रुड़की। ( आयुष गुप्ता ) मातृ भाषा दिवस के मौके पर नागालैण्ड विश्वविद्यालय द्वारा आॅलनाईन राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई। जिसमें मातृभाषा के महत्व व नागालैण्ड के संबंध में निदेशक हेस्टो चिशी, प्रो. संतोष कुमार सिंह, डाॅ. लिसीराम सिंह आदि ने अपने विचार रखें। इस मौके पर डाॅ. संतोष कुमार सिंह ने कहा कि प्राथमिक स्तर पर बालक मातृ भाषा सीखता हैं और मातृ भाषा ही दिल की धूरी हैं। नागालैण्ड में कई तरह की भाषा बोली जाती हैं, जिसे समझने का प्रयास करते हैं। साथ ही कहा कि जन्म से माता के मुख से जो बच्चा सीखता हैं, वह बोलता हैं, उसे मातृभाषा कहते हैं। उन्होंने कहा कि भाषा सम्प्रेषण का माध्यम ही नहीं, भाषा से बच्चे का समग्र एवं व्यक्तित्व का विकास होता हैं। नई शिक्षा नीति 2020 के तहत 5वीं कक्षा तक मातृ भाषा में पढ़ाई होनी चाहिए। बच्चा अपनी स्थानीय भाषा सरलता से सीख सकता हैं। इस संगोष्ठी में भारत के कई राज्यों के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इनमें डाॅ. राजीव कुमार, राजेश कुमार, डाॅ. कुंदन, आशीष कुमार सिंह, जबर सिंह, सूरज सिंह, दिग्विजय सिंह, डाॅ. परफूल कुमार, डाॅ. आनंद, डाॅ. बालकृष्ण, अमनदीप नेगी, डाॅ. हुकम सिंह, राहुल शर्मा व राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बिझौली के शिक्षक एवं पर्यावरण मित्र अशोक पाल सिंह आदि ने प्रतिभाग किया।