रुड़की।  ( बबलू सैनी ) आनन्द स्वरुप आर्य सरस्वती विद्या मन्दिर रुड़की में शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ रामेश्वर प्रसाद कुलश्रेष्ठ (उपाध्यक्ष), सतीश शर्मा (कोषाध्यक्ष), अमरदीप सिंह (प्रधानाचार्य), कलीराम भट्ट (उप-प्रधानाचार्य), आशुतोष शर्मा, श्रीमती शमा अग्रवाल, जसवीर सिंह द्वारा माँ सरस्वती एवं प्रथम उप-राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन् के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर किया। इस अवसर पर विद्यालय के छात्र-छात्राओं, अध्यापक एवं अध्यापिकाओं द्वारा शिक्षाप्रद कार्यक्रम, सांस्कृतिक कार्यक्रम, लघु नाटिका का आयोजन किया गया। विद्यालय प्रबन्ध समिति द्वारा शिक्षक दिवस पर विद्यालय के दसवीं-बारहवीं बोर्ड कक्षाओं में शत-प्रतिशत परीक्षा परिणाम देने वाले अध्यापक/अध्यापिकाओं (नीना अग्रवाल, संजय शर्मा, अजय कुमार, कृष्ण कुमार, मोनिका गुप्ता, राजेश भट्ट, विनीत गुप्ता, भावना त्यागी, जसवीर सिंह, कलीराम भट्ट, योगेन्द्र सिंह रोड़, भावना शर्मा, संजय मेहता, कमला खाती, आशुतोष शर्मा, आकांक्षा रावत, अमित शर्मा, लता रानी) को पुरस्कृत एवं सम्मानित किया गया। कर्मचारी सुनील कुमार को भी उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया गया। रामेश्वर प्रसाद कुलश्रेष्ठ ने कहा कि पहली बार शिक्षक दिवस सन् 1962 में मनाया गया था। शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठंूसे बल्कि वास्तविक शिक्षक वह है जो उसे आने वाली कल की चुनौतियों के लिए तैयार करें। सतीश शर्मा ने कहा कि इस समाज की सच्ची सम्पत्ति शिक्षक हैं। वह जनमन का नायक है। शिक्षक समाज के प्राण होते है। हमारे जीवन में शिक्षक का बडा महत्व है। इसमें कोई संदेह नही है कि गुरू की महिमा आदिकाल से लेकर वर्तमान तक है और आगे भविष्य में भी रहेगी। एक शिक्षक कुम्हार की तरह बच्चों के व्यक्तित्व को गढ़ता है। वह दीपक की तरह जलकर छात्रों के अज्ञानता का अंधकार दूर करता है। गुरूजनों का सम्मान करने से व्यक्तित्व में निखार आता है। प्रधानाचार्य अमरदीप सिंह ने कहा कि हम साक्षर तो हुए है, क्या हम शिक्षित हुए है? हमें सच्चे अर्थों में शिक्षित होना है। यदि हम शिक्षित होंगे, तभी हम साक्षर होंगे। शिक्षक हमें ऊचाँइयों पर ले जाते है। शिक्षक का स्थान संसार में ऊँचा है। हर चीज को देखने का हमारा नजरिया होता है। जो सीढियाँ हमें ऊपर लेकर जाती है वह हमें नीचे भी लाती है। इस अवसर पर समस्त शिक्षक-शिक्षकायें एवं छात्र-छात्रायें मौजूद रहे।

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