रुड़की। ( आयुष गुप्ता )
आज नगर निगम रुड़की की बोर्ड बैठक हंगामे के साथ शुरू हुई, जिसमें महापौर की अनुपस्थिति पर पार्षदों ने हंगामा काटा और मुख्य नगर आयुक्त शुक्ला से उनकी उपस्थिति पर जवाब मांगा। इसके बाद सदन में बोर्ड की मीटिंग सुचारू करने के लिए सदन के पार्षदों ने सर्वसम्मति से अनुभवी पार्षद बाटा को बैठक की अध्यक्षता करने के लिए महापौर की कुर्सी पर विराजमान किया, वहीं पार्षद पंकज सतीजा के द्वारा मुख्य नगर आयुक्त से लाइटों के संबंध में पूछा गया और बताया कि उनके वार्ड में लाइट की समस्या है, जिसका निस्तारण नही हो पा रहा है। उक्त समस्या के संबंध में हुई गहमागहमी के बाद कर्मचारी सदन छोड़कर चले गए।
आज सुबह 11:00 बजे नगर निगम में बोर्ड बैठक शुरू होनी थी, लेकिन 11:30 बजे तक जब महापौर गौरव ग़ोयल व मुख्य नगर आयुक्त नहीं पहुंचे, तो पार्षदों ने संयुक्त रूप से चंद्रप्रकाश बाटा को बैठक का अध्यक्ष नियुक्त करते हुए मेयर की कुर्सी पर बैठा दिया। वही पार्षद पंकज सतीजा ने बैठक में पहला मुद्दा वार्ड में लाइट ना होने का उठाया, जिस पर उनकी सहायक नगर आयुक्त से तीखी बहस हुई। जब ज्यादा गरमा-गरम आई हुई तो निगम कर्मचारियों ने सहायक नगर आयुक्त का अपमान करने का आरोप लगाते हुए बैठक का बहिष्कार कर दिया। इस घटनाक्रम के बाद बैठक में पहुंचे नगर आयुक्त ने कर्मचारियों से वार्ता की तो कर्मचारियों ने बैठक में जाने से साफ इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह का अपमान होते हुए वह किसी कीमत पर कार्य नहीं करेंगे। इसके बाद नगर आयुक्त फिर सदन में आए और उन्होंने बताया कि वह उनके बीच है, लेकिन कर्मचारी अपमान होने के बाद बैठक में नहीं आएंगे। पार्षदगण सदन की कार्रवाई शुरू कर सकते हैं। पार्षद बैठक शुरू होने की मांग करते रहे, तो वहीं बाद में पार्षदों ने निगम प्रशासन मुर्दाबाद, भ्रष्ट नगर पालिका प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया। इस दौरान महापौर गौरव गोयल भी बैठक में आ गए। उन्होंने बैठक में कहा कि जिस सदन में महापौर का सम्मान नही होता, वह वहां नही आएंगे और उसके बाद वह चले गए। साथ ही उन्होंने सदन में उन्हें बिना जानकारी दिए उनकी कुर्सी पर पार्षद को बैठाये जाने पर भी कड़ी नाराजगी जताई। यह सुनकर पार्षद गतिरोध पर उतारू हो गये। वही फिर एक बार महापौर सदन में आये और बिना एजेंडे पास के ही बोर्ड़ बैठक को समाप्त करने की घोषणा कर दी। वही बिना एजेंडे पास हुए बोर्ड बैठक की समाप्ति पर पार्षदों में नाराजगी दिखाई दी। तो वहीं नगर निगम कर्मचारियों ने एकजुट होकर सदन के पार्षदों पर गंभीर आरोप लगाए और उनके वार्ड में साफ सफाई न करने तथा बत्ती गुल रखते हुए वार्ड में कार्रवाई न करने की बात की, जिसके बाद पार्षदों और कर्मचारियों के बीच मामला बिगड़ता गया। बाद में महापौर ने कहा कि 40 प्रस्ताव लीज व शहर के विकास से जुड़े कई प्रस्ताव आज बोर्ड बैठक में पास होने थे, लेकिन पार्षदों की हठधर्मिता और अभद्रता के कारण सभी एजेंडे अधूरे रह गए। उन्होंने कहा कि इस तरह के बोर्ड से वह तंग आ गए हैं और मुख्यमंत्री से मिलकर बोर्ड को भंग करने की मांग करेंगे। उन्होंने कहा कि पार्षद मुद्दों के अलावा व्यक्तिगत मुद्दों पर ज्यादा चर्चा करते हैं। इससे शहर का विकास प्रभावित हो रहा है और आमजन दर-दर की ठोकरें खा रहा है। वहीं पार्षद राकेश गर्ग, विवेक चौधरी, चंद्रप्रकाश बाटा ने बताया कि कर्मचारी उन्हीं के है, जब विकास के मुद्दों की बात आती है तो खट्टी मीठी बातें होती रहती है। उन्होंने कहा कि आपदा में महापौर 15 दिन तक दिखाई नहीं दिए, क्योंकि उन्हें जनता को जवाब देना पड़ता। रुड़की नगर निगम क्षेत्र के नालों की सफाई का आलम यह है कि वह आज तक पूरी तरीके से साफ नहीं हो पाए। क्योंकि महापौर की लापरवाही के चलते बोर्ड बैठक 2 माह देर से शुरू हुई। कुल मिलाकर जहां महापौर और पार्षद में खींचतान देखी गई, तो वही इस बार की बोर्ड बैठक में कर्मचारियों का हस्तक्षेप भी चर्चा का विषय रहा और उनकी हड़ताल से पार्षदों को काफी परेशानी उठानी पड़ सकती है।