रुड़की। ( बबलू सैनी )
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की आरक्षण सूची जारी होने के बाद राजनीतिक दलों में उठापटक बड़े स्तर पर शुरू हो गई है। चुनाव लड़ने के सभी दावेदार अपनी-अपनी गोटियां फिट करने के लिए इधर से उधर राजनीतिक पार्टियों में छलांग लगा रहे हैं और पार्टियों को अपने मन मुताबिक इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन राजनीतिक पार्टियां यह सोच कर खुश हो रही है कि उन्हें दूसरे राजनीतिक दलों से मजबूत नेता मिल रहे हैं। ऐसी चुटकियां भी लोग खूब ले रहे है।


आज इसी कड़ी में भाजपा के जिला पंचायत अध्यक्ष रहे सुभाष वर्मा विधानसभा चुनाव से पहले ही कांग्रेस में शामिल हो गए थे और खानपुर विधानसभा सीट पर उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर दावेदारी भी जताई थी, लेकिन यह टिकट उन्हें बड़ी जद्दोजहद के बाद भी हासिल नहीं हो पाया था, जिसके बाद वह अपने को ठगा सा महसूस कर रहे थे। इसके बाद उन्होंने फिर से पंचायत चुनाव की राजनीति में सक्रियता बधाई और जिपं अध्यक्ष पद का सपना देखने लगे और जब त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की आरक्षण सूची जारी हुई तो उन्होंने कांग्रेस में अपना सिक्का जमता न देख बसपा प्रदेश अध्यक्ष से संपर्क किया और जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर दावेदार घोषित करने की शर्त पर ही पार्टी ज्वाइन करने की पेशकश की, जिसके बाद बसपा प्रदेश प्रभारी दिनकर, प्रदेश प्रभारी नरेश गौतम और प्रदेश अध्यक्ष ने विधिवत रूप से आज बसपा कार्यालय पर चौधरी सुभाष वर्मा को बसपा की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण कराई। इस दौरान उनके साथ निवर्तमान जिपं सदस्य बिजेंद्र चौधरी, रविन्द्र सिंह ओर मजहर हसन ने भी बसपा जॉइन की।
वहीं जिपं की राजनीति के धुरंधर माने जाने वाले चौ. राजेन्द्र सिंह, विधायक शहजाद व रविन्द्र पनियाला भी बसपा पार्टी में ही है, लेकिन सुभाष वर्मा को लेकर क्या रणनीति तय होगी, यह भी बड़ा सवाल है। लेकिन इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि प्रदेश अध्यक्ष का तो अभी कोई वजूद नहीं है, प्रदेश प्रभारी को लेकर जनता में कोई सक्रियता नहीं है और सुभाष वर्मा अपना जिला पंचायत का चुनाव भी दूसरों के दम पर जीते थे। अब इन हालातों में बसपा जिपं अध्यक्ष की राजनीति में कैसे जीत पायेगी, यह भी सवाल लोगों के मन मे रह रहकर उठ रहा है।

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