंगाई के दौर में भाजपा जनता का खून चूस रही है और भाजपा के नेता जनता को राहत देने की झूठी बात करते हैं। उत्तराखंड ऊर्जा प्रदेश होने के बावजूद यहां के उपभोक्ताओं को बहुत ज्यादा महंगी दरों पर बिजली उपलब्ध कराई जा रही है। जबकि यहां के उपभोक्ताओं को बिजली मुफ्त देनी चाहिए। जबकि रेलवे विभाग को भी उत्तराखंड से बिजली सप्लाई की जाती है, जबकि उसे सीधा सेंटर ग्रेड से विद्युत लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि 27 करोड रुपए की बिजली बिना नियमों को ताक पर रखकर बेच दी गई ओर एक बड़ा घोटाला किया गया, जिसका आज तक कोई खुलासा नहीं हो पाया। इस मुद्दे पर भाजपा सरकार आंख मूंदे बैठी है। कृषि से जुड़े मुद्दे पर उन्होंने आवाज उठाई, कि खेती और पशू पालन करने वाले किसानों को कम दर पर बिजली उपलब्ध कराई जाए ताकि वह अपनी रोजी-रोटी कमा सकें। राजेन्द्र चौधरी एडवोकेट ने कहा कि वह जनहित की समस्या को देखते हुए लगातार 2005 से विद्युत नियामक आयोग की जन सुनवाई में महंगाई व विद्युत दरों का मुद्दा उठाते आ रहे है। लेकिन न तो सरकार और न ही आयोग ने आज तक कोई भी ठोस कदम उठाया। क्योंकि वित्त वर्ष में एक बार रेट बढ़ता है, लेकिन पिछले वित्तीय वर्ष में दो बार रेट बढ़ाये गये। यदि इस मुद्दे पर कोई ठोस सुनवाई नही हुई, तो वह सड़क पर उतरकर आंदोलन करने को बाध्य होंगे। साथ ही बताया कि विभाग द्वारा लोगों से जबरन फिक्स चार्ज वसूल किया जा रहा है, जो गलत है। यह फिस्क चार्ज उन लोगों से वसूल किया जाए, जो कनेक्शन लेने के बाद सालों-साल अपना घर छोड़कर कहीं अन्यत्र जगह रहने चले जाते है। जबकि आम उपभोक्ता बिजली का प्रयोग करता है, इसलिए उसे फिक्स चार्ज के दायरे से बाहर किया जाए, उन्होंने यह भी बताया कि विभाग ग्रीन सेस का चार्ज भी आम उपभोक्ता से वसूल कर रहा है, जो पूर्णतः गलत है, क्योंकि आम उपभोक्ता को विद्युत दर ज्यादा कीमत पर उपलब्ध कराई जा रही है, इसलिए उपभोक्ताओं को इस चार्ज से मुक्ति मिलनी चाहिए। साथ ही उन्होंने शहीद सैनिकों, किसानों, पशु पालकों को बिजली मुफ्त उपलब्ध कराए जाने की भी मांग की।