रुड़की। ( बबलू सैनी / आयुष गुप्ता )
झबरेड़ा विधानसभा क्षेत्र में बसपा प्रत्याशी और राजनीति से अनभिज्ञ आदित्य बृजवाल के हाथी की रफ्तार धीरे-धीरे थमने लगी है। वह इसलिए की आदित्य बृजवाल को कड़ी टक्कर देने के लिए भाजपा से राजपाल बेलड़ा और कांग्रेस से वीरेंद्र जाति चुनाव मैदान में है। वीरेंद्र जाति स्थानीय होने के साथ-साथ इन दोनों प्रत्याशियों पर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं। क्योंकि भाजपा प्रत्याशी राज्यपाल बेलड़ा यहां के निवासी भी नहीं है और आदित्य बृजवाल भी यहां कभी रहे नहीं। उन्होंने सिर्फ आज तक अपने पिता की राजनीति का सुख भोगा, लेकिन वीरेंद्र जाती जमीन से जुड़े हुए नेता हैं और उन्हें युवा, बुजुर्ग और माताएं-बहने भी अच्छे से जानती हैं तथा वह प्रतिभावान प्रत्याशी है। क्षेत्र की जनता का मानना है कि वीरेंद्र जैसी प्रत्याशी को ही जनप्रतिनिधि बनना चाहिए। ताकि क्षेत्र की जनता का विकास हो सके।
जबकि इसके उलट अपने पिता के पैसों पर ऐसो-आराम करने वाले प्रत्याशी को जनप्रतिनिधि बनाने के लिए जनता में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई दे रही। ऐसे में उनके हाथ सिर्फ निराशा ही लग रही है।
वास्तव में जनता भी ऐसे ही प्रत्याशी को वोट देने का मन बना रही है, जिसकी जमीनी और सामाजिक स्तर पर मजबूत पकड़ हो, लेकिन वीरेंद्र जाति के अलावा ना तो राजपाल बेलड़ा और ना ही बसपा प्रत्याशी आदित्य बृजपाल का ऐसा कोई जनाधार है। क्योंकि इनमें बसपा प्रत्याशी ओर उनके पिता पूर्व विधायक हरिदास 2017 के चुनाव में बसपा के प्रत्याशी को हराने में अपना अहम योगदान निभा चुके हैं और कांग्रेस में रहते हुए उन्होंने क्षेत्र के लिए कोई ज्यादा हितकारी काम नहीं किया। आदित्य बृजवाल सिर्फ इसलिए अपने को विधायक बनाने के ख्वाब में है, क्योंकि उसके पिता विधायक रहे। लेकिन इस बार जनता सोच समझकर वोट करेगी।
वहीं इसके उलट राजपाल बेलडा 26 जनवरी तक कांग्रेस के पक्ष में मतदान करने की अपील करते हुए जनसंपर्क में जुटे हुए थे और भाजपा की लाखों बुराइयां जनता को गिनाई थी लेकिन अब उनके लिए यह बुराई ही उनके गले की फ़ांस बनने वाली है, क्योंकि जिस पार्टी का दुष्प्रचार कर राजपाल बेलड़ा जनता के बीच में जाकर जनसंपर्क कर रहे थे, उसी पार्टी की उपलब्धियों के सहारे उन्हें वोट मांगने को विवश होना पड़ेगा। अब ऐसे में जनता भी खूब समझ रही है कि यह लोग सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए राजनीतिक दल बदल कर निजी लाभ उठाना चाहते हैं लेकिन जनता बेवकूफ नहीं है और ऐसे प्रत्याशियों को चुनाव में सबक सिखाने का काम जरूर करेगी।
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