रुड़की।  ( बबलू सैनी ) 11 मार्च को यूईटीआर द्वारा एक वार्ता का आयोजन किया गया। व्याख्यान डॉ. स्मिता झा द्वारा दिया गया। डॉ. रवि रस्तौगी, डीन एकेडमिक्स (यूईटीआर) ने डॉ. स्मिता झा का गुलदस्ता भेंटकर कर स्वागत और कार्यक्रम की शुरूआत की। डॉ. रवि ने छात्रों को सॉफ्ट स्किल्स के महत्व के बारे में जानकारी दी। डॉ. सुनीता रानी ने छात्रों को डॉ. स्मिता झा के प्रोफाईल के बारे में जानकारी दी। डॉ. स्मिता ने सॉफ्ट स्किल्प क्रिएटिव और क्रिटिकल थिंकिंग पर अपना व्यख्यान दिया। उन्होंने कहा कि आत्मविश्वास और धारा प्रवाह बोलने की क्षमता एक ऐसी चीज हैं, जिसे छात्र स्कूल और कॉलेजों में अपने समय के दौरान विकसित करेंगे और कुछ ऐसा जो उन्हें जीवनभर मदद करेगा। उन्होंने स्पीकिंग को ऐसे कौशल के रुप में परिभाषित किया, जो हमें प्रभावी ढंग से संवाद करने की अनुमति देता हैं। वे हमें मौखिक रुप से और इस तरह से जानकारी देने की क्षमता देते हैं कि श्रोता समझ सके। बोलना एक संवादात्मक प्रक्रिया हैं, जहां जानकारी साझा की जाती हैं। इसलिए प्रभावी ढंग से संवाद करने के लिए बोलने और सुनने दोनों कौशिल विकसित करना महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि भाषाविद् कौशल महत्वपूर्ण गुण हैं और जो भाषाविद उद्योग में लाते हैं। भाषाविद अपने प्रशिक्षण के दौरान कठिन कौशल और सॉफ्ट कौशल दोनों सीख सकते हैं। उसने समझाया कि न्यूरोलिंग्विस्टिक्स इस बात का अध्ययन है कि मस्तिष्क में भाषा का प्रतिनिधित्व कैसे किया जाता हैं यानी हमारा दिमाग उस भाषा (या भाषाओं) के हमारे ज्ञान को कैसे और कहां संग्रहीत करता हैं, जिसे हम बोलते हैं, समझते हैं, पढ़ते हैं और लिखते हैं, हमारे दिमाग में क्या होता हैं, जैसा कि हम उस ज्ञान को प्राप्त करते हैं और क्या होता हैं, जब इसे अपने दैनिक जीवन में उपयोग करते हैं। बाद में उसने भावनात्मक बुद्धिमता (ईआई) के बारे में बताया जो भावनाओं को देखने, अनियंत्रित करने और मूल्यांकन करने की क्षमता को संदर्भित करती हैं। कुछ शोधकर्ताओं का सुझाव है कि भावनात्मक बुद्धिमता को सीखा और मजबूत किया जा सकता हैं। मनोवैज्ञानिक इस क्षमता को भावनात्मक बुद्धिमत्ता कहते हैं। उन्होंने एनएलपी के बारे में बताया कि सॉफ्रट स्किल्प को बढ़ाने के लिए यह तकनीक कैस और क्यों जरूरी हैं। अंत में उन्होंने इस तरह के बिन्दूओं के साथ संक्षेप में बताया कि छात्र इस भाषण से अपने कौशल में सुधार कर सकते हैं और भविष्य में अच्छे संचारक होंगे। कार्यक्रम में डॉ. रश्मि गुप्ता (एचओडी ह्मयूमैनिटीज), डॉ. डी.बी. गुप्ता (हैड बेसिक साइंसेज), सुश्री निधि जिंदल, डॉ. रेणु रानी आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम का समन्वय डॉ. सुनीता रानी (एचएसएस), डॉ. आशिमा गर्ग (एसओबी) और सुश्री नेहा गुलाटी (एसओसी) ने किया। कर्यक्रम का समापन डॉ. सुनीता रानी ने किया।

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