रुड़की। ( आयुष गुप्ता ) रक्त की कमी से होने वाले एनीमिया तथा थैलेसीमिया का समय पर उपचार न होने पर रोगी की मृत्यु तक हो जाती है। नेशनल कन्या इण्टर काॅलेज, खानपुर में रुड़की राजकीय चिकित्सालय की टीम द्वारा 212 छात्राओं के रक्त की जांच की गयी, जिनमें 51 छात्राओं में रक्त की कमी पायी गयी।
उक्त उद्गार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा संचालित राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अन्तर्गत सिविल हाॅस्पिटल रुड़की से आयी रक्त जांच टीम के प्रभारी फील्ड आॅफिसर संजय चैहान ने व्यक्त किये। उन्होंने कक्षा-9 की बालिकाओं को सम्बोधित करते हुये कहा कि भोजन में हरी साब्जियों तथा आयरन युक्त पदार्थो का सेवन न करने से शरीर में रक्त की कमी हो जाती है। इसी कारण हीमोग्लोबिन भी कम हो जाता है। फील्ड आॅफिसर यशवन्त सिंह रावत ने कहा कि शरीर में खून की अत्यधिक कमी से थैलेसीमिया रोग हो जाता है, जो आनुवंशिक एवं अल्परक्तता का रोग है। काॅलेज प्रबंधक डाॅ0 घनश्याम गुप्ता ने जांच शिविर का उद्घाटन करते हुये कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को वर्ष में कम से कम एक बार अपने हीमोग्लोबिन की जांच अवश्य करानी चाहिये तथा खाने में गेहूँ-बाजरे की रोटी, राजमा, लोबिया, भुना चना, दाले, पालक, चैलाई का साग, खुबानी, किशमिश, केला, सरसों का साग, बथुए का रायता, गुड, नीबू, धनिया व पुदीना की चटनी, अंकुरित दाले व अनाज लेना चाहिये तथा भोजन लोहे के बर्तन में ही पकाना चाहिये। फील्ड असिस्टैन्ट अंकित कुमार ने कहा कि कोई भी स्वस्थ दिखने वाला व्यक्ति थैलेसीमिया का संवाहक हो सकता है, इसीलिये जांच करानी आवश्यक हैै। यदि कोई व्यक्ति अविवाहित है और संवाहक है, तो दूसरे संवाहक से विवाह न करें। फील्ड असिस्टैन्ट मौ0 दानिश ने कहा कि जन्मजात रोगों की प्राथमिक रोकथाम के लिये परिवार नियोजन की जरूरत होती है। जिससे कि गर्भ धारण करने के पूर्व अल्परक्तता का निवारण, फोलिक ऐसिड की कमी की पूर्ति, आयोडीन व आयरन की कमी की आपूर्ति, पोषक व संतुलित आहार, गर्भावस्था से पहले संक्रमण का उपचार, थैलेसीमिया की संवाहक अवस्था की जांच तथा गर्भ पूर्व फोलिक ऐसिड का सेवन अन्य विकारों की संभावना को कम कर देता है। काॅलेज प्रधानाचार्य बलराम गुप्ता ने कहा कि हमारे आहार में फोलिक ऐसिड के लिये पालक, पपीता, चुकन्दर, टमाटर, संतरा, कलेजी व चिकन का उपयोग प्रतिदिन अधिक से अधिक मात्रा में किया जाना चाहिये ताकि शरीर में अल्परक्तता की स्थिति उत्पन्न ही न हो। इस अवसर पर जांच टीम द्वारा कक्षा-9 के 212 बच्चांे के हीमोग्लोबिन की जांच की गयी, जिसमे 51 बच्चों में रक्त की कमी पायी गयी, जिन्हे उपचार तथा आयरन युक्त पदार्थो के सेवन की सलाह दी गयी।

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