रुड़की। ( आयुष गुप्ता ) एक ओर जहां सरकार पर्यावरण को लेकर गंभीर हैं, तो वहीं स्थानीय उद्योग सरकार की इस योजना पर पलीता लगा रहे हैं। बताया गया है कि रुड़की के सुनहरा क्षेत्र में लोहे के उपकरण बनाने की कई कंपनी हैं। जिनमें पुराना लोहा खरीदकर लाया जाता हैं और एक खास कैमिकल से लोहे पर लगे जंग को उतारा जाता हैं तथा बाद में इस कैमिकल युक्त गंदे पानी को गड्ढों में स्टोर किया जाता हैं। सरकार द्वारा जहां एक ओर ऐसे कैमिकलयुक्त गंदे पानी की रिसाईकलिंग करने के लिए ईटीपी व एसटीपी प्लांट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड विभाग के माध्यम से लगवाये जाते हैं, लेकिन उद्योग मालिक इनका प्रयोग बेहद ही कम करते है और कुछ उद्योग स्वामी नाली के सहारे कंपनी से बाहर कैमिकलयुक्त गंदा पानी निकाल देते हैं और कुछ सैफ्टी टैंकरों के जरिये सड़कों व घनी आबादी के पास से गुजरने वाले नालों में डलवा रहे हैं। बस्ती के लोगों ने बताया कि इस कैमिकल युक्त पानी से बदबू आती हैं तथा कीट-पतंगे व जहरीले मच्छर पनपते हैं और गंभीर बीमारियां पैदा हो रही हैं। इस संबंध में कंपनी मालिकों से भी कई बार कहा गया, लेकिन उन्होंने अपना रवैया नहीं बदला। वहीं इस संबंध में पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी डाॅ. सुभाष पंवार से भी शिकायत की गई, न तो उन्होंने कंपनी मालिकों के खिलाफ कोई कार्रवाई की और केवल पत्राचार तक सीमित रहे। इसके पीछे क्या कारण हो सकते हैं, इसे तो वही जाने, लोगों में चर्चा है कि उक्त अधिकारी की ढुल-मुल कार्यशैली के कारण ही उद्योग मालिकों के हौंसले बुलंद हैं ओर वह खुलेआम ऐसे कैमिकल युक्त पानी को सार्वजनिक स्थानों पर डालकर बीमारी फैलाने का काम कर रहे हैं। इस संबंध में समाजसेवी लोगों ने भी उक्त अधिकारी को लिखित में शिकायत दी, लेकिन उन्हें भी अधिकारी द्वारा पत्राचार का ही हवाला दिया गया। जो बड़ी चिंता का विषय है। लोगों के स्वास्थ्य से जान-बूझकर खिलवाड़ किया जा रहा हैं। अब सवाल यह है कि आखिर ऐसे लापरवाह उद्योग मालिकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कैसे हो? जब संबंधित विभाग ही लाचार नजर आ रहा हो? वहीं क्षेत्रीय अधिकारी डाॅ. सुभाष पंवार ने कहा कि सुनहरा स्थित 4 कंपनियों के मालिकों को नोटिस जारी किया गया हैं। जैसे ही उच्च अधिकारियांे के निर्देश आयेंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।