रुड़की। ( आयुष गुप्ता )
नगर की पुरानी साहित्यिक संस्था गंगा -जमुनी अदबी मंच की ओर से महाकवि दुष्यंत कुमार की पुण्यतिथि पर 11-वां “दुष्यंत सम्मान समारोह” योग सेंटर सभागार में आयोजित किया गया, जिसमें देश के प्रसिद्ध कवियों, शायरों व बुद्धिजीवियों ने भाग लिया। संस्था के अध्यक्ष व प्रसिद्ध शायर ओम प्रकाश नूर ने बताया कि इस वर्ष संस्था की ओर से यह सम्मान बदायूं ककराला के प्रसिद्ध रचनाकार आबशार आदम को प्रदान किया गया है। जिसमें प्रशस्ति पत्र, अवार्ड, शाल व ग्यारह हजार रुपये की धनराशि दी गयी है। यह सम्मान श्री आदम को मुख्य अतिथि के रुप में लखनऊ से पधारे साहित्य मनीषी डॉ. ओम प्रकाश ‘नदीम’, उत्तराखंड उर्दू अकादमी के पूर्व उपाध्यक्ष व अंतरराष्ट्रीय शायर अफजल मंगलौरी, सभाध्यक्ष एसके सैनी और संस्था की सरंक्षक शाहिदा शेख तथा जालंधर से पधारे वक्फ बोर्ड पंजाब के पूर्व उपाध्यक्ष उस्मान कुरैशी के हाथों प्रदान किया गया। गत वर्ष यह सम्मान प्रसिद्ध साहित्यकार हरेराम समीप को प्रदान किया गया था। संस्था के सचिव एडवोकेट दिनेश धीमान और अनिल अमरोहवी ने स्वर्गीय दुष्यंत कुमार की शायरी और उनके साहित्यिक योगदान के साथ-साथ सम्मान प्राप्त करने वाले साहित्यकार अबशार आदम की साहित्यिक सेवाओँ पर विस्तार से चर्चा की। कवि सम्मेलन व मुशायरे का आयोजन संस्था अध्यक्ष ओम प्रकाश नूर के संचालन में किया गया। लखनऊ से पधारे प्रसिद्ध शायर ओम प्रकाश नदीम ने अपने कलाम में तंज करते हुए पढ़ा कि…
अपनी आंखें फिट कर देना, सबकी आंखों के अंदर। और अपने ही ख्वाब दिखाना छोटी मोटी बात नहीं।।
दुष्यंत सम्मान प्राप्त कवि अबशार आदम ने पढ़ा कि…
वो भी लज्जित है मुझको ठुकरा कर। शांति कितनी इस खबर में है।।
शायर अफजल मंगलौरी ने अपनी भावनाएं यूँ प्रकट कि…
ख्वाब दिखलाये गए झूटी मोहब्बत के मुझे।
मैं वो दरिया हूँ जो रेगिस्तान से मारा गया।।
संयोजक ओम प्रकाश नूर ने फरमाया कि= अपनी आंखो में कुछ चमक रखो। दोस्तो, दोस्ती न मर जाये।।
खतौली से पधारे शायर अमजद आतिश ने बेहतरीन तररनुम के साथ गजल पेश करते हुए पढ़ा कि…
एक दो बार क्या, सौ बार समझ सकता है।
एक फनकार को फनकार समझ सकता है।।
कई पुस्तकों के लेखक और वरिष्ठ शायर व कवि कृष्ण सुकुमार ने वाहवाही के बीच यूँ फरमाया कि…
तमाम जिन्दगी क्यों जाने तामझाम किया।
जरा सी राख बची, जब सफर तमाम किया।।
उस्ताद शायर मनोज पांडेय “होश” फैजाबादी ने पढ़ा कि…
मुद्दों पे बातचीत बगावत है आजकल।
कपड़ों पे, टोपियों पे सियासत है आजकल।।
बेताब अंसारी ने यू अर्ज किया कि…
खोलकर मैं जो मोहब्बत की दुकां बैठ गया ।
लोग कहने लगे पागल है कहाँ बैठ गया।।
कार्यक्रम में डॉ० सुनील कुमार मौर्य, मारिया खुर्शीद अंसारी, दिनेश कुमार कुशवाहा, अनिता शर्मा, गौरव अमन, सलमान फरीदी, इमरान देशभक्त, सैयद नफीसुल हसन, सुधीर शांडिल्य, अमजद खान, हाजी सईद, अतुल कुरैशी एडवोकेट, चित्रा सिंह आदि मौजूद रहे। इस अवसर पर नौजवान भारत सभा की ओर से दुष्यंत कुमार की पुस्तकों के साथ साथ अन्य जनवादी लेखकों की किताबों की प्रदर्शनी भी लगाई गई।
…….तमाम जिन्दगी क्यों जाने तामझाम किया, जरा सी राख बची, जब सफर तमाम किया
