रुड़की।  ( आयुष गुप्ता ) भाषा विचारों की अभिव्यक्ति का एक सशक्त माध्यम है। इसलिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि भाषा हमेशा सरल, सहज व बहुत गम में हो, जिसे हर वर्ग का व्यक्ति आसानी से समझ सके। क्लिष्ट भाषा का प्रयोग राजकाज की भाषा में कदापि ना किया जाए तथा बोझिल व अटपटे शब्दों के प्रयोग से भी बचा जाए। हिंदी भाषा की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें जो बोला जाता है कि वैसा ही लिखा जाता है। यही इसकी वैज्ञानिकता का प्रमाण है। उक्त उद्गार बतौर मुख्य अतिथि देव संस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुंज हरिद्वार के कुलपति शरद पारदी ने राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रुड़की के जलतरंग सभागार में हिंदी पखवाड़ा सप्ताह के अंतर्गत विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजयी प्रतियोगियों को सम्मानित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें वैज्ञानिकता का प्रमाण है और इसमें कोई संदेह नहीं है कि विगत वर्षों में सरकारी कामकाज में राजभाषा हिंदी के प्रयोग में काफी बढ़ोतरी हुई है। परंतु अभी तक भी इस दिशा में और प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। मुख्य अतिथि शरद पारदी ने कहा की विगत दो वर्षो के दौरान वैश्विक महामारी कोविड-19 हमारे सामने अनेक विषम परिस्थितियां एवं चुनौतियां प्रस्तुत की है, जिसने व्यक्ति की जीवन शैली और दिनचर्या को बदल कर रख दिया है। फिर भी हमने हालातों से समन्वय बनाकर आगे बढ़ने के लिए सार्थक प्रयास किए हैं। आज कोरोना महामारी के कारण पैदा हुई प्रतिकूल परिस्थितियों के चलते हर क्षेत्र की गतिविधियों में थोड़ा विराम अवश्य लगा है, लेकिन अब धीरे-धीरे कार्य गति पर है। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में भाषाएं, जिनमें लेटिन, जर्मनी, पफारसी, इटालियन, अरबी, आधी, विदेशी भाषाओं के अनेक शब्दों को ग्रहण करके हिंदी के शब्द भंडार को स्वर्ग बनाया है। वहीं दूसरी भाषाओं के शब्दों ने अपने शब्द भंडार में शामिल करके कोई अपमान की बात नहीं की है। उन्होंने कहा कि हमारा देश धर्म प्रधान देश है। यहां धर्म की मान्यता ही रहने वाली है। उन्होंने कहा कि भारतीय धर्म को हिंदी भाषा ही सीखा सकती है। हिंदी भाषा स्नेह के बंधन से बंधी है, जो चारों की अभिव्यक्ति के लिए जनमानस के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि हमें हिंदी की भाषा पर अभिमान होना चाहिए और हिंदी को अपनाने के लिए हमें मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है। इस मौके पर राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉक्टर सुधीर कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान सरकारी कामकाज में राजभाषा हिंदी के प्रयोग के प्रति समर्पित एवं प्रतिबद्ध है तथा इसके प्रचार-प्रसार एवं प्रयोग के लिए अनेक कार्यक्रमों का प्रतिवर्ष आयोजन करता है। संस्थान राजभाषा विभाग के दिशा-निर्देशों के अनुसार अपने पदाधिकारियों को राजभाषा हिंदी संबंधी जानकारी देने तथा सरकारी कामकाज में हिंदी के प्रयोग में आने वाली कठिनाइयों को दूर करने के उद्देश्य से समय-समय पर हिंदी कार्यशाला का नियमित रुप से आयोजन करता है। उन्होंने कहा कि उनका संस्थान वैज्ञानिक तकनीकी एवं अभियांत्रिकी कार्यों से जुड़े व्यक्तियों को अपने शोध पत्र हिंदी में लिखने में प्रस्तुत करने की प्रेरणा समय-समय पर देता है। इस प्रकार राजभाषा के हिंदी प्रयोग को व्यापक बढ़ावा तथा प्रोत्साहन मिलता है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय जल संगोष्ठी का आयोजन वर्ष 2023 दिसंबर माह में आयोजित की जाएगी। इसके साथ-साथ संस्थान हर वर्ष वार्षिक हिंदी पत्रिका और वाहिनी का भी प्रकाशन करता है, जिसका मुख्य अतिथि के द्वारा खचाखच भरे सभागार में विमोचन किया गया। हिंदी सप्ताह समारोह में राजभाषा विभाग के प्रभारी एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक मनोहर अरोड़ा ने हिंदी कार्यों की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस मौके पर मुख्य अतिथि शरद पार्धी द्वारा संस्थान की पत्रिका प्रवाहिनी का विमोचन किया गया। समारोह में हिंदी पखवाड़े के विभिन्न वार्षिक गतिविधियों के पुरस्कार प्रदान किए गए, जिनमें काम में प्रकाशित गैर तकनीकी लेखों में डॉक्टर अनिल कुमार को प्रथम, पंकज गर्ग को द्वितीय तथा दया शंकर त्रिपाठी वाराणसी को तृतीय, स्वतंत्र पत्रकार शशि कुमार सैनी रुड़की को प्रोत्साहन एवं डॉक्टर से शुक्ला लखनऊ को प्रोत्साहन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इनके अलावा हिंदी सुलेख प्रतियोगिता में प्रदीप कुमार ने हिंदी के कार्यक्रमों के महत्व पर प्रकाश डाला। इस मौके पर वैज्ञानिक सीपी कुमार, डॉ. रमा मेहता, पवन कुमार शर्मा, रामकुमार वर्मा वैज्ञानिक, दिगंबर सिंह दौलतराम, व्यक्तिक सहायक डॉक्टर आरडीएस कपिल, डॉ. मनमोहन गोयल, डॉक्टर एके लोहानी, डॉक्टर मनोहर अरोड़ा, वरिष्ठ वैज्ञानिक रजनीश गोयल, पीके उनियाल, बृजेश कुमार, पूर्व निदेशक डॉ. जयवीर त्यागी, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. संजय कुमार जैन, आरपी पांडे, डॉक्टर प्रदीप चौहान, श्रीमती दीपा कौशिक आदि मौजूद रहे। समारोह का सफल संचालन पूर्व पुस्तकालय अध्यक्ष फुरकान उल्लाह ने किया।

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