रूड़की। ( आयुष गुप्ता )
आज नगर निगम रूड़की के सभागार में हुई बोर्ड बैठक में हर बार की तरह पार्षदों का गुट इस बार भी महापौर और नगर निगम अधिकारियों पर बरसता नजर आया। जहां पार्षदों का गुस्सा निगम अधिकारियों व महापौर द्वारा उनकी अनदेखी को रहा, तो वही नाराजगी भी यह रही कि नगर निगम के अधिकारी और महापौर पार्षद को सिर्फ एक प्रस्तावक के तौर पर ही जांचते हैं, उन्हें न तो वार्ड में उनके अनुसार काम करने को दिया जाता है और न ही उनके द्वारा उठाई गई जन समस्याओं पर अमल किया जाता है। आज करीब-करीब हर एक पार्षद ने वह चाहे विपक्ष का हो या पक्ष का, उसने महापौर और निगम अधिकारियों से एक ही प्रश्न किया कि आखिर उनके वार्ड के विकास कार्यों को लेकर इतनी शिथिलता क्यों बरती जा रही है। बैठक के दौरान पार्षद रविंद्र खन्ना ने नगर आयुक्त पर गंभीर आरोप लगाए और उन्हें कमिशन खोर भी बताया, जिस पर नगर आयुक्त ने भी अपना पक्ष रखा। बैठक के दौरान पार्षदों के गुट भी आपस में लड़ते नजर आए। पार्षद बेबी खन्ना ने कहा कि उन्हें अपने वार्ड के विकास कार्यों के लिए अधिकारियों के चक्कर लगाने पड़ते हैं, क्या वह अपने निजी काम को लेकर चक्कर काट रहे है।

आखिर जनहित के कार्यों को लेकर नगर निगम के अधिकारी अपनी गंभीरता कब समझेंगे? इस सवाल का सदन में पार्षद ने जवाब मांगा। साथ ही आरोप लगाया कि बार-बार कहने के बावजूद भी पार्षदों के कार्यों को अमलीजामा नहीं पहनाया जाता। पार्षद खन्ना ने नगर आयुक्त पर कमीशन खोरी का आरोप लगाते हुए कहा कि जो हाईमास्क की लाइट वह 1100 की दे सकते है, उसे 3700 रुपये दिखाया गया, तो पार्षद राकेश गर्ग ने उसकी कीमत 845 भी बताई। निगम जो 12 लाख रुपए में हाईमास्क लाइट लगा रहा है, उसमें निगम अधिकारियों ने 4 लाख कमीशन लिया। साथ ही बताया कि नगर निगम के अधिकारी और महापौर कमीशन खोरी के चक्कर में नगर निगम क्षेत्र के विकास में जानबूझकर रोडा अटका रहे हैं। पार्षद खन्ना ने आरोप लगाया कि नगर निगम ने 37 कूड़ा वाहनों से कूड़ा उठाने के लिए कबाड़ बीनने वाले बच्चे रखे हुई हैं, जिनसे 300 रुपये प्रतिदिन कमीशन लिया जा रहा है। खन्ना ने कहा कि जब एक अधिकारी को काम करने के लिए कहते हैं, तो वह कहते हैं कि उनका ट्रांसफर करा दो, लेकिन काम के लिए मत बोलो। उन्होंने कहा कि वह ट्रांसफर आखिर क्यों करवाए, क्या अधिकारियों को जनता का काम करने में कोई परेशानी है? तो फिर वह अपनी नौकरी से इस्तीफा देकर घर ही बैठ जाए। नगर आयुक्त ने कहा कि यदि ऐसा किसी अधिकारी ने कहा है तो वह उसकी ओर से माफी मांगते हैं। वहीं पार्षद शक्ति राणा ने कहा कि उनके वार्ड में अभी तक सड़क का निर्माण नहीं किया गया, वह अधिकारियों को कई बार कह चुके हैं, लेकिन उन्हें मिलता है तो सिर्फ आश्वासन। कहा कि जब कोई अच्छा कार्य करवाना चाहता है, तो उनके वार्ड में ठेकेदार काम नहीं करना चाहते। वही नगर आयुक्त शुक्ला ने कहा कि कल तक काम शुरू कर दिया जाएगा। इसके साथ ही कई पार्षदों ने सड़क, नाली, सफाई आदि के कार्य न होने पर नगर आयुक्त पर लापरवाही के आरोप लगाए, तो कई प्रस्ताव को लेकर पार्षदों के गुट आपस में भिड़े। पार्षद बांटा और विवेक चौधरी के बीच में कई बार तीखी नोकझोंक हुई और पार्षद नितिन त्यागी ने भी कई मुद्दों पर पार्षद विवेक का खुलकर विरोध किया। नगर आयुक्त ने कहा कि सभी पार्षद एजेंडे पर वार्ता करें, तो पार्षद बोले कि उन्हें उनके सवालों का जवाब दिया जाए, तो नगर आयुक्त ने एक दोहा के सहारे पार्षदों के सवालों का जवाब दिया। जिस पर पार्षदों ने आरोप लगाया कि नगर आयुक्त द्वारा उन्हें चोर कहा गया है। इस बात पर नगर आयुक्त और विवेक चौधरी के बीच बहस भी हुई। वही सामान खरीद आदि के टेंडरों के बिल पास होने, कर्मचारियों का पीएफ आदि न देने पर पार्षद विवेक चौधरी और नितिन त्यागी ने कोषागार अधिकारी को जमकर घेरा, तो वही यूजर चार्ज के मामले में पार्षद चारुचंद्र ने भी आवाज उठाई, तो वही पार्षद आशीष अग्रवाल ने टैक्स संबंधी मुद्दे उठाकर नगर आयुक्त से जवाब मांगा। यूजर चार्ज का विरोध करने को लेकर मेयर का पक्ष जानना चाहा तो मेयर ने पार्षदों का कोई समर्थन नहीं किया और कहा कि यह सरकार का आदेश है। कुछ ही देर बाद वह जल्दी बोर्ड बैठक से बाहर निकल गए। यही नहीं यूजर चार्ज के विरोध में पार्षद राकेश गर्ग, प्रमोद पाल व मयंक पाल ने चादर बिछा कर धरना भी शुरू किया। वहीं पार्षद मंजू भारती ने गाली देने वाले ठेकेदार पर कार्रवाई ना होने को लेकर जमकर हंगामा काटा और महापौर व नगर आयुक्त को कमीशनखोर बताते हुए कहा कि एक पार्षद को अपने वार्ड की समस्याओं को लेकर अधिकारियों से बात करना या उनसे जवाब लेना गलत है? आखिर क्यों नगर निगम के अधिकारी और महापौर पार्षदों की समस्याओं को दूर नहीं कराते, वह भी जनता के द्वारा चुने गए हैं और जनता उनसे जवाब मांगती है। क्योंकि नगर निगम के अधिकारी और महापौर कमीशन खोर है। उन्होंने कहा कि जनता उनसे विकास कार्य ना होने को लेकर सवाल करती है, तो वह उन्हें जवाब नहीं दे पाते और जब वह अधिकारियों या महापौर से जवाब मांगते हैं तो वह उन्हें टॉफी दे देते हैं। आखिर जनता के विकास कार्यों को लेकर नगर निगम के महापौर और अधिकारी गंभीरता क्यों नहीं बरतते। कहा कि जो व्यक्ति महिलाओं का सम्मान नहीं करता, ऐसे ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट किया जाए। जिसका सभी पार्षदों ने तालियां बजाकर समर्थन किया। इसके साथ ही मंजू भारती ने श्याम नगर में डाली गई सड़क के निर्माण कार्यों को लेकर भी सवाल उठाए और कहा कि एई प्रेम शर्मा व नगर आयुक्त को उन्होंने कई बार फोन किया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। अपनी नाराजगी को लेकर पार्षदों ने देर तक हंगामा काटा। कुल मिलाकर बैठक में पार्षद वार्ड की समस्याओं को लेकर जिस तरह से महापौर व नगर आयुक्त पर हमलावर रहे, उससे साफ नजर आता है कि नगर निगम क्षेत्र के विकास कार्यों को लेकर वास्तव में कोई चर्चा नहीं होती, चर्चा होती है तो सिर्फ कमीशन की। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि नगर निगम क्षेत्र की जनता के विकास को लेकर कितना गंभीर है। ये ही नही प्रदेश की जीरो टॉलरेंस की भाजपा सरकार में भी भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है, जो सरकार कर इस अभियान को धत्ता बताता है।

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