रुड़की।  ( बबलू सैनी  )भारत मौसम विभाग, मौसम केन्द्र देहरादून से प्राप्त मौसम पूर्वानुमान के अनुसार हरिद्वार, देहरादून तथा पौड़ी गढ़वाल जनपद में आगामी 21 व 22 जनवरी को हल्की से मध्यम बरसात होने की संभावना है। आईआईटी रुड़की के जल संसाधन विकास एवं प्रबन्धन विभाग में संचालित ग्रामीण कृषि मौसम सेवा परियोजना के नोडल अधिकारी प्रो. आशीष पाण्डेय ने बताया कि मौसम केन्द्र देहरादून से प्राप्त सूचना के अनुसार हरिद्वार जनपद में 22 जनवरी को 30 मिमी तथा देहरादून एवं पौड़ी गढ़वाल जनपद में 21 जनवरी को 5 मिमी एवं 22 जनवरी को क्रमशः 35 व 20 मिमी बरसात होने का पूर्वानुमान व्यक्त किया गया। यदि ब्लॉक स्तरीय पूर्वानुमान की बात करें तो हरिद्वार जनपद के बहादराबाद, भगवानपुर, खानपुर, लक्सर, नारसन तथा रुड़की ब्लॉक में भगवानपुर ब्लॉक में 21 जनवरी को छिटपुट बूंदाबांदी हो सकती है जबकि 22 जनवरी को बहादराबाद ब्लॉक में 30 मिमी, भगवानपुर तथा खानपुर ब्लॉक में 40 मिमी, लक्सर ब्लॉक में 42 मिमी, नारसन ब्लॉक में 50 मिमी तथा रुड़की ब्लॉक में 43 मिमी बरसात का पूर्वानुमान है। सम्भाव्य पूर्वानुमान के आधार पर रुड़की, नारसन तथा खानपुर ब्लॉक में 22 जनवरी को 50 से 75 प्रतिशत तक बरसात होने की सम्भावना है जबकि बहादराबाद, भगवानपुर तथा लक्सर ब्लॉक में बरसात होने की संभावना 25 से 50 प्रतिशत तक है। प्रो. पाण्डेय ने बताया कि 19 जनवरी को हरिद्वार जनपद के मैदानी भागों में कुछ स्थानों पर मध्यम से घना कोहरा छाये रहने तथा कोल्ड डे की स्थिति बनी रह सकती है। परियोजना के तकनीकी अधिकारी डॉ. अरविन्द कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि मौसम विभाग द्वारा निर्धारित मापदंडों के अनुसार ‘कोल्ड डे’ की स्थिति की घोषणा तब की जाती है, जब न्यूनतम तापमान -10 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान सामान्य से कम से कम 4.4 डिग्री सेल्सियस कम हो। ‘कड़ाके की ठंड’ का दिन तब होता है, जब अधिकतम तापमान सामान्य से कम से कम 6.5 डिग्री सेल्सियस कम हो। शीत लहर तब घोषित की जाती है, जब न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस होता है और सामान्य से 4.5 डिग्री सेल्सियस से कम होता है। इसके अलावा जब मैदानी इलाकों में न्यूनतम तापमान 4 डिग्री सेल्सियस या उससे कम हो जाता है, तो शीत लहर के पूर्वानुमान की सूचना दी जाती है। आगामी मौसम पूर्वानुमान को ध्यान में रखते हुए डॉ. श्रीवास्तव ने किसानों को सलाह दी की किसान भाई गेहूं, गन्ना, सरसों, मटर, आलू तथा चारा फसलों की सिंचाई न करें। इस दौरान 23 जनवरी तक सब्जियों व अन्य फसलों पर कीटनाशकों अथवा उर्वरकों का प्रयोग करने से बचें। इस मौसम में पशुओं व मुर्गियों का खास ख्याल रखें। पशुओं, विशेषकर नवजात बछड़ों अथवा पड़ियों को रात में टाट अथवा बोरा ओढ़ा कर पशुशाला के अंदर ही रखें तथा पशुशाला में सूखी घास या पुवाल इत्यादि की बिछावन का प्रयोग करें। मुर्गीघरों में हीटर अथवा अन्य इलेक्ट्रिक साधनों की सहायता से अनुकूलतम तापमान बनाये रखें।

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