रुड़की। ( बबलू सैनी ) आज 1857 की क्रान्ति के जनक, देश में अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिलाने वाले, अमर शहीद हवलदार मातादीन वाल्मीकन का शहीदी दिवस मनाया गया। कार्यक्रम में मुख्य रुप से पहुंचे जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि व वरिष्ठ समाजसेवी वीर सुखमेंद्र वाल्मीकन ने इस खास दिन का वर्णन करते हुए बताया कि देश में अंग्रेजी हुकूमत द्वारा सर्वप्रथम हवलदार मातादीन जी को फांसी पर लटकाया गया था, न कि मंगल पांडे को, इसका जीता-जागता सबूत मेरठ छावनी में मिलता है। जहां अमर शहीदों के शिलापट्ट पर सर्वप्रथम अमर शहीदों में हवलदार मातादीन वाल्मीकन का नाम है, न की मंगल पांडे। उन्होंने ये भी बताया कि हवलदार मातादीन के परिवार को उनकी शहादत के उपरांत जिला बदर कर दिया गया था। जिसका आज तक कोई नामोनिशान नहीं है। साथ ही इतिहास के पन्नों से ऐसे महान क्रांतिकारी योद्धा का नामोनिशान गायब कर दिया गया, जिसकी वजह से देश में अधिकांश लोग हवलदार मातादीन जी की शहादत से अनभिज्ञ हैं व शासन-प्रशासन से ऐसी महान विभूति को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए एक स्मारक बनाने की मांग करते हैं। साथ ही उत्तराखंड के पाठयक्रम में हवलदार मातादीन वाल्मीकन की शहादत व जीवनी का वर्णन शामिल किया जाये। जिससे युवाओं व आने वाली पीढ़ी में देश के अमर शहीदों के विषय में जानकारी हासिल हो तथा उनमें देशभक्ति का भाव पैदा हो। वहीं समाजसेवी रवि चोटाला ने कहा कि सरकार को चाहिए कि ब्रिटिशियन हुकूमत द्वारा शहीद हुए अमर शहीदों के बारे में जानकारी लेकर सही जानकारी प्रचारित करंे व समाजसेवी संगठनों से अपील है कि जिस तरह आदिकवि वाल्मीकि के प्रकाश उत्सव व संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी की जयंती को मनाया जाता है, उसी तरह ऐसे महान क्रांतिकारी अमर शहीदों के बलिदान दिवस पर उन्हें श्रद्धांजली दी जानी चाहिए। इस अवसर पर अम्बेडकर जेंडर इक्वलिटी क्लब रुड़की की तहसील अध्यक्ष रचना कुमारी ने कहा कि खासकर महिलाओं को अपने महापुरुषों के विषय में जानकारी होनी चाहिए ताकि वे अपने बच्चों को इससे अवगत करा सके। इस मौके पर रवि टांक, अक्षय बेनीवाल, नैन सिंह फौजी, नीता देवी, पूजा बिरला, रवि कुमार, रीटा, धर्मवीर, संतोष देवी, बिजनेश आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन सफाई कर्मचारी आंदोलन रुड़की के तहसील अध्यक्ष रजनीश बिरला ने किया।