रुड़की। ( आयुष गुप्ता )
आईआईटी रुड़की स्थित सरस्वती मंदिर के आचार्य राकेश कुमार शुक्ला ने श्री कृष्ण जन्माष्टमी 6 व 7 सितंबर 2023 पर स्पष्ट ब्यान देते हुए कहा कि इस बार जन्माष्टमी पर कोई संदेह नही है। जयंती योग एवं सर्वर सिद्धि योग में पढ़ने से यह जन्माष्टमी होगी अत्यंत खास। इसके अलावा 30 वर्ष बाद शनि देव अपनी राशि में करेंगे गोचर। इस बार जन्माष्टमी पर भगवान श्री कृष्ण के जन्म जैसा बहुत ही सुंदर एवं दुर्लभ योग बनेगा। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। भविष्य पुराण के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास की कृष्ण अष्टमी को वृष राशि के चंद्रमा में रोहिणी नक्षत्र तथा बुधवार के दिन हुआ था। इस तरह का योग इस बार पुनः पढ़ रहा है। इसे जयंती ही कहा गया है। इस जयंती योग में पूजन व्रत उपवास आदि करने से तीन जनों के पाप नष्ट होते हैं। इस बार जन्माष्टमी को लेकर के संशय की स्थिति नहीं बन रही है। क्योंकि जन्माष्टमी प्राय दो दिन हुआ करती है। इस वर्ष दिनांक 6 सितंबर को दिन में 3:30 बजे के बाद अष्टमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी और अगले दिन लगभग शाम को 4:15 बजे तक रहेगी इसलिए रात्रि व्यापिनी अष्टमी रोहिणी नक्षत्र का चंद्रमा बुधवार का दिन यह सभी मिलकर के इस दिन को खास बना रहे हैं। इसके अलावा इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है इन सब चीजों को दृष्टिगत रखते हुए भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव तथा गृहस्थियों के लिए व्रत का विधान 6 तारीख को ही करना शास्त्र सम्मत होगा। वैष्णव संप्रदाय के लोग उदय व्यापिनी सिद्धांत को स्वीकार करते हैं। इसलिए उनके लिए 7 तारीख को जन्माष्टमी का व्रत करना उचित होगा इन तथ्यों के आधार पर इस बार जन्माष्टमी पर कोई संशय की स्थिति नहीं है।
शनि देव अपनी राशि पर करेंगे गोचर
ज्योतिषीय गणना के अनुसार इस बार जन्माष्टमी पर भगवान शनि देव की विशेष कृपा रहेगी 30 वर्षों बाद यह शुभ संयोग बनेगा। जब शनि देव अपनी ही राशि कुंभ में गोचर करेंगे। शनि देव के अपने राशि में संचार करने से तीन राशियों को विशेष लाभ होगा। मकर सिंह और वृषभ राशि के लिए बहुत अच्छा रहेगा।
जयंती नामक योग में पूजन करने से प्रेत योनि से मिलता है छुटकारा- पद्म पुराण के अनुसार जो व्यक्ति भाजपा मास में रोहिणी नक्षत्र बुधवार दिन तथा अष्टमी तिथि में व्रत उपवास करता है। उनके सभी पितृ मुक्ति को प्राप्त होते हैंl इस जन्माष्टमी पर पूजन का विशेष मुहूर्त रात्रि लगभग 11:46 से 12:30 तक उपयुक्त रहेगा और साथ ही चंद्रमा के उदय होने का समय स्थानीय समय अनुसार रात्रि 10:50 का है। शुभ मुहूर्त के दौरान गर्व से जन्म के उपरांत का विशेष रूप से पूजन तथा दूध दही शहद शर्करा मिश्री मक्खन आदि से अभिषेक करके भगवान कृष्ण की स्तुति झूला झूलना कीर्तन आरती आरती तथा स्तुति करते हुए रात्रि में जागरण करके और उदय होते चंद्रमा को अर्घ देने से करोड़ों जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। किस दिन भगवान कृष्ण का पूजन के उपरांत हरिवंश पुराण संतान गोपाल मंत्र आदि जप करने से भगवान कृष्ण के जैसी संतान यानी पुत्र की प्राप्ति होती है। अष्टमी तिथि का प्रारंभ 6 सितंबर 2023 को अपरण 3:35 से तथा समाप्ति 7 सितंबर 2023 को शाम 4 बजाकर 15 मिनट पर। रोहिणी नक्षत्र का प्रारंभ 6 सितंबर 2023 को प्रातः 9:20 पर तथा समाप्ति 7 सितंबर 2023 को सुबह 10:25 पर होगी। रात्रि भी अपनी अष्टमी रोहिणी नक्षत्र वृष राशि का चंद्रमा तथा वृषभ लग्न में भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मानना शास्त्र सम्मत रहेगा।

By Admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Share