रुड़की/संवाददाता
नमाज के बाद देश में अपनो-अमान, खुशहाली, प्रदेश की तरक्की के साथ ही कोरोना से मुक्ति की भी विशेष दुआ मांगी गई। नगर की प्रमुख जामा मस्जिद में जुमा की नमाज से पहले मौलाना अजहर उल हक ने अपने खुदबे में कहा कि रमजान उल मुबारक का पहला असरा (रहमतों) का खत्म हो चुका है तथा अब दूसरा असरा चल रहा है। उन्होंने कहा कि इस माह में हमें ज्यादा से ज्यादा खुदा की इबादत करनी चाहिए और रोजे रखने के साथ ही गरीबों, जरूरतमंदों को भी मदद करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि रमजान में मोमिनों को दिल खोलकर गरीबों की मदद के लिए आगे आना चाहिए और इस कोरोना महामारी में इसकी आवश्यकता और अधिक बढ़ जाती है कि ऐसे जरूरतमंद लोगों की रमजान में मदद की जाए। अल्लाह ताला भी यही पैगाम देता है, क्योंकि रमजान का महीना बड़ा बरकतों और रहमतों वाला महीना है।इस माह में हमें हर नेकी के बदले उसका सवाब सत्तर गुना अधिक मिलता है, इसलिए प्रयास रहे कि प्रत्येक मुसलमान ज्यादा से ज्यादा इबादत करें और अल्लाह के बंदों की खिदमत करें। मुफ्ती मोहम्मद सलीम ने जुमे की नमाज अदा कराई। नमाज के बाद उन्होंने विशेष दुआ मांगी तथा लोगों से कोरोना महामारी से बचाव के लिए सरकार के आदेशों का पालन करने की अपील की।उन्होंने कहा कि इस संक्रमित बीमारी से बचने के लिए मास्क का उपयोग बहुत जरूरी है।सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कार्य करें तथा जरूरत पड़ने पर ही घरों से बाहर निकलें। सिविल लाइन स्थित मस्जिद के इमाम कारी जावेद आलम ने जकात, सदका, फितरा के बारे में बताते हुए कहा कि रोजा केवल इबादत ही नहीं बल्कि बेशुमार मरीजों की भी दवा है। रोजा रखने से इंसान रूहानी तौर पर पाक हो जाता है। मस्जिद में सोशल डिस्टेंसिंग में रोजेदारों ने नमाज अदा की। इस अवसर पर मौलाना अरशद कासमी, अफजल मंगलौरी, हाजी नौशाद अहमद, डॉक्टर नैयर काजमी, शेख अहमद जमां, हाजी लुकमान कुरैशी, जावेद अख्तर एडवोकेट, डॉ. मोहम्मद मतीन, कुंवर जावेद इकबाल, सलमान फरीदी, सैयद नफीस उल हसन, इमरान देशभक्त, सलीम साबरी आदि मौजूद रहे।

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