रूड़की। ( आयुष गुप्ता )
मुकद्दस रमजान महीने का पहला अशरा अब खत्म होने के साथ ही दूसरा अशरा शुरू हो चुका है, जो मगफिरत का अशरा है। इस अशरा में अपने गुनाहों से तौबा करने का मौका है, जिससे हमें अपने गुनाहों से तौबा कर बाकी जिंदगी को कुरान और हदीस की रोशनी में सादगी के साथ नेक कामों में गुजारें। हाजी फुरकान अहमद विधायक, अफजल मंगलौरी, डॉ. नैयर काजमी, इंजीनियर मुजीब मलिक, हाजी नौशाद अहमद और हाजी मोहम्मद सलीम खान रमजान की फजीलत बताते हुए कहते हैं कि रमजान के महीने में मुस्लिम समाज के लोगों में इबादत को लेकर काफी उत्साह रहता है। बड़ी तादाद में लोग पवित्र रमजान के महीने में नमाज अदा करते हैं। रमजान इबादत का महीना है और इसी महीने में रब्बुल इज्जत अल्लाह ताला ने पवित्र कुरान पाक इस दुनिया में भेजा। इनका कहना है कि रमजान का पवित्र महीना इंसान को अपने बुरे कामों से तौबा करने का अवसर देता है। बुराई का त्याग कर अच्छे काम करने का संकल्प लें। शरीयत के हवाले से इन मुस्लिम बुद्धिजीवियों का कहना है कि अल्लाह ताला ने मुसलमानों पर रोजे इसलिए फर्ज किया है कि वह अपने अंदर फरहेजगारी और तकवा पैदा करें। रमजान के महीने का एक-एक मिनट बहुत कीमती होता है। रमजान की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस महीने में हर नेक ने काम का बदला सत्तर गुना अधिक मिलता है। रमजान में मुसलमानों को अपने पूरे साल की माल और दौलत की जकात निकालने के साथ-साथ अधिक से अधिक जरूरतमंद गरीबों, असहाय लोगों तथा विधवाओं की मदद करनी चाहिए।

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