रुड़की। योग भारतीय जीवन शैली का प्रमुख अंग है। योग किसी भी धर्म अथवा जाति की सीमाओं से परे की विद्या है। उक्त उद्गार श्रीकृष्णप्रणामी गौसेवाधाम के परमाध्यक्ष स्वामी सागर सिंधुराज ने योग दिवस के अवसर पर आयोजित योग शिविर का शुभारम्भ करते हुए व्यक्त किये।


अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर पतंजलि योग समिति और गौरक्षा विभाग विहिप की ओर से ऑनलाईन योग शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें पतंजलि योग समिति के मुख्य योग शिक्षक याथार्थ वर्मा ने योग कराया। शिविर का शुभारम्भ करते हुए मुख्यातिथि स्वामी सागर सिंधुराज ने कहा कि योग न केवल स्वस्थ शरीर के लिये आवश्यक है बल्कि योग करने से तन, मन, आत्मा के साथ ही सामाजिक ताना-बाना भी मजबूत होता है।

इसी लिये श्रीमद् भागवत गीता के सभी 18 अध्यायों के नाम के साथ योग शब्द जुड़ा है। इतना ही नहीं आयुर्वद में वनस्पतियों को मिला कर बनने वाले दवाई को भी योग कहा गया है। योग भारतीय संस्कृति के प्रत्येक रोम में समाहित है। कोरोना संक्रमण काल को देखते हुए आयोजित ऑन लाईन कार्यक्रम में मुख्य योग शिक्षक यथार्थ वर्मा ने प्रोटोकॉल के अनुरुप योग व प्रणायाम कराये। कार्यक्रम में 100 से अधिक लोगो ने योगाभ्यास कर योग दिवस मनाया। कार्यक्रम में देश ही नहीं कनाडा, नेपाल और अमेरिका से भी लोग ऑनलाईन जुडे और योगाभ्यास किया। जिनके लिये अंग्रेजी में व्याख्या रूपान्तरण की विशेष रूप से व्यवस्था की गयी थी।

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