रुड़की।  ( आयुष गुप्ता ) सिसौना भगवानपुर से क्षेत्र पंचायत सदस्य करूणा कर्णवाल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि भगवानपुर में राकेश परिवार द्वारा क्षेत्र को धनबल और बाहुबल के जरिए अपने वर्चस्व में ले रखा है। भगवानपुर की स्थिति यह है कि भगवानपुर विधानसभा से विधायक और मुख्य विपक्षी दोनों इसी परिवार से है और सगे देवर-भाभी है। यह लोग चाहते हैं कि प्रत्येक चुनाव में हर पद पर इसी परिवार का व्यक्ति चुनाव लड़े और कोई पद परिवार के बाहर के किसी भी व्यक्ति को ना मिल पाए। इसका उदाहरण अभी हाल ही में संपन्न हुए पंचायत चुनाव में भी देखा गया। जिसमें भगवानपुर विधायक ममता राकेश ने अपने पुत्र अभिषेक राकेश और पुत्री आयुषी राकेश को क्षेत्र पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ाया, जबकि यह सर्वविदित है कि श्रीमती ममता राकेश और उनका संयुक्त राकेश परिवार कई सौ वर्षों से हाल भगवानपुर नगर पंचायत क्षेत्र का रहने वाला है और उनका वोट भी नगर पंचायत क्षेत्र में है, फिर भी श्रीमती ममता राकेश परिवार ने फर्जीवाड़ा करके और अपने पद का दुरुपयोग करते हुए कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों से सांठगांठ करके अपने पुत्र और पुत्री का वोट ग्राम सिकंदरपुर एवं सिरचंदी में बनवाया, जबकि यह लोग कभी भी ग्राम सिकंदरपुर एवं सिरचंदी मंे नहीं रहे। इस परिवार द्वारा यह फर्जीवाड़ा इसलिए किया गया, क्योंकि यह लोग नगर पंचायत क्षेत्र के अंतर्गत रहते हैं और पंचायत चुनाव लड़ने के लिए ग्रामीण क्षेत्र का मतदाता होना जरूरी है। इससे पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में इन लोगों ने श्रीमती ममता राकेश की सास श्रीमती सहती देवी को चुनाव लड़ाया था और पूरे परिवार ने उन्हें वोट भी दिया था। जिस कारण वर्तमान में भी श्रीमती सहती देवी नगर पंचायत भगवानपुर की अध्यक्ष हैं। इससे यह स्पष्ट है कि जब नगर पंचायत का चुनाव आता है, तो यह लोग नगर पंचायत के निवासी हो जाते हैं और जब ग्राम पंचायत का चुनाव होता है, तो यह लोग फर्जीवाडा करके ग्रामीण क्षेत्र के मतदाता बन जाते हैं। यह कृत्य आपराधिक है और प्रजातांत्रिक शासन प्रणाली पर कुठाराघात हैं। इसके साथ ही विधयक ममता राकेश की पुत्री आयुषी ने एक साथ तीन क्षेत्र पंचायत सीटों सिसौना, तेलपुरा एवं अकबपुर कालसो से नामांकन दाखिल किया था, जबकि उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम 2016 की धारा 53(6) के अंतर्गत कोई भी प्रत्याशी क्षेत्र पंचायत की एक से अधिक सीट पर उम्मीदवार नहीं हो सकता और यदि वह ऐसा करता है तो वह डिसक्वालीफाई हो जाता है। जब इन लोगों को इस बात का पता चला, तो श्रीमती ममता राकेश ने फिर से अपने पद का दुरुपयोग करते हुए रिटर्निंग ऑफिसर या उनके स्टाफ के अन्य लोगों से सांठगांठ करके सिसौना और अकबरपुर कालसो के दो नामांकन पत्रों में से अपने कुछ कागज निकलवा दिए, जिससे वह नामांकन पत्र तकनीकी आधार पर खारिज हो गए और इन लोगों ने अपनी मनपसंद सीट तेलपुरा से धन का प्रयोग करते हुए निर्विरोध चुनाव जीत लिया, जो अवैधानिक है। इस संबंध में रिटर्निंग ऑफिसर को आपत्ति दी गई थी, लेकिन आरओ द्वारा नियमानुसार कार्रवाई नहीं की गई तथा नोमिनेशन निरस्त नहीं किया गया। उनकी शिकायत पर विधायक ममता राकेश द्वारा चुनाव में धनबल का प्रयोग करने पर राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जांच के आदेश दिए गये है, जिसकी जांच जिलाधिकारी/जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा की जा रही है और यदि इस स्तर पर उनके खिलाफ कोई कार्यवाई नहीं हुई, तो मैं उच्च न्यायालय में रिट याचिका दाखिल करुंगी व इनके द्वारा किए गए अवैध नामांकन एवं अवैध आपराधक कृत्य के खिलाफ कार्रवाई कराऊंगी। इन लोगों द्वारा नगर पंचायत भगवानपुर में भी बड़े स्तर पर वित्तीय अनियमितता की गई है। जिस संबंध में जांच चल रही है और जल्द ही जांच में कोई निर्णय नहीं लिया गया, तो हमें न्यायालय का रुख करना पड़ेगा। साथ ही बताया कि समाज कल्याण विभाग में बहुत बड़ा छात्रवृत्ति घोटाला हुआ था और उस घोटाले में अनेक कॉलेजों के मालिक और प्रबंधक और अधिकारी जेल जा चुके हैं, परंतु उस घोटाले के कर्ता-धर्ता और इस घोटाले में सबसे अधिक लाभान्वित होने वाले तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री स्व. सुरेंद्र राकेश थे और इस घोटाले से प्राप्त अवैध धन से उन्होंने और उनके परिवार ने बेतहाशा संपत्ति अर्जित की। जिसमें से कुछ संपती अपने नाम कराई और ज्यादातर संपत्ति बेनामी है और चूंकि वह परिवहन मंत्री भी थे और आज उनकी सैकड़ों बसें नामी व बेनामी रोडवेज परिवहन में अनुबंधित होकर चल रही हैं। उन्होंने भारत सरकार और प्रदेश सरकार से मांग की कि इस परिवार की संपत्ति की ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) से जांच कराई जाए और यदि सरकार द्वारा यह जांच नहीं कराई जाती, तो मुझे मजबूरन होकर न्यायालय में जाकर इस जांच की मांग करने को बाध्य होना पड़ेगा। बताया कि यह मामला पूरी तरह ईडी के कार्य क्षेत्र में आता हैं, क्योंकि ईडी का गठन ही आपराधिक कृत्यों से हासिल की गई संपत्ति पर कार्यवाही करने और उसे जब्त करने के लिए किया गया था।

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