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महिला सशक्तिकरण अभियान को पलीता, प्रधान बनी महिला, कामकाज संभाल रहा पति

रुड़की। ( आयुष गुप्ता ) एक ओर जहां सरकार महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए जोर दे रही हैं और इसके लिए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भी महिलाओं की सीट आरक्षित की गई, ताकि महिलाएं भी अपने फैसले खुद ले सके और जनहित के कामों में बढ़-चढ़कर भागीदारी करें। लेकिन हाल ही में ग्राम पंचायत प्रधान के चुनाव सम्पन्न हुये, कोटवाल आलमपुर में अनुसूचित जाति महिला की ग्राम प्रधान सीट रिजर्व की गई। लेकिन ग्राम सभा की पहली बैठक में चुनी गई ग्राम प्रधान नहीं पहुंची, बल्कि उनके स्थान पर उनके पति ने हिस्सा लिया, जो सरकारी नियमों के विपरीत हैं। ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने ग्राम प्रधान को देखा ही नही और पति को प्रधानी करने का कोई अधिकार ही नहीं हैं। ग्रामीणों ने कहा कि प्रधानपति अपने नाम का बोर्ड लगाकर ग्रामीणों को गुमराह कर रहा हैं, इस संबंध में विभाग के उच्च अधिकारियों को शिकायत कर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की गई। उन्होंने कहा कि ग्राम प्रधान गांव का पिता होता हैं, ऐसे में जनता के बीच उन्हें आगे आकर जनहित के कार्यो को करना चाहिए। लेकिन उनके पति उन्हें घर बैठाकर स्वयं खानापूर्ति करने में लगे हुये हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि बिना शपथ लिये ही सरकारी कार्य करने शुरू कर दिये गये। सभी ग्रामीणों ने इस मामले में जिलाधिकारी से शिकायत कर कार्रवाई करने की मांग की।

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