रुड़की। सिंकदरपुर भैंसवाल गांव में स्थित वाल्मीकि मौहल्ले के पास एक छोटा सा तालाब बना हुआ हैं, इसके बगल से गांव का रास्ता गुजरता हैं। इसके एक और वाल्मीकि समाज का बड़ा वर्ग रहता हैं, वहीं एससी समाज के लोग भी निवास करते हैं। बताया गया है कि कुछ लोग समिति के नाम पर उक्त ग्राम सभा की भूमि पर बने तालाब को कम्पनियों से निकलने वाले प्रदूषित मलबे से आटकर उस पर कब्जा करने की फिराक में हैं। ये ही नहीं मामला तूल न पकड़े, इसलिए किसी महापुरूष के नाम पर इस तालाब को घेरने की प्रक्रिया चल रही हैं।

जबकि हाईकोर्ट के साफ आदेश हैं कि कोई भी व्यक्ति चरागाह, तालाब की भूमि पर कब्जा नहीं कर सकता। बावजूद इसके कुछ लोग बड़े लोगों की आड़ मंे इस कीमती तालाब को दपफन करना चाहते हैं, जिसके कारण एक ओर जहां जलस्तर में कमी आयेगी, वहीं कुछ लोगों द्वारा इस मामले का खुलकर विरोध भी किया जा रहा हैं। मनुष्य के जीवन के लिए तालाब बेहद जरूरी हैं। जिसमें बरसात का पानी एकत्र होता हैं और वह जमीनी जलस्तर में सुधार करने में बेहद कारगर हैं।

यह मामला पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ हैं। जब इस सम्बन्ध में शिकायत लेकर वाल्मीकि समाज के लोग भगवानपुर तहसील पहंुचे, तो वहां अधिकारियों के जवाब सुनकर लोग दंग रह गये। वाल्मीकि समाज के लोगों ने बताया कि सांठगांठ के चलते तहसीलदार, लेखपाल और अन्य अधिकारी उक्त तालाब पर कब्जा करा रहे हैं। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि क्षेत्रीय लेखपाल न तो यह तक कह दिया कि यदि उक्त लोग वहां पर भराव कर सौन्दर्यकरण कराना चाहते हैं, तो आपको क्या परेशानी हैं? लेखपाल के इस ब्यान से हाईकोर्ट के तालाबों को कब्जामुक्त करने के आदेशों का भी उल्लंघन माना जा रहा हैं। वहीं तहसीलदार सुशील कुमार सैनी ने भी बेबाक ब्यान देते हुए कहा कि दूसरे पक्ष के लोगों को एसडीएम या पुलिस के पास जाना चाहिए, वह उक्त तालाब को कब्जामुक्त कराने में असमर्थ हैं। अब अधिकारियों के इन ब्यानों से साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि आखिर उनके कहने का क्या मतलब हैं? थक-हारकर अब दूसरे पक्ष के लोगों ने हाईकोर्ट की शरण लेने की बात कही हैं।

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