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डर के साये में जीने को मजबूर पंचशील मंदिर के उत्तराधिकारी, जेएम के सहयोग से आरएसएस के नेताओं पर लगाया मंदिर कब्जाने का आरोप

रुड़की।
पंचशील काली मंदिर के उत्तराधिकारी इन दिनों खौफ के साये में हैं। प्रशासन ने अतिक्रण हटाने के नाम पर भारी तोडफोड तो की ही, मंदिर संचालन के लिये समिति भी बना दी है। उत्तराधिकारी परिवार का कहना है कि बनायी गयी समिति के लोग अब उन्हें परिसर से बाहर निकलने की धमकियां दे रहे हैं।

पूरे मामले में सत्ता पक्ष के लोगो की सक्रिय भूमिका से पीडित परिवार सदमे में है।
शनिवार को पत्रकारों से वार्ता करते हुए 60 वर्ष पूर्व मंदिर का निर्माण करने वाले परिवार के जीवन शर्मा ने कहा कि उन पर मंदिर परिसर के व्यवसायिक उपयोग का आरोप लगाते हुए कुछ हिन्दूवादी संगठन व भाजपा से जुडेे लोगो द्वारा परिसर में कराये गये अस्थायी निर्माण को हटाने के लिये कहा गया था।

गत 21 जनवरी को प्रशासन के सहयोग से हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए उस निर्माण को जेसीबी की मदद से ध्वस्त कर वहां रखा लाखों रुपये के कांवड सेवा शिविर के सामान को कूडे के ढेर में बदल दिया था। इतना ही नहीं अभी तक भी मेरे बार-बार मांगने के बावजूद हाईकोर्ट के उस तथाकथित आदेश को मुझे नहीं दिखाया गया। दो दिन पूर्व इन्हीं लोगो ने मंदिर की छत पर चढकर वहां बने धार्मिक प्रतीकों को तोड डाला। इन प्रतीकों को उनके दादा रोमेन्द्र नाथ मुखर्जी ने मंदिर निर्माण के समय 1960 में बनवाया था। जिनमें हिन्दू, मुस्लिम, बौध, सिख व इसाई सभी धर्मो के प्रतीक शामिल थे। इन्ही के कारण यह मंदिर पंचशील मंदिर कहलाता था और नगर में साम्प्रदायिक सौहार्द की अनूठी मिसाल था। अब प्रशासन ने मंदिर के संचालन के लिये एक समिति का गठन किया है। जिसमें शामिल कई लोग अब उन्हें परिसर को खाली करने की धमकियां दे रहे हैं। खाली न करने पर उन्हें उठाकर फैकने की धमकियां मिल रही हैं। उन्होंने कहा कि उनके पूर्वजों ने वर्ष 1954 से इस मंदिर का निर्माण अपने खर्च पर जापानी शैली में आरम्भ किया था। वे यहां इससे पूर्व से ही रहते आये हैं। लेकिन सता की मदद से प्रशासन भी उनके साथ खडा है और हमें निकालकर यहां कब्जे का प्रयास किया जा रहा है।

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