रुड़की। ( आयुष गुप्ता ) इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी रुड़की के मैकेनिकल एवं इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग विभाग ने विभाग के सभागार में आईएसएलएमएसडीए 2022 विषय पर दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया। सेमिनार का आयोजन 29 से 30 सितम्बर 2022 को किया गया। इन्फ्लेटेबल संरचनाओं, लाईटवेट मटीरियरल, उनके डिजाइन, उत्पादन तकनीकों तथा युवा अकादमिकज्ञों, इंजीनियरों एवं उद्योगपतियों में इनके विशेष अनुप्रयोगों के बारे में जागरुकता बढ़ाना इस सेमिनार का मुख्य उद्देश्य था। इसरो, डीआरडीओ, अकादमिक संस्थानों एवं उद्योग जगत के विशेषज्ञों ने इन्फ्लेटेबल संरचनाओं के डिजाइन, विश्लेषण, निर्माण, लाईटवेट मटीरियरल और इनकी जांच आदि विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत किए। अकादमिक संस्थानों जैसे आईआईटी, एनआईटी एवं शोध संस्थानों जैसे इसरो, टीआईएफआर, डीआरडीओ और एनएएल तथा कई निजी उद्योगों के विशेषज्ञों ने सेमिनार में हिस्सा लिया। सेमिनार के दौरान कई महत्वपूर्ण विषयों को कवर किया गया, जैसे भूमि एवं अंतरिक्ष में इन्फ्लेटेबल संरचनाओं के अनुप्रयोग, अंतरिक्ष एवं भूमि के लिए इन्फ्लेटेबल संरचनाओं के लिए मटीरियल, अंतरिक्ष वातावरण के लिए इनकी योग्यता, इन्फ्लेटेबल सिस्टम की जांच तथ मेम्ब्रेन संरचना की फोल्डिंग एवं डिप्लॉयमेन्ट आदि। इन्फ्लेटेबल संरचनाओं, लाईटवेट मटीरियल के डिजाइन, विकास एवं उत्पादन में सक्रिय इंजीनियर, वैज्ञानिक, निर्माता और अकादमिकज्ञ इन चर्चाओं से लाभान्वित होंगे। हरी बाबू श्रीवास्तव, महानिदेशक (टेक्नोलॉजी मैनेजमेन्ट एवं सिस्टम एनालिसिस एण्ड मॉडलिंग), डीआरडीओ, इस मौके पर मुख्य अतिथि थे। उन्होंने संस्थान द्वारा 175 वर्षों की सफल अकादमिक यात्रा पूरी करने की उपलब्धि पर आईआईटी रुड़की के डायरेक्टर, पफेकल्टी, रीसर्च फेलो एवं छात्रों को बधाई दी। सेमिनार में हिस्सा लेने वाले मुख्य प्रवक्ताओं में शामिल थे। डॉ. एचएन सुरेश, ग्रुप डायरेक्टर, यूआरएससी/इसरो संतोष कुमार, हैड, एफडी ग्रुप, आर एण्ड डीई (ई) पुणे, प्रोफेसर बिशाख भट्टाचार्य, डिपार्टमेन्ट ऑफ मैकेनिकल एण्ड मैकट्रोनिक्स इंजीनियरिंग, युनिवर्सिटी ऑफ वाटरलू, कनाडाय डॉ एच एम वाय सी मल्लिकराच्ची, डिपार्टमेन्ट ऑफ सिविल इंजीनियरिंग, यूनिवर्सिटी ऑफ मोराटुवा, श्रीलंका, एसजे राव, गरवारे टेकनिकल फाइबर्स लिमिटेड, पुणे, महाराष्ट्र, स्वर विकामशी और रमेश चौधरी, विकामशी फैब्रिक्स प्रा. लिमिटेड, महाराष्ट्र, एसी माथुर, ग्रुप डायरेक्टर (रिटायर्ड), एसएसी/इसरो, डॉ. पीसी जैन, डायरेक्टर स्ट्रक्चर्स डीआरडीएल, डीआरडीओ, रक्षा मंत्रालय, हैदराबादय प्रोफेसर अनिरवन, दासगुप्ता, डिपार्टमेन्ट ऑफ मैकेनिकल इंजीनियरिंग, आईआईटी खड़गपुर, प्रोफेसर व्सेवोलोड कोरयानोव, डायनामिक्स एण्ड फ्लाइट कंट्रोल ऑफ मिसाइल्स एण्ड स्पेस व्हीकल डिपार्टमेन्ट, बौमैन मॉस्को स्टेट टेकनिकल युनिवर्सिटी, रुस, डॉ. सतीश कुमार, डिपार्टमेन्ट ऑफ अप्लाईड मैकेनिक्स, एमएनएनआईटी, अलाहाबाद, प्रयागराज, सीआर सावंत, जेनिथ इंडस्ट्रियल रबड़ प्रोडक्ट्स प्रा. लिमिटेड, मुंबई, महाराष्ट्र। सभा को सम्बोधित करते हुए एचबी श्रीवास्तव, महानिदेशक (टेक्नोलॉजी मैनेजमेन्ट एण्ड सिस्टम एनालिसिस एण्ड मॉडलिंग), डीआरडीओ ने कहा ‘उन्होंने इन्फ्लेटेबल संरचनाओं और अंतरिक्ष, अंतरक्षि विज्ञान, रक्षा, प्राकृतिक आपदा एवं अन्य इंजीनियरिंग एवं कमर्शियल क्षेत्रों में अनुप्रयोगों के बारे में बात की। उन्होंने रक्षा बलों के लिए इन्फ्लेटेबल संरचनाओं की उपयोगिता पर रोशनी डाली जैसे पुरूषों और सामग्री की पैराट्रूपिंग, मरीजों की गहन देखभाल के लिए तैनात की जा सकने वाली संरचनाएं और सैनिकों की मांसपेशियों को मजबूत बनाना। उन्होंने बताया कि इन तकनीकों का उपयोग सैटेलाईट, अंतरिक्ष यान एवं अंतरिक्ष अन्वेषण में भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि देश में अकादमिक संस्थानों तथा डीआरडीओ, इसरो और सीआरआईआर के वैज्ञानिकों ने इस दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया है। उन्होंने इन्फ्लेटेबल संरचनाओं और लाईटवेट मैटेलिक एवं नॉन-मैटेलिक मटीरियल पर अनुसंधान के महत्व पर रोशनी डाली और अकादमिक एवं उद्योग जगत में इस अनुसंधान के लिए डीआरडीओ के सहयोग और प्रतिबद्धता की पुष्टि की। भारतीय अंतरिक्ष उद्योग के विकास में इन्फ्लेटेबल संरचनाओं के महत्व पर बात करते हुए प्रोफेसर अजीत के चतुर्वेदी, डायरेक्टर आईआईटी रूड़की ने कहा कि आज भारत 500 छोटे, मध्यम एवं बड़े उद्यमों के लिए शीर्ष पायदान के प्लेयर्स में से एक है जो हार्डवेयर के डिजाइन, इंजीनियरिंग एवं फैब्रिकेशन के रुप में स्पेस प्रोग्रामों में योगदान दे रहा है।