रुड़की।
वन निगम द्वारा हाईवे किनारे खड़े सूखे, बारिश व तूफान आदि के दौरान उखड़े हुये पेड़ों के कटान व उठान की अनुमति दी गई हैं। इसी क्रम में निगम द्वारा हाईवे किनारे से इस प्रकार के पेड़ों का पातन कराया जा रहा हैं। बताया गया है कि सढ़ौली गांव भी नारसन-पुहाना मार्ग पर स्थित हैं और यहां हाईवे पर सड़क के दोनों ओर अलग-अलग प्रजाति के बेशकीमती सरकारी पेड़ खड़े हुये हैं। न तो वह सूखे हैं और न ही धराशाही बल्कि सीधे सीना ताने खड़े हैं और हरे भी हैं। रविवार को ठेकेदार अपनी लेबर लेकर सढ़ौली गांव स्थित हाईवे पर पहंुचा और वहां खड़े सरकारी हरे पेड़ों को काटना शुरू कर दिया। इस दौरान वहां मीडिया के लोग भी पहंुच गये और इसकी जानकारी वन विभाग को दी। इस पर वन विभाग की टीम मौके पर पहंुची और बताया कि इन पेड़ों को काटने की अनुमति दी गई हैं। जब पत्रकारों ने सवाल किया कि यह पेड़ न तो सूखे हैं और न ही उखड़े हुये, फिर इन्हें क्यों काटा जा रहा हैं। इस पर वह कोई संतोंषजनक जवाब नहीं दे पाये। साथ ही इस सम्बन्ध में मीडिया द्वारा रेंजर रुड़की मयंक गर्ग से भी बात की गई, तो उन्हांेने भी अनुमति होने की बात कही। इस सम्बन्ध में डीएफओ व डीएलएम को भी फोन पर सूचित किया गया और बारीकि से मामला समझाया। तो उन्होंने मौके पर आकर निरीक्षण करने की बात कही। आस-पास ग्रामीणों में चर्चा है कि जिस स्थान से यह पेड़ काटे जा रहे थे, वहां कोई नामचीन व्यक्ति अपना होटल बनाने की तैयारी कर रहा हैं। यह पेड़ उसके होटल बनने में बाध बन रहे थे। इसी कारण उक्त व्यक्ति ने वन विभाग से सांठगांठ कर इन पेड़ों को कटवाने की रणनीति बनाई। ताकि हाईवे पर उसके होटल का रास्ता साफ हो सके। अब सवाल यह है कि वन विभाग के अधिकारी और कर्मियों की इस मामले में कितनी भूमिका हैं? यह तो उच्च अधिकारियों के यहां निरीक्षण करने और उनकी जांच रिपोर्ट के बाद ही पता चल सकेगा। यह मामला पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ हैं। उधर मीडिया की सक्रियता के चलते जांच के दायरे मंे आने वाले वन अधिकारियों व कर्मियों में भी संशय का माहौल बना हुआ हैं। इतना तय है कि जो भी व्यक्ति इसमें दोषी होगा, उसे इसका खामियाजा जरूर भुगतना पड़ेगा।
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