रुड़की। ( आयुष गुप्ता ) आईआईटी रुड़की के जल संसाधन विकास एवं प्रबंधन विभाग द्वारा चतुर्थ डाॅ. ए0एन0 खोसला स्मृति व्याख्यान माला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता आईआईटी धारवाड़ के निदेशक प्रो. वी0आर0 देसाई ने ‘साइंटिफिक प्रमोशन आॅफ वाटर हार्वेस्टिंग एंड वोलंटरी अफ्फोरेस्टशन थू्र ट्रेडिशनल इंडियन नाॅलेज सिस्टम’ विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। प्रो. देसाई ने ऋग्वेद के श्लोक का उदाहरण करते हुए आयुर्वेद में वर्णित वर्षा जल की शुद्धता पर जोर दिए जाने का उल्लेख करते हुए बताया कि यजुर्वेद और अथर्ववेद में भी शुद्ध जल का महत्व बताया गया है। उन्होंने कहा कि शुद्ध वर्षा जल, नदी जल और भूजल को बढ़ावा देने की प्राचीन भारतीय परंपरा के कारण भारत के प्रत्येक पारिस्थितिक क्षेत्र के लिए विशिष्ट जल संचयन परंपराओं का विकास हुआ। प्रो. देसाई ने कहा कि भारत देश में जल गुणवत्ता और जल संरक्षण के साथ-साथ जल संचयन तकनीक पर पारंपरिक ज्ञान की एक समृद्ध विरासत है। उन्होंने बताया कि जल संचयन के पारंपरिक ज्ञान को वैज्ञानिक प्रबंधन विधियों के साथ जोड़ने की आवश्यकता है। जल संचयन अब जलवायु परिवर्तन के जल संसाधनों से संबंधित प्रभावों के प्रकटीकरण के साथ अधिक प्रासंगिक होता जा रहा है, जिसके कारण न सिर्फ वर्षा की तीव्रता में वृद्धि हुई है, बल्कि बाढ़ और सूखे की आवृत्ति में भी वृद्धि हुई है। बाढ़ के पानी की कुछ मात्रा का भी यदि उचित भंडारण कर लिया जाये, तो बाढ़ और सूखे दोनों के दौरान पीने और अन्य गैर-पीने योग्य पानी की समस्याओं को दूर किया जा सकता है। कार्यक्रम की शुरुआत में आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. के.के. पंत ने जल संचयन की महत्ता का जिक्र करते हुये कहा कि आज देश में शुद्ध जल की मांग उसकी उपलब्धता से कही अधिक है, जिसकी 2050 तक 20 से 30 प्रतिशत बढ़ने की संभावना है। प्रो. पंत ने बताया कि प्राचीन काल में शुद्ध मात्रा में जल की उपलब्धता थी और लोग उसका संचय करके उसे दैनिक कार्यों में उपयोग करते थे। इससे पहले जल संसाधन विकास एवं प्रबंधन विभागाध्यक्ष प्रो. आशीष पाण्डेय ने विभाग के संस्थापक पद्म विभूषण डाॅ. ए.एन. खोसला के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। प्रो. थंगाराज ने मुख्य वक्ता प्रो. देसाई का परिचय भाषण प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. कृतिका कोठरी तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रो. दीपक खरे ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में सिविल इंजीनियरिंग विभागाध्यक्ष प्रो. प्रवीन कुमार, जल संसाधन विभाग से प्रो. मोहित प्रकाश मोहंती, राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान से डाॅ. ए.के. लोहानी तथा डाॅ. पी.सी. नायक सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी, संकाय सदस्य व कर्मचारी मौजूद रहे।