हरिद्वार। ( आयुष गुप्ता )
जिलाधिकारी विनय शंकर पाण्डेय की अध्यक्षता में बुधवार को कलक्ट्रेट सभागार में जनपद वनाग्नि प्रबन्धन योजना वर्ष 2023 के सम्बन्ध में एक बेठक आयोजित हुई। जिलाधिकारी विनय शंकर पाण्डेय को बैठक में डीएफओ मयंक शेखर झा एवं वन क्षेत्र अधिकारी चिड़ियापुर ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से वनाग्नि प्रबन्धन योजना वर्ष 2023 के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी दी। बैठक में डीएफओ मयंक शेखर झा ने वनाग्नि से होने वाले नुकसान का उल्लेख करते हुये कहा कि इससे वन सम्पदा को हानि पहुंचने के साथ ही वन्य जीवों का जीवन भी खतरे में पड़ जाता है, जिससे वे रिहायशी इलाकों में अपनी जान बचाने के लिये भागना शुरू कर देते हैं, जिसकी वजह से लेपर्ड आदि खतरनाक जानवर मानव को नुकसान पहुंचा सकते हैं तथा कानून एवं व्यवस्था की स्थिति भी पैदा हो सकती है। बैठक में वनाग्नि से पर्यावरण को होने वाले नुकसान, दावाग्नि के प्रकार, संवेदनशील वन क्षेत्र, अति संवेदशील वन क्षेत्र, विगत वर्षों में हुई वनाग्नि की घटनायें, माॅडल कू्र स्टेशनों की स्थापना, दावाग्नि के कारण- प्राकृतिक कारण, मानवीय कारण आदि पर विस्तृत चर्चा हुई। इस पर जिलाधिकारी ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि मानवीय कारणों में बीड़ी-सिगरेट से जंगलों में आग लगना, शरारती तत्वों द्वारा आग लगाया जाना आदि पर सूचना तंत्र को

मजबूत करते हुये, ऐसे तत्वों को चिह्नित करते हुये, इनके विरूद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई की जाये। जिलाधिकारी ने बैठक में वनाग्नि की रोकथाम के लिये किये जा रहे उपायोें के सम्बन्ध में भी अधिकारियों से जानकारी ली। अधिकारियों ने बताया कि जिला, ब्लाक तथा ग्राम पंचायत स्तर पर समितियां गठित की जाती हैं। इस पर जिलाधिकारी ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि आगामी 15 फरवरी तक ब्लाक स्तर की समिति अस्तित्व में आ जानी चाहिये ताकि निचले स्तर तक वनाग्नि के सम्बन्ध में अधिक से अधिक लोग जागरूक हो सकें। बैठक में वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि आगामी 15 फरवरी से वनों की रक्षा के उपायों के तहत फायर वाचर की तैनाती की जाती है। इस पर जिलाधिकारी ने निर्देश दिये कि दिन-पर-दिन तकनीक बदल रही है, उसी अनुसार फायर वाचर की ट्रेनिंग कराई जाये तथा जितने भी आपके फायर वाचर हैं, उन सबका मोबाइल नम्बर आदि आपदा प्रबन्धन प्रभाग को भी उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें एवं कण्ट्रोल रूम के नम्बर का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार किया जाये ताकि वनाग्नि की आपदा के समय आपसी तालमेल से वनों को कम से कम नुकसान होने के साथ ही वनाग्नि पर जल्द से जल्द काबू पाया जा सके। उन्होंने ये भी निर्देश दिये कि आगामी मार्च माह में वनाग्नि की रोकथाम की तैयारियों के सम्बन्ध में एक माॅक ड्रिल भी करा ली जाये। जिलाधिकारी ने बैठक में कहा कि फायर वाचर तैनात करने में अगर कहीं पर बजट आदि की दिक्कत आ रही है, तो जिला प्रशासन उसमें अपना पूरा सहयोग प्रदान करेगा। इसके अलावा वनाग्नि की रोकथाम के लिये अगर उपकरणों आदि की आवश्यकता हो तो, उसमें आपदा प्रबन्धन के माध्यम से भी सहयोग प्रदान किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबन्धन के पास सेटेलाइट फोन उपलब्ध हैं, जिन्हें फायर सीजन के समय वन विभाग को सशर्त उपलब्ध कराने पर विचार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की अमृत सरोवर योजना के तहत वनों में वाॅटर बाडी विकसित करने की सम्भावनाओं पर भी विचार किया जाये। इससे जहां एक ओर भू-जल स्तर बढ़ेगा, वहीं वनाग्नि की रोकथाम में भी काफी मदद मिलेगी। इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) बीर सिंह बुदियाल, अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) पी0एल0 शाह, परियोजना निदेशक ग्राम्य विकास अभिकरण विक्रम सिंह, आपदा प्रबन्धन अधिकारी सुश्री मीरा रावत, वार्डन राजाजी टाइगर रिजर्व, अग्निशमन अधिकारी सहित सम्बन्धित विभागों के अधिकारीगण मौजूद रहे।

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