रुड़की। ( बबलू सैनी ) हल्द्वानी निवासी शादाब आलम कलियर सीट पर आप पार्टी की ओर से प्रत्याशी बनाये गये है। आप हाईकमान को ऐसा क्या हुआ कि सैकड़ों मील दूर से प्रत्याशी को यहां लाकर चुनाव लड़ाना पड़ा। क्या इस विधानसभा क्षेत्र में नेताओं की कमी हैं, यहां समाजसेवी लोगों का हर वर्ग में भंडार हैं तथा ऐसे लोग हैं, जो 24 घंटे समाज की सेवा में खड़े रहते हैं। उनके सुख- दुःख के भागीदार हैं। ऐसे में यहां की जनता बाहरी प्रत्याशी शादाब आलम को क्यों वोट दें। यह चुनाव हैं और इसमें हर व्यक्ति पहले अपने परिवार, फिर ग्राम पंचायत, नगर पंचायत तथा उसके बाद स्थानीय विधायक को तवज्जों देता हैं। इसे सब जानते हैं। इसके बावजूद भी थका-हारा प्रत्याशी देकर आप पार्टी ने आफत मौल ले ली हैं। राजनीति का शादाब आलम को कोई अनुभव नहीं हैं। यह अलग बात है कि इस क्षेत्र में मुस्लिम बिरादरी बहुतायत संख्या में हैं। इसके बावजूद यहां वर्तमान विधायक फुरकान अहमद मुस्लिम समाज से ताल्लुक रखते हैं। उनका इस क्षेत्र में मजबूत जनाधर हैं तथा इसी विधानसभा के रहने वाले हैं। मुस्लिम समाज के साथ ही अन्य वर्गों में भी उनकी मजबूत पकड़ हैं। शादाब आलम उनके सामने कहीं भी टिकते नजर नहीं आते। शादाब आलम के पास गिने-चुने 19 लोग हैं, जिनसे वह घिरे रहते हैं और वह सभी बाहरी जिलों के हैं। कोई रिश्तेदार तो कोई जान-पहचान हैं। स्थानीय व्यक्ति उन्हें ढूंढे भी नहीं मिल रहा। यहां तक की वह मुस्लिम समाज में भी अपना चुनाव खड़ा नहीं कर पा रहे हैं। यह समझ में नहीं आ रहा कि आखिर बाहरी व्यक्ति को यहां कौन लाया। क्या आप पार्टी को अपनी मिट्टी पलीत करानी हैं, जबकि उनकी दिल्ली में सरकार हैं और पंजाब में भी उनकी पार्टी को कुछ चैनल सबसे बड़ी पार्टी के रुप में दिखा रहे हैं। लेकिन उत्तराखण्ड में ऐसा क्यों किया गया कि शायद ही कोई सीट आप पार्टी के हाथ लग सके। कलियर के चुनावी सीमकरण सबसे अलग हैं। जबसे यह अस्तित्व में आई, तभी से यहां कांग्रेस पार्टी का दबदबा रहा और विधायक फुरकान अहमद ने अपने विरोधियों को चारों खाने चित किया। ऐसा लगता है कि शादाब आलम हजार वोट भी हासिल नहीं कर पायेंगे।

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