रुड़की।
राजकीय संयुक्त चिकित्सालय रुड़की में तैनात चिकित्सक कोरोना महामारी को लेकर गम्भीर नहीं हैं। यहां आने वाले मरीजों की भीड़ बढ रही हैं और पर्चा बनवाने के लिए लम्बी-लम्बी लाईनें साफ देखी जा सकती हैं। वहीं जब कुछ मरीज सीएमएस के कार्यालय मंे जाकर अपनी पीड़ा बतातें हैं तो उन्हें कार्यालय से बाहर कर केवल एक व्यक्ति को ही अंदर बुलवाया जाता हैं, इसके कारण उनके कार्यालय के सामने भी मरीजों की संख्या बढ़ जाती हैं। एक ओर जहां केंद्र व राज्य सरकार कोरोना महामारी से जनता को बचाने के लिए बड़े कदम उठा रही हैं, वहीं उनके अधिनस्थ कर्मी/चिकित्सक महामारी को जान-बूझकर बढ़ाने का काम कर रहे हैं। इसका प्रमाण यहां सरकारी अस्पताल में देखा जा सकता हैं। चिकित्सक को मरीज के साथ शालीनता व मृदु व्यवहार रखने का पाठ भले ही सरकार पढाती हो, लेकिन कुर्सी पर बैठने के बाद इनका व्यवहार कटु हो जाता हैं और मरीजों से जान-बूझकर दुर्व्यवहार करते हैं ताकि वह अस्पताल में दोबारा न आ सके। कई मरीजों ने बताया कि अस्पताल में तैनात सीएमएस भी उन्हें लताड़ते हैं और यदाकदा ही अपने कार्यालय में बैठते हैं। यह भी देखा गया है कि कुछ चिकित्सक व मरीज भी मास्क तक नहीं लगाते। यही नहीं चिकित्सक समय से पहले ही अपनी कुर्सी छोड़ देते हैं। सामाजिक दूरी का पालन कराने के लिए जो पीआरडी के जवान लगाये गये हैं, वह भी मटरगश्ती करते देखे जा सकते हैं। कुल मिलाकर सरकारी अस्पताल में कोरोना नियमों का पालन नहीं हो रहा हैं। इस सम्बन्ध में तीमारदारों ने जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी के साथ ही प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री से शिकायत कर मामले की जांच कराने की मांग की।
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