कलियर।
753वें उर्स में प्रशासन द्वारा किये जा रहे कार्यों पर वक्फ बोर्ड अध्यक्ष ने सवाल खड़े किए हैं। जिसके बाद काफी हंगामा खड़ा हो गया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि नियमानुसार कार्य न करके दरगाह के धन को ठिकाने लगाने का काम किया जा रहा है। इस सम्बंध में मुख्य कार्यपालक व जिलाधिकारी हरिद्वार को पत्र भी लिखा गया है।
जिलाधिकारी हरिद्वार को उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष हाजी मोहम्मद अकरम द्वारा दिए गए पत्र आरोप लगाया गया है कि उर्स की तैयारियों में भारी अनिमित्ताएँ सामने आई हैं। उन्होंने बताया कि वह मेहंदी डोरी की रस्म में कलियर गए, तो उन्हें जानकारी मिली कि इस वर्ष कोविड के दृष्टिगत उर्स का करवाया जा रहा है। इसके दौरान जरूरी रस्म अदा की जाएगी। लेकिन मौके पर देखा कि आम दिनों की भांति ही टीन, साफ-सफाई, बिजली आदि कार्यों में राशि खर्च की जा रही है। इसके साथ ही लंगर का आयोजन भी नहीं किया जा रहा है। साथ ही सूफियों के रहने की व्यवस्था भी नहीं की गई और उर्स के सभी कार्य कुंभ की दरों पर ठेकेदारों से करवाए जाएंगे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ऐसा प्रतीत होता है कि दरगाह की आमदनी को ठिकाने लगाने का प्रयास किया जा रहा है। वक्फ बोर्ड अध्यक्ष ने कहा है कि ठेकों के लिए कोई टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं है, वही नियम कानून का भी पालन नहीं किया जा रहा है। कहा कि 2018 में उर्स मेले के दौरान केवल 4 मोबाईल टॉयलेट मंगाई गई थी, तब उर्स पर कोई पाबंदी नही थी। वहीं अब 40 मोबाइल टॉयलेट मंगाए जा रहे हैं जिसके लिए कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई गई है। वक्फ अध्यक्ष ने कहा कि किसी भी कार्य के लिए कोई टेंडर अखबार में प्रकाशित नही किया गया। जब कोविड-19 नियमों के तहत कार्य किए जा रहे हैं, तो इतने बड़े मेले और इतने धन व्यय का कोई औचित्य नही रह जाता। वहीं वक्फ अध्यक्ष की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ. अहमद इकबाल ने भी जिलाधिकारी को पत्र लिखकर प्रकरण में अपने स्तर से आवश्यक कार्रवाई करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि यदि उर्स का आयोजन किया जाना है, तो पूर्व की भांति गत वर्ष के स्वीकृत ठेकेदारों से ही कराया जाए। यदि उनके द्वारा यह कार्य नहीं कराया जाता, तो गत वर्ष की दरों पर ही किसी अन्य से कराया जाए।

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