रुड़की। ( बबलू सैनी )
रुड़की को संगठनात्मक तौर पर जिला घोषित करने के बाद जो कार्यकारिणी घोषित की गई, उसे लेकर विरोध के सुर काफी तेज रहे ओर 6 विधानसभा वाली रुड़की जिले की कार्यकारिणी में जिन 18 पदाधिकारियों को चुना गया, उनमे से जिलाध्यक्ष शोभाराम प्रजापति समेत लगभग 10 पदाधिकारी रुड़की विधानसभा के शामिल है। जिसके चलते ग्रामीण क्षेत्र के कार्यकर्ताओं ने इस अनदेखी की शिकायत शीर्ष नेतृत्व से भी की है ओर दबे मन से अपना रोष भी प्रकट किया।
अब जल्द ही भाजपा युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष पद पर हाईकमान को घोषणा करनी है, जिसमें आधा दर्जन से अधिक दावेदारों ने हाईकमान के समक्ष अपनी दावेदारी जताई है। जिलाध्यक्ष पद पर दावेदारों की बढ़ी हुई संख्या से हाईकमान के लिए भी फैसला करना मुश्किल हो चला है। इसी बीच उक्त दावेदारों में से एक नाम को लेकर जिलाध्यक्ष बनने की चर्चा से खूब माहौल गर्म है। चर्चा है कि उक्त दावेदार ने अपने को जिलाध्यक्ष पक्का मानकर कहना भी शुरू कर दिया है। जिससे बिना घोषणा हुए पद का राग अलापने से अन्य दावेदारों में खलबली मची हुई है। ये ही नही उक्त नाम की घोषणा होने की चर्चा से शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी रोष बताया गया है। जिससे ग्रामीण क्षेत्र के कार्यकर्ताओं में विरोध के सुर तेज होने लगे, कि यदि ऐसा हुआ तो ग्रामीण क्षेत्र को संगठन स्तर से क्या सम्मान मिला। देखा जाए तो उक्त चर्चित युवा नव-नियुक्त जिलाध्यक्ष शोभाराम प्रजापति के करीबी माने जाते है। यदि उनके नाम पर जिलाध्यक्ष पद की मुहर लगती है, तो ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़े दावेदारों में खलबली जरूर मचेगी। हो सकता है कि कार्यकर्ता इस बात को लेकर खुलकर भी विरोध कर दें। वही सूत्रों की माने तो संगठन के कुछ पुराने कार्यकर्ताओ में इस बात को लेकर भी नाराजगी है कि रुड़की के संगठनात्मक जिला बनने के बाद जिस तरह कयास लगाए जा रहे थे कि जिले में शामिल हुई 6 विधानसभा के कार्यकर्ताओं को बराबरी का सम्मान मिलेगा, वैसा जिले की कार्यकारिणी में तो देखने को नही मिला, बल्कि ग्रामीण विधानसभाओं के कार्यकर्ताओं की अनदेखी के आरोप जरूर लगे। अब युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष के तौर पर जिस तरह से उक्त नाम की सरेआम चर्चा हो रही है ओर उसका जिलाध्यक्ष बनना तय माना जा रहा है, उस पर हाईकमान क्या विचार करता है, यह तो समय ही बतायेगा, लेकिन उक्त व्यक्ति के नाम के विरोधी सुर राजनीतिक पहुंच के सहारे दबाये भी जा सकते है। वहीं युवा मोर्चा का अध्यक्ष पद भी अगर रुड़की विधानसभा में दिया गया, तो ग्रामीण क्षेत्रों के कार्यकर्ताओं की नाराजगी का सामना भी हाईकमान को करना पड़ सकता है। अब देखना यह होगा कि रुड़की को संगठनात्मक जिला बनाने के बाद युवा मोर्चा के अध्यक्ष पद पर किसका चयन होगा या संगठन सभी समीकरण को ध्यान में रखते हुए तालमेल बनाकर किसी अन्य फैसले से संतुष्ट करेगा।

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