रुड़की। ( बबलू सैनी )
जहां एक और प्रदेश में हुआ भर्ती घोटाला चर्चा का विषय बना हुआ है। तो वहीं विश्व प्रसिद्ध दरगाह पिरान कलियर का कार्यालय भी इस भ्रष्टाचार से अछूता नहीं है।
ज्ञात हो कि करीब 2 वर्ष पूर्व रुड़की ब्लॉक से सेवानिवृत्त हुए एक लिपिक को सांठगांठ के चलते पिरान कलियर दरगाह साबिर पाक के कार्यालय में अहम जिम्मेदारी दी गई थी। हालांकि इस पद के लिए अन्य कई काबिल अफसर लाईन में थे, जिन्हें तैनाती दी जा सकती थी। लेकिन सिर्फ उक्त लिपिक को ही यहां तैनात करना प्रशासन और वक्फ बोर्ड की कार्यशैली को संदेहास्पद बनाता है।
नियमानुसार जब कोई सरकारी कर्मचारी सेवानिवृत्त हो जाता है, तो सरकार के अनुमोदन पर ही उक्त कर्मी को विशेष कार्य के लिए एक्सटेंशन सर्विस के तहत तैनाती दी जाती है, लेकिन दरगाह कार्यालय में ऐसा कोई विशेष कार्य नही है, जिसके आधार पर रिटायर्ड कर्मी को तैनाती दी जा सके। किंतु भ्रष्ट तंत्र के तहत उक्त भ्रष्ट लिपिक को यहां तैनाती देना बड़े भ्रष्टाचार की और इशारा करता है। दरगाह कार्यालय व वक्फ बोर्ड में अनेक ऐसे कर्मी भी है, जिन्हें यहां तैनाती दी जा सकती थी। किंतु ऐसा नही किया गया और एक भ्रष्ट लिपिक को यहां तैनाती दी गयी। जो अपने आप में एक बड़े भ्रष्टाचार का सबूत है। क्योंकि उक्त लिपिक ब्लॉक में तैनात रहते हुए भी भ्रष्टाचार के मामलों में काफी चर्चाओं में था। फिर आखिर किस आधार पर उन्हें यहां तैनात किया गया। बताया गया है कि पिरान कलियर दरगाह दफ्तर में पिछले लंबे समय से कुछ पद खाली चल रहे थे। इसको भरने के लिए प्रशासन पर अत्यधिक जिम्मेदारी थी, जिसकी व्यवस्थाओं का क्रियान्वयन करने के लिए कम से कम एक पीसीएस अधिकारी की तैनाती की भी आवश्यकता थी, लेकिन दरगाह कार्यालय में यह सब प्रशासनिक दृष्टिकोण से मायने नहीं रखता और ब्लॉक के चर्चित लिपिक को लाकर यहाँ तैनात कर दिया गया। जब से उक्त लिपिक दरगाह के कामकाज संभाल रहे हैं, आये दिन भ्रष्टाचार के नये-नये मामले उजागर हो रहे हैं। अब सवाल यह है कि आखिर अभी तक उन्हें यहां से कार्यमुक्त क्यों नही किया गया। जबकि रिटायरमेंट के बाद भी उक्त भ्रष्ट कर्मी सरकारी खजाने पर हाथ साफ कर रहा है। दरगाह प्रशासन के पास ऐसे भी कर्मचारी हैं, जो उनसे बेहतर और ईमानदारी के साथ अपने कार्य को अंजाम दे सकते थे, लेकिन नेताओं और अधिकारियों की सांठगांठ के चलते सिर्फ उन्हें ही यहां तैनात किया गया, ताकि दरगाह की संपत्ति पर अपनी नजर रखी जा सके और उसे समय-समय पर अपने प्रयोग में लाया जा सके। स्थानीय लोगों में भी चर्चा है कि आखिर प्रशासन की उक्त लिपिक पर नजर कब पड़ेगी और उन्हें यहां से हटा कर एक ईमानदार अधिकारी को जिम्मेदारी दी जाये। क्योंकि जब तक वह यहां है, भ्रष्टाचार दिनों दिन बढ़ता जायेगा। शायद यही कारण है कि दरगाह कार्यालय की व्यवस्थाएं राम भरोसे चल रही है। सूत्रों की माने तो दरगाह में तैनात खादिम भी उक्त लिपिक की कार्यशैली से संतुष्ट नहीं है। आगामी दिनों में विश्व प्रसिद्ध दरगाह का सालाना उर्स सिर पर है और यहां कई संसाधनों की कमी है। क्योंकि यहां लाखों की तादाद में जायरीन आते हैं। उर्स को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा भी तैयारी की जाती है। उक्त लिपिक के यहां तैनात रहने से दरगाह के राजस्व/संपत्ति की हानि होने की आशंका है। प्रशासन तत्काल उक्त भ्रष्ट कर्मी को यहां से हटाकर ईमानदार को तैनाती दें। ताकि दरगाह के राजस्व की सुरक्षा की जा सके।