रुड़की। ( बबलू सैनी )
ऑल इंडिया मुशायरा कमेटी की ओर से छापुर-चौली में आज़ादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत कवि सम्मेलन व मुशायरे का आयोजन किया गया, जिसमें देशभर से आये शायरों एवं कवियों ने सामयिक हालात, देशप्रेम से लबरेज गीतों और सुंदर गजलों के द्वारा श्रोताओं को सुबह तक वाह-वाह करने पर मजबूर कर दिया। कमेटी की ओर से मुख्य अतिथि विधायक ममता राकेश, देहरादून की समाजसेवी उमा सिसौदिया, वरिष्ठ समाज सुधारक आजाद अंसारी व रश्मि चौधरी द्वारा अंतरराष्ट्रीय शायर अफजल मंगलौरी को “आल इंडिया मुशायरा ब्रांड एम्बेसडर” का अवार्ड प्रदान किया गया। मुशायरे की अध्यक्षता प्रधान अब्दुल अजीज ने की। मुख्य अतिथि विधायक ममता राकेश ने अपने संबोधन में कहा कि देश की आज़ादी में जहाँ समाज के हर वर्ग ने अपना योगदान दिया, वहीं कवियों व शायरों की सेवाओं को भी भुलाया नहीं जा सकता।कवियों ने हर दौर में अत्याचार, अन्याय और समाज के उत्पीड़न के खिलाफ अपने कलम को तलवार बनाया। उन्होंने कहा कि आज केवल पत्रकार और कवि ही हर जुल्म के विरुद्ध अपनी आवाज को बुलंद कर रहे हैं।कमेटी की ओर से क्षेत्र के मेधावी छात्र छात्राओं, कामगारों, बेहतरीन कर्मचारियों, अध्यापकों, हाफिजों, पत्रकारों व कवि शायरों को सम्मानित किया गया। समिति के सचिव डॉ. मतिउल्लाह ने कहा कि ऐसे साहित्यिक आयोजनों से समाज मे भाईचारा, सौहार्द और राष्ट्रीय एकता को बल मिलता है, ऐसे सफल आयोजन के लिए रहमत अली का उत्साहवर्धन करना चाहिए। पत्रकार रियाज कुरैशी व इमरान देशभक्त को उनकी सेवाओं के लिए सम्मान से नवाजा गया। कार्यक्रम में रिज़वान जाननी, हाजी नौशाद अली, पूर्व मंत्री हाजी सईद अहमद,शादाब अली, हाजी यासीन, रहमत अली ने विचार व्यक्त किए। मुशायरे का संचालन करते हुए वसीम झींझनवी ने पढ़ा कि… हिंदू मुस्लिम का ये दुलारा लगता है, हमको तिरंगा जान से प्यारा लगता है।
बम्बई से पधारी मशहूर शायरा राणा तबस्सुम ने फरमाया कि… तुमको अपना हमसफर,जब कह दिया तो कह दिया, अब नहीं दुनिया का डर, जब कह दिया तो कह दिया। अफजल मंगलौरी ने पढ़ा कि… मेरे भारत का दुनिया में सानी नहीं, कहीं अमृत सा गंगा का पानी नहीं। प्रसिद्ध शायर डा. वसीम राजुपुरी ने वाह-वाही लूटते हुए फरमाया कि…वो अपनी बहनों से कैसे नजर मिलाते हैं, वो लड़कियों पर जो तेज़ाब डाल देते है। महाराष्ट्र से आए हास्य कवि मुजावर मालेगावी ने श्रोताओं को लोटपोट कर दिया। उन्होंने पढ़ा कि… ये अलग बात जो फूलों से लदे रहते हैं, फिर भी जो लोग गधे है वो गधे रहते हैं। युवा शायर अलीम वाजिद ने दाद बटोरते हुए पढ़ा कि… इज्जत तलाश करते हैं मेयार बेच कर, कितने अमीर हो गए किरदार बेच कर। इसके अलावा इमरान झींझनवी, अमजद अली खान, दानिश गजल मेरठी, आरिफ शेरकोटी, इकरा नूर, आज़म हयात, गुलज़ार अली आदि ने कलाम पेश किया।अंत में संयोजक रहमतअली ने आभार व्यक्त किया। मुशायरे का आगाज अतिथियों द्वारा फीता काट एवं शमा रौशन कर किया।