रुड़की।  ( बबलू सैनी ) नलकूप विभाग की रुड़की डिवीजन में बैठे अधिकारियों की लापरवाही के चलते क्षेत्र के दर्जनों नलकूप ठप्प पड़े हैं, जिसके कारण किसान अपनी फसल की सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं। फसलें पूरी तरह सूख चुकी हैं और इन्हें बचाने के लिए सिंचाई हेतू अन्य कोई विकल्प भी नजर नहीं आता। पीड़ित किसानों द्वारा इस सम्बन्ध में भाकियू क्रांति (अ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष विकास सिंह सैनी से शिकायत की गई। इसे गम्भीरता से लेते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष विकास सिंह सैनी संगठन के लोगांे के साथ आज रुड़की में स्थित नलकूप विभाग के कार्यालय पर पहंुचे और ठप्प पड़े नलकूपों की दुरूस्ती को लेकर धरना-प्रदर्शन कर अधिकारियों का घेराव किया। इस मौके पर बोलते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष विकास सिंह सैनी ने कहा कि डिवीजन क्षेत्र में अनेक नलकूप हैं, जिनमें गुम्मावाला, पलूनी, नागल, कमेलपुर, भगवानपुर, थिथकी समेत कई गांवों के सरकारी ट्यूबवैल लम्बे समय से खराब पडे हैं, किसानों ने बार-बार कार्यालयों के चक्कर लगायें, लेकिन आज तक भी इन्हें ठीक नहीं किया गया। ऐसे में किसानों के सामने बड़ा संकट आन खड़ा हुआ हैं कि वह अपने खेतों की सिंचाई कैसे करें। यह समस्या किसानों को घुन की तरह खा रही हैं और अधिकारी इस ओर से लापरवाह बने हुये हैं। जबसे यहां अधिशासी अभियंता सुरेश पाल और एसडीएम महेश चन्द गुप्ता व रुचि ने कार्यभार संभाला हैं, तब से ट्यूबवेलों की व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई हैं। उक्त अधिकारी अपने कार्यालय पर भी समय से नहीं मिलते, जिसके कारण अपनी समस्या लेकर आने वाले किसान बैरंग लौटते हैं। यही नहीं अधिकारियों की इसी लापरवाही के चलते करीब 500 हैक्टेयर से भी अधिक भूमि सिंचित नहीं हो पा रही हैं। ट्यूबवैल ठीक हों, तो किसान सिंचाई करें। खराब हों तो कैसे सिंचाई हो ओर कैसे उनकी फसल बचें। बस इसी उधेडबुन में किसान अपना समय काट रहा हैं। जबकि नलकूप विभाग के अधिकारी सरकार से वेतन पा रहे हैं, लेकिन उसके एवज में जो जिम्मेदारी सरकार ने उन्हें दी हैं, उस पर कतई अमल नहीं कर रहे हैं। इस दौरान अधिशासी अभियंता व एसडीओ किसानों के बीच पहंुचे और किसानों को आश्वासन दिया कि एक सप्ताह में खराब पड़े सभी ट्यूबवेलों को सुचारू कर दिया जायेगा। वहीं राष्ट्रीय अध्यक्ष विकास सिंह सैनी ने कहा कि अगर समय के अनुरुप ऐसा नहीं किया गया, तो वह नलकूप के कार्यालय पर ताला जड़ने को विवश होंगे। उन्होने कहा कि किसानों की समस्याओं को लेकर यूनियन बेहद गम्भीर हैं और जो अधिकारी लापरवाही करेगा, उसके खिलाफ आन्दोलन करने से भी पीछे नही हटेंगे। इस दौरान बड़ी संख्या मंे किसान मौजूद रहे।

साहब क्या करें ऐसे अधिकारियों का… बोलते हुए दफ्तरों से बैरंग लोटते हैं किसान
रुड़की। साहब क्या करें ऐसे अधिकारियों का…। कहते हुए कई किसान अक्सर नलकूप विभाग के कार्यालय से लौटते हैं। किसानों का कहना है कि सरकारी माल को कार्यालय में बैठे अधिकारी ठिकाने लगाने का काम कर रहे हैं और अपनी जिम्मेदारियों से बचते हैं। कई-कई दिन तक तो अधिकारियों की कुर्सियां खाली रहती हैं और घर से ही सरकारी कागजों की खानापूर्ति करते हैं। इन्हें वेतन तो चाहिए, लेकिन काम करने को लेकर वह बहानेबाजी करते हैं। यदि सही तरीके से खराब ट्यूबवेलों की स्थिति देखी जाये, तो कई दर्जन ट्यूबवैल खराब पड़े नजर आयेंगे, जिनकी सुध लेने वाला कोई नहीं हैं। जिनकी जिम्मेदारी हैं, वहीं उसे दुरूस्त नहीं कर पा रहे हों, तो ऐसे में किसान अपनी पीड़ा आखिर किसे बतायें?

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