हरिद्वार। ( बबलू सैनी )
स्वंय को महात्यागी, तपस्वी, ज्ञानी, शास्त्रवेत्ता श्रोत्रिय, ब्रह्मनिष्ठ, परिवाज्रकाचार्य और न जाने कितनी अनगिनत उपाधियों से स्वयं को विभूषित बताने वाले कैसे आकंठ हपस में डूबे हुए हैं कि एक बार इन्हें देखकर लज्जा को भी लज्जा आ जाए। इनकी उपाधियों में से एक ब्रह्मनिष्ठ की ही व्याख्या करें तो ये कहीं भी अपनी उपाधियों के समक्ष नहीं ठहरते। यहां तक की पूर्ण मुनष्य कहलाने के भी ये हकदार नहीं कहे जा सकते।
बात यहां एक ऐसे भगवाधारी की कर रहे हैं, जो दूसरे की सम्पत्ति पर कब्जा कर करीब 90 करोड़ की जमीन को बिना मालिकाना हक के बेच चुका है। सरकारी आदेशों के बाद भी बाबा की दबंगई देखिए की जमीन बेचे जाने का सिलसिला बाबा ने जारी रखा। मजेदार बात यह कि सम्पत्ति के मालिक कई हैं और सभी जीवित भी हैं। बावजूद इसके बाबा ने नियम-कानून दरकिनार कर जमीन को बाबा बेचता जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि अब बाबा आश्रम को बेचने की तैयारी कर रहा है। एक संत से बाबा की बात भी चल रही है। जबकि आश्रम की रजिस्ट्री नहीं की जा सकती। साथ ही आश्रम खरीदने वाले बाबा को इस बात की जानकारी है की सम्पत्ति विवादित है और बेचने वाले का इस पर जबरन कब्जा है। इस कारण से आश्रम खरीदने वाला संत असल मालिकों से एक साथ मिलकर मामले को ले-देकर निपटाने के प्रयास में लगा हुआ है। इस संत के साथ एक ओर व्यक्ति है, जिससे लिए गए रुपयों की एवज् में बाबा एक भूखण्ड उसे देने की आफर कर चुका है। मजेदार बात यह की बाबा की जन्म कुण्डली, शासन-प्रशासन सभी के पास है। बावजूद इसके पीडि़त को न्याय के लिए दर-दर भटकने को मजबूर होना पड़ रहा है और हपस का पुजारी बाबा दूसरों की सम्पत्ति को बेचकर ऐश कर रहा है। वहीं तीर्थनगरी हरिद्वार के कनखल में विहिप की दो दिवसीय केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल की बैठक का आयोजन हुआ। बैठक में धर्मान्तरण, लव जिहाद, लैंड जिहाद आदि कई मुद्दों पर चर्चा देश के वरिष्ठ संतों ने की, किन्तु ऐसे संतों पर कोई चर्चा नहीं की गई जो सनातन संस्कृति को सबसे ज्यादा नुकसान पहंुचाने का कार्य कर रहे हैं। जो दूसरों की सम्पत्तियों पर कब्जा कर रहे हैं। कब्जा कर उसे बेच रहे हैं। धोखाधड़ी करने में माहिर और आचरणहीन हैं। जिसकी वर्तमान में सबसे अधिक जरूरत है। जिससे सनातन संस्कृति को भ्रष्ट होने से बचाया जा सके।
