देहरादून। ( बबलू सैनी )
संजय गुंज्याल-अमित सिन्हा और डॉ. वी मुरुगेशन आज से कंधों पर क्रॉस के साथ अशोक भी लगाएंगे। तीनों का प्रमोशन डीपीसी के साथ ही एडीजी रैंक पर हो चुका है। संजय को इंटेलीजेंस चीफ बरकरार रखा गया है। जबकि 10 आईपीएस अफसरों की नए सिरे से पोस्टिंग में अधिकांश को पुराने महकमों में कायम रखा गया है। सबसे सीनियर एडीजी (1995 बैच) डॉ. पीवीके प्रसाद को सीआईडी से हटा के अभियोजन का जिम्मा सौंपा गया है। डीजीपी के बाद आईपीएस के लिए सबसे अहम पोस्टिंग खुफिया विभाग के प्रमुख की ही होती है। भले डायरेक्टर (विजिलेंस) की अलग अहमियत हो। इंटेलीजेंस चीफ को रोजाना और जब चाहे तब मुख्यमंत्री से मिलने की सुविधा रहती है। तमाम अहम जानकारियां उनके पास रहती हैं। ये ऐसी कुर्सी है, जिसके बूते पूर्व में कुछ अफसर सीनियर को पीछे छोड़ डीजीपी तक बनने में सफल रहे। सुभाष जोशी जब खुफिया विभाग के प्रमुख थे, तो डीजीपी और अन्य वरिष्ठ अफसरों को भी वह तरजीह कम दिया करते थे। 1997 बैच के संजय को उनकी काबिलियत के साथ ही इसलिए भी याद किया जाता है कि वह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के बेहद भरोसमंद अफसरों में शुमार होते हैं। महाकुंभ के दौरान उनके शानदार और सूझ बूझ भरे काम को लोग याद करते हैं। उनसे कुम्भ का काम वापिस ले लिया गया। खुफिया के साथ ही वह सुरक्षा का जिम्मा भी संभाले रहेंगे। उनके बैच के ही अमित सिन्हा से पुलिस आधुनिकीकरण वापिस ले के सीसीटीएनएस दिया गया है। पहले से देख रहे निदेशक (सतर्कता) की भूमिका में वह बनाए रखे गए हैं। मुरुगेशन को भी एडीजी (साइबर अपराध और एसटीएफ ) होने के बावजूद पूर्व ज़िम्मेदारी में बनाए रखा गया है।
आज ही आईजी बन के कंधे पर क्रॉस और सितारा लगाने के हकदार बने केवल खुराना को अभिसूचना से हटा के पुलिस आधुनिकीकरण का जिम्मा सौंप दिया गया है। उनके बैच (2004) की आईजी विमला गुंज्याल को पीएसी सतर्कता से हटा के सीआईडी दूरसंचार दे दिया गया है। डीआईजी बन गईं 2008 बैच की निवेदिता कुकरेती को कार्मिक से हटा के अभिसूचना में भेजा गया है। उनकी बैच की पी रेणुका देवी को लॉ एंड आर्डर व क्राइम का दायित्व सौंपा गया है। इसी बैच के बरिंदरजीत सिंह को डीआईजी (पीएसी मुख्यालय और डिप्टी डायरेक्टर -विजिलेंस) बनाया गया है।
2019 बैच के अमित श्रीवास्तव को विजिलेंस सेल से हटा के आईआरबी -2 (देहरादून) में कमांडेंट बना के भेजा गया है। आईपीएस अफसरों में अधिकांश को प्रमोशन के कारण आने सिरे से तैनाती मिली है। डीपीसी कुछ दिन पहले कर ली गई थी। एडीजी बनने के लिए 25 और आईजी बनने के लिए 18 साल की सेवा होना न्यूनतम और मुख्य अर्हता होती है। जो आज पूरी हो गई। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इन अफसरों को एक दिन का भी इंतजार प्रमोशन के लिए न करा के नए साल का तोहफा पहले ही दे दिया। एसीएस (गृह) आनंदबर्द्धन की तरफ से कल आदेश जारी हो गए थे। जो आज से प्रभावी हो गए।

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